सात साल के बच्चे ने पांच साल की बच्ची का रेप किया, केस दर्ज लेकिन पुलिस कुछ कर नहीं सकती, जानिए क्यों?
Kanpur News: कानपुर के अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र में सोमवार देर रात हुई ताजा घटना में पांच साल की बच्ची ने सात साल के लड़के के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है.
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Kanpur News: कानपुर के अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र में सोमवार देर रात हुई ताजा घटना में पांच साल की बच्ची ने सात साल के लड़के के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया है. हालांकि मामला दर्ज कर लिया गया है, लेकिन 12 साल से कम उम्र के बच्चों से संबंधित विशिष्ट कानूनों के कारण कानूनी कार्रवाई फिलहाल रुकी हुई है. विशेषज्ञों के अनुसार, 12 साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है, लेकिन उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. जिसके चलते पुलिस जिम्मेदार एजेंसियों के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए बच्चे की काउंसलिंग कराने की तैयारी कर रही है.
कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में 17 सितंबर की शाम पड़ोस के बच्चे खेल रहे थे. कथित तौर पर सात साल का लड़का पांच साल की बच्ची को अपने घर ले गया. आरोप है कि उसने उसके साथ दुष्कर्म किया. इसका पता चलने पर और रोती हुई बच्ची जब अपने घर पहुंची तो उसकी मां पड़ोसी से भिड़ गई. इससे परिवारों के बीच विवाद शुरू हो गया, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय पुलिस स्टेशन में लड़के के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया. कोतवाली पुलिस अधिकारी सतीश सिंह ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट और अन्य संबंधित जानकारी एकत्र की जाएगी और अदालत के आदेश के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
एक मासूम बच्चे के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप ने ग्रामीणों को सदमे में डाल दिया है और कई लोगों के लिए इस पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है. अकबरपुर सीईओ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि क्षेत्र में इस तरह का यह पहला मामला है और बच्चों की उम्र कम होने के कारण दंडात्मक कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है. पुलिस कानूनी प्रक्रियाओं और अदालत के निर्देशों के अनुसार जांच करेगी. भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए परिवीक्षा विभाग आरोपी बच्चे को परामर्श प्रदान करेगा.
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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह के मुताबिक सात साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ आपराधिक अपराध में मुकदमा दर्ज करने का कोई प्रावधान नहीं है. हालाँकि, सात से बारह वर्ष की आयु के बच्चों द्वारा किए गए अपराधों की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई जा सकती है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 82 के तहत सजा का कोई प्रावधान नहीं है. आरोपी बच्चे के पुनर्वास और काउंसलिंग पर फोकस रहेगा.
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