उसके बनाए पोर्ट्रेट की तरह थी ये मर्डर मिस्ट्री... एक गुमनाम टेलीफोन कॉल से खुला 2 कत्ल का राज
murder mystery: अपराध की दुनिया में ऐसे मामले कम ही देखने को मिलते हैं. जहां अपराधी पकड़े जाने के बाद भी अपराध के पीछे की साजिश छिपी रहती है.
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Artist Hema Upadhyay Murder Full Story: शहर से अचानक दो लोग रहस्यमय तरीके से गायब हो जाते हैं. 24 घंटे के अंदर दोनों की हत्या कर दी जाती है. लेकिन साजिश का खुलासा नहीं होता. अगले 24 घंटे में चार लोग हत्या के आरोप में पकड़ा जाते हैं पर तीनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. लेकिन फिर भी साजिश का खुलासा नहीं हुआ.
अपराध की दुनिया में ऐसे मामले कम ही देखने को मिलते हैं. जहां अपराधी पकड़े जाने के बाद भी अपराध के पीछे की साजिश छिपी रहती है.
लेकिन मुंबई के हाई प्रोफाइल डबल मर्डर केस की कहानी कुछ ऐसी ही थी. जी हां, वो डबल मर्डर जिसमें हत्यारों ने शहर की मशहूर कलाकार हेमा उपाध्याय और उनके वकील हरीश भंबानी को एक ही झटके में मौत के घाट उतार दिया और कुछ ही घंटों में पकड़े भी गए लेकिन फिर भी वारदात के पीछे की पूरी साजिश का खुलासा नहीं हो सका.
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बॉक्स के अंदर मिली थी लाश
साल था 2015, तारीख थी 12 दिसंबर, इस चौंकाने वाली कहानी की शुरुआत हुई शाम 6.30 बजे, जब हेमा और हरीश की लाशें कांदिवली के एक नाले में मिलीं. उनकी लाशें गत्ते के बक्सों में पैक थीं और ऐसा लग रहा था कि दोनों की हत्या गला घोंटना से की गई है. पुलिस ने जल्द ही शहर के दो अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में दर्ज गुमशुदगी की रिपोर्ट के आधार पर दोनों की पहचान की और जांच शुरू की. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि हेमा उपाध्याय का अपने पति चिंतन उपाध्याय से तलाक का मामला चल रहा है और इस लड़ाई में वकील हरीश भंबानी उनका साथ दे रहे हैं. इसलिए शुरुआती शक चिंतन पर ही गया और जल्द ही चिंतन को में हिरासत ले लिया गया. लेकिन मामला पहली बार उलझा हुआ तब लगा, जब पकड़े जाने के बावजूद चिंतन ऐसी किसी भी साजिश से इनकार करता रहा...
लेकिन, इसी बीच पुलिस को एक ऐसी बात पता चली, जिसने उसकी जांच का पूरा दायरा ही बदल दिया. ये हत्या से कुछ घंटे पहले हेमा उपाध्याय के मोबाइल पर आया फोन कॉल था. जब जांच की गई तो ये बात सामने आई कि जिस शख्स ने हेमा को फोन किया था, उसने उनसे अपने पति चिंतन के खिलाफ कुछ सबूत देने को कहा था और इसीलिए हेमा अपने वकील के साथ उनसे मिलने के लिए निकल गईं. लेकिन आगे क्या हुआ? हुआ ये कि घर लौटना तो दूर दोनों की हत्या कर दी गई और उनके शव कांदिवली के नाले में फेंक दिए गए.
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गुमनाम टेलीफोन कॉल
इस गुमनाम टेलीफोन कॉल के बाद हत्यारे की तलाश में चप्पा-चप्पा छान रही पुलिस जल्द ही वाराणसी पहुंच गई, जहां से उसने शिव कुमार उर्फ साधु राजभर नाम के शख्स को गिरफ्तार कर लिया. इस शख्स ने न सिर्फ दोनों हत्याओं के बारे में बात की . वह कबूल कर रहा था, लेकिन इस साजिश में शामिल अन्य लोगों के नाम भी बता रहा था. मुंबई से तीन और लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था. चार दिन बीत गए, लेकिन मुंबई की इस हाई प्रोफाइल डबल मर्डर मिस्ट्री की साजिश अब भी पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है. सवाल ये है कि क्यों? क्योंकि आगे की कहानी तो और भी अजीब और भ्रमित करने वाली है.
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दोहरे हत्याकांड के इस भयानक मामले में साधु राजभर की वाराणसी से गिरफ्तारी के साथ ही उम्मीद जगी थी कि शायद इस हत्याकांड में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. लेकिन जैसे ही साधु राजभर ने अपना मुंह खोला, यह मामला सुलझने की बजाय मामला थोड़ा और उलझ गया.
साधु का कुबुलनम
क्योंकि साधु के मुताबिक उसने हत्या अपने गुरु यानी विद्याधर राजभर के कहने पर ही की थी. उसे इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी कि हेमा उपाध्याय की विद्याधर से क्या दुश्मनी थी. हालांकि उसने पुलिस को ये जरूर बताया कि विद्याधर का कुछ विवाद जरूर चल रहा था पैसों को लेकर हेमा से.
विद्याधर की ऐंट्री, चिंतन उपाध्याय तक ऐसे पहुंची मुंबई पुलिस...
हालाँकि, पुलिस शायद इस साधारण सी कहानी पर विश्वास कर लेती, अगर उसे यह न पता होता कि हत्या से पहले हेमा के पति चिंतन उपाध्याय न केवल दिल्ली से मुंबई आए थे, बल्कि उन्होंने और विद्याधर ने एक-दूसरे से बातचीत भी की थी. ऐसे में सवाल ये था कि क्या विद्याधर और चिंतन का इस हत्याकांड से कोई लेना-देना है. जाहिर है सवाल अभी बाकी थे.
हेमा उपाध्याय और विद्याधर बिज़नेस पार्टनर थे और इसी पार्टनरशिप के बकाए के तौर पर विद्याधर हेमा से 5 लाख 20 हज़ार रुपए लेना चाहता था. जबकि हेमा ये रुपए नहीं दे रही थी. 11 सितंबर को विद्याधर ने हेमा को फ़ोन किया और उसे उसके पति चिंतन के खिलाफ़ सुबूत देने के बदले फिर से अपने रुपयों की मांग की. इस बार हेमा सुबूतों के लालच में रुपए चुकाने के लिए राज़ी हो गई, लेकिन साथ ही ये शर्त भी रख दी और पहले वो और उसके वकील हरीश भंबानी खुद सुबूतों की जांच करेंगे. विद्याधर इसके लिए राज़ी हो गया और दोनों कांदीवली में विद्याधर राजभर के गोदाम में जा पहुंचे.
लेकिन यहां पहुंचते ही कहानी में नया ट्विस्ट आ गया. विद्याधर और हेमा में रुपयों के लिए बहस होने लगी और गुस्से में विद्याधर ने हेमा को चांटा रसीद कर दिया. अब हेमा के भी तेवर बदल गए और वो भी विद्याधर को थप्पड़ मार बैठी और बस यहीं गुस्से के माहौल में दोहरे क़त्ल की ज़मीन तैयार हो गई. विद्याधर ने साधु समेत अपने दो मुलाज़िमों को इशारा किया और तीनों ने वेयरहाउस में रखा क्लोरोफॉर्म सूंघा कर पहले हेमा को बेहोश किया और वारदात का चश्मदीद होने की वजह हरीश भंबानी को और फिर एक-एक कर दोनों का गला घोंट कर क़त्ल कर दिया गया.
बाद में यह बात सामने आई कि चिंतन विद्याधर के संपर्क में था और उसने ही विद्याधर को उकसाया था और हेमा को मारने की पूरी योजना बनाई थी.
चिंतन उपाध्याय को उम्रकैद
मुंबई की एक अदालत ने कलाकार चिंतन उपाध्याय को अपनी अलग रह रही पत्नी हेमा उपाध्याय की हत्या की साजिश रचने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके अलावा इस हत्याकांड को अंजाम देने का आरोपी विद्याधर राजभर फरार है. सितंबर, 2021 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने से पहले चिंतन लगभग छह साल तक जेल में था. चिंतन ने अदालत के समक्ष अपने अंतिम बयान में दावा किया था कि पुलिस दोहरे हत्याकांड को सुलझाने में असमर्थ थी और इसलिए, इसका फायदा उठा रही थी. उनके और हेमा के वैवाहिक विवाद के चलते उन्हें झूठे केस में फंसाया गया.
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