हिंदू होकर भी ये लोग क्यों नहीं मनाते हैं दिवाली, ऐसा क्या है जो दिवाली इन्हें खुशी के बजाए ग़म देती है?
हिंदू होकर भी ये लोग क्यों नहीं मनाते हैं दिवाली, ऐसा क्या है जो दिवाली इन्हें खुशी के बजाए ग़म देती है?
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मनीषा झा की रिपोर्ट
भारत (India) में साल भर अलग-अलग त्यौहार मनाए जाते हैं, और ऐसा देखा जाता है कि दिवाली को लेकर कुछ ज़्यादा ही लोग उत्साहित होते हैं, या दूसरे लफ्ज़ों में कहें तो दिवाली देश का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है। अमूमन इस मौके का इंतज़ार सभी को होत है लेकिन हमारे देश में ही कुछ हिंदू समाज में एक ऐसा वर्ग जिनके घरों में दिवाली (Diwali) के मौके पर दीया तक रौशन नहीं किया जाता है। ऐसा क्यों है इसकी वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप
दिवाली, जिसका सभी को बेसब्री से पूरे साल इंतजार होता है, भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अब दिवाली की चकाचौंध दिखाई देने लगी है। सिंगापुर, मलेशिया, नेपाल, मॉरीशस जैसे देश इनमें प्रमुख हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की भारत में कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां आज भी दिवाली नहीं मनाई जाती।
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भारत के इन हिस्सों में क्यों नहीं मनाई जाती है दिवाली?
रामायण के अनुसार रावण को युद्ध में हराने के बाद प्रभु़ श्रीराम, लक्ष्मण और सीता के साथ 14 वर्ष बाद कार्तिक अमावस्या को अयोध्या वापस लौटे थे, इसलिए इस दिन दीपक और आतिशबाज़ी के साथ उनका स्वागत किया गया। तब से हिंदू समाज में इस रोज़ दिवाली मनाने की ये परंपरा शुरु हुई, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे ही देश में हिंदू समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो दिवाली नहीं मनाता, और ना ही दिवाली के मौके पर उनके घर रौशन होते हैं। केरल में हिंदुओं का एक वर्ग ऐसा है जो ये मानता है कि उनके राजा बालि जो की एक असुर था उसकी मृत्यु ऐन दिवाली के दिन हुई थी और ये उनके लिए किसी सदमें से कम नहीं था, लिहाज़ा उस समुदाय के लोगों ने फैसला किया कि वो कभी दिवाली नहीं मनाएंगे। आपको बता दें कि केरल में असुरों का शासन था, जबकि दिवाली अधर्म पर धर्म और असुर पर देवताओं की विजय का प्रतीक है लिहाज़ा वो लोग जो असुर को ही अपना भगवान मान लें उनके लिए दिवाली के क्या मायने हो सकते हैं। इसलिए यहां के लोग रावण के वध को खुशी का नहीं बल्कि गम का दिन मानते हैं।
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यही वजह है कि केरल के एक बड़े हिस्से में दिवाली के मौके पर ना कोई धूमधाम होती है और ना ही कोई जगमग। हालांकि केरल के अलावा तमिलनाडु भी एक ऐसी जगह है जहां दिवाली नहीं मनाई जाती है, वहां लोग दिवाली की जगह नरक चतुर्दशी मनाते हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में दिवाली श्रीराम की वापसी का दिन नहीं बल्कि इस दिन श्रीकृष्ण के नारकासुर का वध किए जाने का दिन मानते हैं।
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