शीबा का सिर काटकर कहां ले गया अरुण? क्या है काले धागे वाली अधूरी लाश का सच? डीएनए से खुलेगा सिरकटी लाश का राज़
शीबा का धड़ तो मिला लेकिन सिर अब भी गायब है। अब लड़की की पहचान के लिए पुलिस डीएनए टेस्ट का सहारा ले रही है। सवाल ये है कि पुलिस को DNA कराने की जरुरत क्यों पड़ रही है।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
काट कर कहां फेंका शीबा का सिर
सिरकटी लाश और काले धागे का सच
DNA जांच से खुलेगा शीबा का राज़
Uttar Pradesh: ये कमबख्त इश्क भी ना जाने कितनों की ज़िंदगियां बर्बाद करेगा? कमाल के इश्क हो रहे हैं आजकल। आशिक जिनपर जान देने की बातें करते हैं, उन्हीं की जान ले रहे हैं। इस कहानी में भी लड़का-लड़की दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे। मगर फिर कुछ ऐसा हुआ कि जिस लड़की के बिना वो एक पल भी ना जीने की कसमें खाया करता था उसी लड़की के सीने में खंजर भोंक दिया। सिर्फ इसलिए क्योंकि महबूबा अपने आशिक से शादी की जिद कर रही थी। वाकया 31 जुलाई का है। यूपी के लखनऊ से सटा हुआ छोटा सा जिला बहराइच। यहां उस वक्त पुलिस के होश उड़ गए, जब उन्हें थाना नानपारा कोतवाली अंतर्गत नानपारा रूपेडिहा मार्ग पर हांडा बसेहरी गांव के पास झाड़ियों में एक लड़की की सिर कटी लाश मिली। शव का हाथ भी कटा हुआ था। ऐसे में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये पता लगाने की थी कि आखिर ये लड़की कौन है, जिसकी हत्या हुई है।
ये लड़की कौन है, जिसकी हत्या हुई?
जिले की तेज तर्रार एसपी वृंदा शुक्ला ने इस मामले के खुलासे के लिए सीओ हर्षिता तिवारी की अगुवाई में एक खास टीम का गठन किया। इसके बाद इस जांच टीम ने अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए पिछले कुछ दिनों के दौरान पूरे शहर और आसपास के जिलों से गुमशुदा लड़कियों की जानकारी हासिल करना शुरु कर दिया। लेकिन पुलिस को कोई कामयाबी नहीं मिल सकी। पुलिस के अफसर हैरान परेशान थे कि आखिर ये लड़की कौन है? लड़की का कत्ल किसने किया? लड़की की लाश से सिर कहां गायब हो गया? इन सवालों का जवाब जानने के लिए पुलिस ने वापस अपनी तफ्तीश उसी लाश के सहारे फिर से शुरू की। पुलिस ने बारीकी से जांच की और शव की तस्वीर का बारीकी से मुआयना किया तो पाया कि लावारिस हालत में मिली लाश के दाएं पैर में एक काले रंग का धागा बंधा हुआ था। ऐसा माना जाता है कि पैर में काला धागा बांधने से बुरी नजर से बचाव होता है।
लड़की की लाश से सिर कहां गायब हो गया?
अब चूंकि पुलिस आसपास के जिलों से गुमशुदा लड़कियों के बारे में जानकारी हासिल कर रही थी। पुरानी फाइलें खंगालते हुए पुलिस की नजर अचानक 22 जुलाई को हुई एक मिसिंग कंपलेंट पर पड़ी। पुलिस ने जब शिकायत को गौर से पढ़ा तो उसमें ये लिखा था कि शीबा नाम की लड़की गुम थी। गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने वाले ने ये भी लिखवाया था कि गायब हुई शीबा के दाहिने पैर में काले रंग का धागा बंधा हुआ था। पुलिस ने जो शव बरामद किया, उसके भी दाहिने पैर में काला धागा बंधा हुआ था। ऐसे में पुलिस को शक हुआ कि हो ना हो ये लाश शीबा नाम की गुमशुदा लड़की की हो सकती है। अब पुलिस ने फाइलें खंगाली तो पता चला कि बहराइच के रुपईडीहा इलाके के जमोग गांव के रहने वाले हशमत अली ने अपनी भांजी शीबा की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। जांच में पता चला कि शीबा बीती 21 जुलाई से लापता थी जबकि 31 जुलाई को पुलिस को नानपारा में लड़की की अर्धगग्न लाश मिली थी।
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लड़की की सिरकटी लाश और काला धागा
लाश का सिर गायब था। पुलिस ने शीबा के मामा-मामी को शिनाख्त के लिए मॉर्चुरी बुला लिया। यहां पहुंचे शीबा के परिजनों ने आखिरकार लाश की पहचान शीबा के तौर पर कर ली। शीबा के मामा हशमत अली ने पुलिस को बताया कि उन्ही के गांव जमोग के बगल वाले गांव में अरुण नाम का एक युवक रहता था। शीबा और अरुण एक ही स्कूल में साथ पढ़ते थे। जब शीबा 8वीं क्लास में थी तो अरुण उससे दो साल आगे 10वीं क्लास में पढ़ता था। दोनों में पहले पक्की दोस्ती थी जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। शीबा के मामा-मामी से पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि शीबा अरुण सैनी से फोन पर बातें करती थी। शीबा के परिजनों ने बताया कि हमने उसे ऐसा करने से मना भी किया था, लेकिन शीबा नहीं मानी। एक बार उन्होंने शीबा और अरुण को एक साथ देख लिया था, जिसके बाद उसकी पिटाई भी कर दी थी।
शीबा अरुण से बेहद प्यार करती थी
अब पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती कातिल या कातिलों का पता लगाने की थी। हालांकि अरुण शुरु से ही शक के घेरे में था, क्योंकि शीबा के मामा-मामी पहले ही उस पर शक जाहिर कर चुके थे। अरुण के घर पर पुलिस ने दबीश दी लेकिन वो वहां पर मौजूद नहीं था। बाद में मुखबिरों की जानकारी पर उसे घर से कुछ दूर ही गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने अरुण से गहनता से पूछताछ की तो सारा राज खुल गया। दरअसल, पूछताछ के दौरान अरुण ने कुबूल किया कि उसने अपने एक साथी के साथ मिलकर शीबा की हत्या की और फिर उसके सिर और हाथ को काट कर नहर में फेंक दिया। अरुण ने बताया कि वो शीबा से प्यार करता था। अरुण जब हाई स्कूल में पढ़ाई करता था, तब शीबा कक्षा 8 में पढ़ती थी। दोनों एक-दूसरे से करीब 1 साल से जानते थे और प्यार करते थे। अरुण भी अपने मामा के यहां रहा करता था।
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गर्लफ्रेंड की गला दबाकर हत्या
बाद में अरुण अपने मामा के ही गांव के निकट चरदा जमोग चौराहे पर एक मेडिकल स्टोर पर काम करने लगा, जहां शीबा भी उससे मिलने आती थी। इसी दौरान आरोपी अरुण की शादी तय हो गई, जिसके बाद वह शीबा से अलग होना चाहता था, लेकिन शीबा इसके लिए तैयार नहीं थी। इसे लेकर दोनों के बीच झगड़ा होने लगा। धर्म अलग-अलग होने के कारण दोनों के परिजन शादी के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि अरुण को उस वक्त बहुत बुरा लगा था, जब शीबा के घरवालों ने उसकी पिटाई कर दी थी। ये बात उसके मन में बैठ गई थी। साथ-साथ शीबा बार-बार उस पर शादी के लिए दबाव डाल रही थी। दूसरी तरफ, अरुण के घरवाले उस पर दूसरी लड़की से शादी करने का दबाव डाल रहे थे। इन सबके बीच अरुण परेशान हो गया और तभी उसने तय किया कि उसकी परेशानी की वजह शीबा ही है और वो शीबा को रास्ते से हटा देगा।
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धड़ झाड़ियों और सिर नहर में फेंका
अपनी इस साजिश में उसने अपने एक दोस्त को शामिल कर लिया। अरुण ने अपने दोस्त कुलदीप विश्वकर्मा निवासी गंगापुर थाना रूपेडिहा के साथ मिलकर शीबा को 22 जुलाई को संदीप जायसवाल के भठ्ठे पर बुलाया। शीबा उसके पास आ गई। वो बाइक से उसे गांव से थोड़ी दूर पर ले गया और झाड़ियों में ले जाकर गला दबा कर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसका सिर और हाथ काट दिए। उसके कपड़े उतारे। ऐसा अरुण ने इसलिए किया, ताकि उसकी पहचान न हो सके। बाद में उसने शीबा का सिर, हाथ और कपड़े नहर में फेंक दिए। आरोपियों ने अपने फोन भी नहर में फेंक दिए थे।पुलिस ने शीबा का शव 23 जुलाई को बरामद किया था। एसपी वृंदा शुक्ला ने बताया कि जांच के दौरान दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
DNA जांच से खुलेगा शीबा का राज़
यूं तो शीबा की पहचान हो ही चुकी है। मगर कोर्ट में पुख्ता साक्ष्य रखने के लिये पुलिस अब लड़की की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा लेगी। सवाल ये है कि पुलिस को DNA कराने की जरुरत क्यों पड़ रही है। डीएनए के जरिए कैसे सबूत हासिल किए जा सकते हैं? दरअसल बहराइच पुलिस को सबसे पहले शव से मिले कपड़े और शव के बिसरा से नमूने लेने होंगे। मौके पर मौजूद धूल के कण और बाल वगैरह से सबूत इकट्ठे किए जाएंगे। साइंटिस्ट शीबा के कपड़ों से खून से निशान (ब्लड स्टेन) व नमूने ले सकती है। कपड़ों पर लगे उंगलियों के निशान हासिल कर सकते हैं। इन ब्लड स्टेन के जरिए शीबा के परिजनों की डीएनए प्रोफाइलिंग की जा सकती है। जिससे कि आरोप साबित करने में मदद मिलेगी। ये सब इसलिए किया जाएगा ताकि शीबा का सिर ना भी मिले तो डीएनए से अदालत में ये साबित किया जा सके कि ये लाश शीबा की ही है।
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