सहारनपुर सुसाइड केस Update : 10 करोड़ के धोखे ने ली ज्वेलर दंपति की जान, तफ्तीश में सामने आई चौंकाने वाली कहानी!

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सहारनपुर सुसाइड केस Update : 10 करोड़ के धोखे ने ली ज्वेलर दंपति की जान, तफ्तीश में सामने आई चौंकाने वाली कहानी!
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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सहारनपुर सुसाइड केस में सबसे बड़ा खुलासा

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इस तरह चढ़ी करोड़ों रुपयों की देनदारी थी

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किटी पार्टी करता था सौरभ

Saharanpur Couple Suicide: सहारनपुर में सराफा कारोबारी सौरभ बब्बर (Saurabh Babbar) और उसकी पत्नी के सुसाइड केस में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सौरभ के ऊपर कितना कर्जा था और ये कर्जा कैसे उस पर चढ़ गया, इस बात का अब पता चला गया है। 12 सालों से सौरभ किशुनपूरा इलाके में श्री साई नाम से ज्वेलरी की दुकान चला रहा था। इसके साथ-साथ वो किटी गोल्ड कमेटी भी चलाता था। वो व्यवहार-कुशल था, इसलिए लोग उस को अच्छा मानते थे और उस पर विश्वास करते थे। उसकी दुकान की सेल भी ठीक-ठाक था। पहले कुछ लोग उससे जुड़े थे, लेकिन धीरे-धीरे जब उसने कमेटियां देनी शुरू की तो लोगों को उस पर विश्वास और बढ़ गया। ऐसा करते-करते करीब 1400 लोग उसके ग्रुप से जुड़ गए थे। 

कमेटी भी चलाता था सौरभ

जांच में पता चला है कि सौरभ के कमेटी (Committee) के 7 ग्रुप चल रहे थे। हर ग्रुप में 200 मैंबर्स थे। यानी करीब 1400 मैंबर्स सौरभ के पास कमेटी डालते थे। हरेक शख्स उसे महीने के 2000 रुपए देता था। इस हिसाब से उसके पास हर महीने 28 लाख रुपए आते थे। ये कमेटी 20 महीने की थी। यानी हरेक शख्स 20 महीने तक उसे 40 हजार रुपए देता था। इस हिसाब से 20 महीनों के अंदर सौरभ के पास करीब पांच करोड़ 60 लाख रुपए आ गए थे। ये रुपए सौरभ ने एक ज्वैलर्स को दे दिए थे ताकि वो पैसों के बदले सोने के कई जेवरात उसे बना कर दे और वो जेवरातों को अपने-अपने मैंबर्स को दे दे। 

अब यहां झोल क्या हुआ?  

लेकिन जिस ज्वैलर्स को सौरभ ने पैसे दिए थे, वो दुबई भाग गया और सौरभ का ये पैसा डूब गया। उसने कई और लोगों से पैसे लिए और देनदारों (जिनसे दो-दो हजार रुपए हर महीने लिए थे) को पैसे देने शुरू किए, लेकिन उसकी इतनी आमदनी नहीं थी, इस वजह से वो तनाव में था। वो कर्जदारों को ब्याज देते-देते थक गया था। दूसरी तरफ वो लोग (जिन्होंने कमेटियां डाली थी) भी उसके पास तकादा करने लगातार आ रहे थे। वो अपने पैसे उससे मांग रहे थे, लेकिन सौरभ ब्याज चुकाता या उनको पैसे देता, इस तरह वो कर्ज का ब्याज देते-देते और गोल्ड किटी कमेटी के दलदल में फंस गया था।

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किटी पार्टी करता था सौरभ और बिल भी खुद देता था

जांच में पता चला है कि सौरभ बब्बर महंगे होटलों में किट्टी पार्टी करता था। इन पार्टियों के बिलों का भुगतान करता था। यानी ये दिखावा भी उसको भारी पड़ गया। ये बात भी सुनने में आ रही है कि लॉटरी निकालकर इसी रकम में से विजेता सदस्यों को सोने-चांदी के आभूषण देकर उन्हें कमेटी से बाहर कर दिया जाता था। शेष सदस्य अगले माह फिर कमेटी जमा कर लाटरी में हिस्सा लेते थे। इन बातों से परेशान होकर दंपत्ति ने ये खुदकुशी का कदम उठाया। 

क्या शेयर मार्केट में निवेश किए थे रुपए?

सौरभ ने इस रकम का एक बड़ा हिस्सा शेयर मार्केट में इनवेस्ट किया था। उसे शेयर मार्केट में बड़ा नुकसान हुआ और सौरभ कर्जदार हो गया। कुछ ऐसे सूदखोर जो शेयर मार्केट में पैसा लगाने के लिए 20 से 50 प्रतिशत की दर पर पैसा उधार देते हैं, उन्होंने सौरभ को पैसा देना शुरू किया। सौरभ को लगा कि शेयर मार्केट में गए पैसे को वापस लाने का यही एक तरीका है लेकिन ये तरीका नहीं था बल्कि एक ऐसी दलदल थी जिसमें सौरभ फंसता चला गया। 

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एक ये भी थ्योरी सामने आ रही है!

कर्जदार होने के बाद अब इन लोगों का ब्याज भरने की बारी थी। ऐसे लोगों का ब्याज भर-भरकर अब सौरभ खाली हो चुका था। इसकी भी एक वजह थी, अगर सौरभ इस बात को उजागर कर देता कि वह कर्जदार हो चुका है तो जिन लोगों का करोड़ों रुपया उसने इकट्ठा किया था वो सौरभ के घर पर आकर बैठ जाते। ऐसे हालातों में अपनी सारी चल और अचल संपत्ति सौरभ को बेचनी पड़ जाती। उधर कथित सूदखोरों का दबाव भी बढ़ता जा रहा था। 

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क्या कहना है पुलिस का?

रानीपुर थाना के प्रभारी विजय सिंह ने बताया कि महिला का शव अभी नहीं मिला है और उसकी तलाश की जा रही है। विजय सिंह ने बताया कि जानकारी मिली है कि सौरभ पर करीब 10 करोड़ रुपये का कर्ज था। विजय सिंह ने बताया कि आत्महत्या से पहले सौरभ और उनकी पत्नी ने जो नोट लिखा उसमें यही दर्ज किया है कि वह कर्ज के दलदल में इस कदर फंसे हैं कि अब बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा और इसलिए वे अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं। सुसाइड नोट (Suicide Note) में सौरभ ने अपनी दुकान व मकान दोनों बच्चों के लिए छोड़ने की बात लिखी। सुसाइड नोट में लिखा कि ‘‘हमने उन्हें अपने नाना-नानी के पास छोड़ दिया है क्योंकि उन्हें केवल उन्हीं पर भरोसा है।’’ 

क्या कहना है सौरभ के पिता का?

मृतक व्यापारी सौरभ बब्बर के पिता दर्शनलाल ने कहा - हमें यकीन नहीं था कि सौरभ कभी ऐसा करेगा। वो हम लोगों को जिंदगी भर का गम दे गया। कर्ज के बारे में पता होता तो उससे बात करते, समझाते। ये कदम नहीं उठाने देते, लेकिन उसने कभी जिक्र नहीं किया। सौरभ शुक्रवार की रात (9 अगस्त) अपनी पत्नी मोना और दो बच्चों को लेकर ससुराल गया था। फिर वहां बच्चों को छोड़कर और पत्नी को लेकर हरिद्वार निकल गया। लोगों से पता चला कि हरिद्वार में गंगा में कूदकर उन्होंने जान दे दी। छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनको छोड़ गया। घटना के दो दिन पहले उससे मिला था। बहू को लेकर घर आता रहता था, लेकिन कभी ऐसा नहीं लगा कि इतना बड़ा कदम उठा लेगा। कर्ज या लेनदेन का पता होता तो उससे बात करते, समझाते। ये कदम नहीं उठाने देते, लेकिन उसने कभी जिक्र ही नहीं किया।

सौरभ पिछले 12 सालों से ज्वैलरी शॉप चला रहा था

पता चला है कि सौरभ शादी के बाद से अलग रहता था। सौरभ की 12 साल से किशुनपूरा में ज्वैलरी शॉप थी। दंपति के दो बच्चे हैं। बेटी 11 साल की और बेटा 7 साल का। सुसाइड नोट में अपना दर्द बयां करते हुए सौरभ ने लिखा कि ब्याज दे-देकर परेशान हो चुके हैं, अब और ब्याज नहीं दिया जा रहा, इसलिए आत्महत्या कर रहे हैं, जहां से भी आत्महत्या करेंगे, वहां से सेल्फी भेज देंगे। नदी में कूदने से पहले सौरभ ने आखिरी कॉल परिजनों को ही किया था, जिसकी रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

और सबकुछ बर्बाद हो गया

इसमें सौरभ कह रहा है कि यह वीडियो सबको दिखा देना, हम हरिद्वार में हैं और अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं, यहां से छलांग लगाने जा रहे हैं। साईं भक्त था परिवार, हर माह करता था भंडारा। सौरभ का परिवार काफी धार्मिक प्रवृत्ति का था तथा शिरडी साईं का भक्त था। सौरभ ने हाल ही में बाइक खरीदी थी। वह हर माह भंडारा भी कराता था। बीते रविवार की रात सौरभ बब्बर पत्नी मोना बब्बर के साथ हरिद्वार गए थे। सोमवार को उनका शव हरिद्वार में हर की पेड़ी पर मिला है। पत्नी अभी तक लापता है। दोनों गंग नहर में कूद गए थे। पुलिस हरेक एंगल से मामले की तफ्तीश में जुटी हुई है। 

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