Kolkata Rape & Murder का वो सच जो हर कोई जानना चाहता है, ये रेप है या गैंगरेप? ऐसे खुलेगा राज़
कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की वारदात का सबसे चौंकाने वाला पहलू था पीड़िता के जिस्म से 150 ml वीर्य (Semen) पाया जाना। इतनी बड़ी मात्रा में वीर्य के मिलने ने पुलिस के मन में शक पैदा किया कि कहीं ये वारदात रेप के बजाए गैंगरेप की तो नहीं है? मगर इस गुत्थी को सुलझाने का तरीका भी सीबीआई ने निकाल लिया है। बस लाश से बरामद वीर्य के साइंटिफिक टेस्ट की रिपोर्ट आते ही पता लग जाएगा कि ये घटना करने वाला अकेला संजय रॉय था या उसके साथ कोई और भी शामिल था।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
पलट जाएगी साज़िश की पूरी कहानी?
बड़ा सवाल: ये रेप है या गैंगरेप?
CBI के सामने अब तक फंसा है पेच
Kolkata Doctor Murder Case: कोलकाता के RG Kar Medical College की जिस जूनियर डॉक्टर के साथ दरिंदगी का जो सच हर कोई जानना चाहता है, वो यही है कि ये केस रेप का है या फिर गैंगरेप का? अगर मामला रेप का है तो फिर आरोपी के तौर पर संजय रॉय पिछले 12 दिनों से पहले कोलकाता पुलिस (Kolkata Police) और अब सीबीआई (CBI) की गिरफ्त में है। यानी केस आईने की तरह साफ़ है। पर अगर मामला गैंगरेप का है, तो फिर पूरी साज़िश की कहानी ही पलट जाएगी। पर सवाल ये है कि इस सच का जवाब देगा कौन? और इस सच का जवाब सामने आने में इतनी देरी क्यों हो रही है? कोलकाता का सीएफएसएल (CFSL) यानी सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेब्रोटरी से वो सच और रिपोर्ट बाहर आनी है, जो इन दोनों सवालों के जवाब देगी। जवाब ये कि मामला रेप का है या फिर गैंग रेप का? सूत्रों के मुताबिक कोलकाता पुलिस ने जांच के नमूने इसी सीएफएसएल में भेजे हैं। पर सवाल ये है कि सीएफएसएल को ये रिपोर्ट देने में इतना वक़्त क्यों लग रहा है। जबकि कायदे से ये रिपोर्ट एक से दो दिन में सामने आ जानी चाहिए थी।
पलट जाएगी साज़िश की कहानी?
दरअसल रेप के मामले में फॉरेंसिक एक्सपर्ट (Forensic Expert) पीड़ित के वेजाइना (Vagina) से दो नमूने उठाते हैं। एक स्वैब (Swab) और दूसरा स्लाइड (Slide)। ये नमूने रूई से उठाए जाते हैं। इसके बाद स्वैब और स्लाइड के ज़रिए विक्टिम का डीएनए प्रोफाइल (DNA Profile) निकाला जाता है। अगर सस्पेक्ट यानी संदिग्ध आरोपी पुलिस हिरासत में है, तो फिर उसका ब्लड सैंपल (Blood Sample) लिया जाता है। उस ब्लड सैंपल के जरिए उसका भी डीएनए प्रोफाइल निकाला जाता है। इसके बाद उस डीएनए प्रोफाइल का वेजाइना से लिए गए स्वैब और स्लाइड के डीएनए प्रोफाइल से मिलान कराया जाता है। अगर दोनों के डीएनए प्रोफाइल मिल गए, तो मतलब साफ है कि संदिग्ध ही गुनहगार है। इस केस में पहले दिन से ही संजय रॉय नाम का आरोपी कोलकाता पुलिस की हिरासत में था। फिलहाल अब वो सीबीआई की हिरासत में है। सूत्रों के मुताबिक कोलकाता पुलिस ने संजय रॉय का ब्लड सैंपल पीड़ित के नमूनों के साथ दस अगस्त को ही सीएफएसएल को भेज दिए थे। कायदे से जब विक्टिम और आरोपी दोनों के नमूने मौजूद हों, तो ऐसे में फॉरेंसिक रिपोर्ट आने में ज्यादा से ज्यादा दो दिन का वक़्त लगता है। लेकिन फिलहाल ये पता नहीं है कि सीएफएसएल ने सीबीआई को ये रिपोर्ट सौंप दी है और सीबीआई इस पर खामोश है या फिर अब तक ये रिपोर्ट सीबीआई को सौंपी ही नहीं गई है। आजतक ने इस बारे में सीएफएसएल कोलकाता के डॉयरेक्टर बृजेंद्र बदोनिया से फोन पर बात की। लेकिन उन्होंने इस रिपोर्ट या केस के बारे में कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया।
वेजाइनल स्वैब और स्लाइड के डीएनए प्रोफाइल से मिलान
अब सवाल ये है कि फॉरेंसिक रिपोर्ट ये कैसे बताती है कि मामला रेप का है या गैंगरेप का? असल में रेप विक्टिम (Rape Victim) के वेजाइना से जो स्वैब और स्लाइड के नमूने लिए जाते हैं, उसकी तो डीएनए प्रोफाइलिंग होती ही है। पर साथ में अगर जांच में उस पीड़ित के डीएनएल प्रोफाइलिंग में एक से ज्यादा डीएनए प्रोफाइल मिलता है, तो इसका मतलब है पीड़ित के साथ एक से ज्यादा लोगों ने रेप किया है। पर वो एक से ज्यादा कौन लोग हैं, इसका पता तभी लग सकता है जब बाकी संदिग्धों का डीएनए प्रोफाइल विक्टिम के शरीर में मौजूद संदिग्धों के डीएनए प्रोफाइल से मैच कर जाए। अब इसे ऐसे समझिए। कोलकाता जूनियर डॉक्टर (Junior Doctor) यानी विक्टिम और आरोपी संजय रॉय दोनों के सैंपल सीएफएसएल के पास हैं। विक्टिम के शरीर में मौजूद संदिग्ध के डीएनए प्रोफाइल का मिलान संजय के डीएनए प्रोफाइल से हो गया, तो इसका मतलब है कि संजय ही गुनहगार है। लेकिन अगर विक्टिम के शरीर में मौजूद डीएनए प्रोफाइल की तादाद ज्यादा हुई, जिसमें संजय के अलावा कुछ अंजान डीएनए प्रोफाइल भी हैं, तो मतलब साफ है केस गैंगरेप का है।
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ये रेप है या गैंगरेप
आपको याद होगा कोलकाता के एक डॉक्टर ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से ये दावा किया था कि जूनियर डॉक्टर के वेजाइनल स्वैब और स्लाइड से 151 मिलीलीटर व्हाइट लिक्विड मिला है। जिसमें कुछ म्यूकस और दो-तीन चीज़ें औरहो सकती हैं। बाकी ज्यादातर मात्रा सीमन है। डॉक्टरों के मुताबिक एक औसत भारतीय आदमी का सीमन पांच एमएल के आस-पास होता है। डॉक्टर साहब के इसी एक बयान ने गैंगरेप की थ्योरी को हवा दे दी। जबकि डॉक्टर साहब के ये दोनों दावे ही गलत हैं। 151 एमएल व्हाइट लिक्विड में ज्यादातर हिस्सा म्यूकस, पानी और दूसरी चीज़ों के हैं। पर मान भी लीजिए कि 151 एमएल में से 101 मिलीलीटर म्यूकस और बाकी चीज़े हैं और 50 मिलीलीटर सीमन, तो इन डॉक्टर साहब के ही दावे के हिसाब से अगर एक औसत भारतीय का सीमन पांच मिलीलीटर होता है, तो इस हिसाब से दस लोगों ने गैंगरेप किया है। दूसरा दावा औसत भारतीय के पांच मिलीलीटर सीमन की जहां तक बात है, तो देश के तमाम एक्सपर्ट्स का दावा है कि एक औसत भारतीय का सीमन की मात्रा अधिकतम 2 से ढाई मिलीलीटर होती है। जिन डॉक्टर साहब ने 151 मिलीलीटर की बात को हवा दी है, वो ना तो पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की टीम में थे और ना ही उन्होंने पीड़ित की लाश देखी थी। वो ये दावा बस पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़कर कर गए थे।
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