इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विधायक अब्बास अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका नामंजूर की
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विधायक अब्बास अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका नामंजूर की
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कथित तौर पर अवैध रूप से हथियार खरीदने के मामले में ‘भगोड़ा’ घोषित किए जा चुके सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक अब्बास अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका सोमवार को नामंजूर कर दी।
अदालत ने इससे पहले अर्जी पर 26 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
न्यायमूर्ति डी. के. सिंह की पीठ ने यह कहते हुए अंसारी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी कि उन पर लगाए गए आरोप गंभीर किस्म के हैं और उन्हें पहले ही ‘भगोड़ा’ घोषित किया जा चुका है।
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पीठ ने मऊ सीट से विधायक अब्बास अंसारी से कहा कि वह संबंधित अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करें और अदालत उनकी याचिका पर त्वरित रूप से सुनवाई करेगी।
अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में निचली अदालत द्वारा अभियुक्त को सात बार समन व दो बार जमानतीय वारंट जारी किया जा चुका है, बावजूद इसके अभियुक्त हाजिर नहीं हुआ।
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उच्च न्यायालय ने कहा कि इन सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद, यह अदालत आरोपी को अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं पाती है।
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लखनऊ की एमपी/एमएलए (सांसद/विधायक) अदालत ने माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी को पिछले सप्तााह ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया था जिसके बाद गत शनिवार को लखनऊ पुलिस ने अब्बास के गाजीपुर स्थित आवास पर नोटिस चस्पा कर दिया था।
अब्बास अंसारी लंबे समय से फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की आठ टीमें बनाई गई हैं। पुलिस उनकी तलाश में दिल्ली, लखनऊ, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, मऊ समेत कई स्थानों पर छापेमारी की कार्रवाई कर रही है।
गौरतलब है कि महानगर पुलिस थाने के तत्कालीन प्रभारी अशोक सिंह ने 12 अक्टूबर 2019 को विधायक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि अब्बास अंसारी ने लखनऊ से बंदूक का लाइसेंस प्राप्त किया और इसका स्थानांतरण दिल्ली कराया, जहां पर उन्होंने कई हथियार खरीदे। पुलिस ने इस मामले में उनके खिलाफ 24 दिसंबर 2020 को आरोप पत्र दाखिल किया।
भाषा सं सलीम जफर धीरज
धीरज
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