जालौन में पत्नी को चिता पर लिटाते ही पति ने तोड़ दिया दम, रुला देगी सात जन्मों के वचन की ये कहानी

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जालौन में पत्नी को चिता पर लिटाते ही पति ने तोड़ दिया दम, रुला देगी सात जन्मों के वचन की ये कहानी
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Uttar Pradesh: ये घटना यूपी के जालौन की है। पत्नी को चिता पर लिटाते ही पति ने प्राण त्याग दिए। इस घटना से हर कोई हैरत में है। कहते हैं कि सात फेरों के साथ पति पत्नी सात जन्म तक वादा निभाने की कसमें खाते हैं। एक दूसरे को वचन देते हैं। जालौन में सात जन्म तक जीने मरने के वादों को सच करने वाली दर्दनाक कहानी सामने आई है। यूपी के जालौन में पत्नी की मौत के कुछ ही देर बाद पति ने भी दम तोड़ दिया। पत्नी के साथ साथ पति की मौत के बाद पूरे खानदान में मातम का माहौल छा गया।

इस घटना से हर कोई हैरत में

दरअसल दिल को झकझोर देने वाला ये मामला जालौन के हिर्देशशाह मोहल्ले में सामने आया। जानकारी के मुताबिक 78 साल के मगन लाल प्रजापति अपनी 74 साल की पत्नी पार्वती देवी के साथ यहां रहते थे। मगन लाल के तीन बेटे हैं जो साथ में ही रहते हैं। ये पूरा परिवार मिल जुलकर खुशी खुशी जिंदगी गुजर बसर कर रहा था। बीते रविवार को मगनलाल की पत्नी पार्वती की तबीयत अचानक खराब हो गई। पार्वती को तेज बुखार आया और उनकी हालत बिगड़ने लगी। परिजनों ने पार्वती को नजदीक के असपताल पहुंचाया। 

पत्नी को चिता पर लिटाते ही पति ने भी त्यागे प्राण

पार्वती की हालत बिगड़ती ही जा रही थी लिहाजा डॉक्टरों ने उन्हें हयर सेंटर रेफर कर दिया। परिजनों के मुताबिक हायर सेंटर ले जाते वक्त रास्ते में ही पार्वती की मौत हो गई। पत्नी की मौत की खबर पाकर मगन लाल बेसुध हो गए। सोमवार को पार्वती का शव घर पर लाया गया। मगनलाल पत्नी की मौत से बेहद टूट चुके थे। गर्मी ज्यादा थी लिहाजा मगन लाल के बेटों ने पार्वती के शव का जल्द अंतिम संस्कार करने का फैसला किया और पार्थिव शरीर को लेकर श्मशान घाट के लिए रवाना हो गए।

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क्या है पूरा मामला 

इधर मगन लाल के बेटे अपनी मां पार्वती का अंतिम संस्कार कर रहे थे कि तभी बुरी खबर आई। बुरी खबर ये थी की पत्नी के गम में पति मगनलाल की भी मौत हो गई। ये खबर मिलते ही मगन लाल के बेटे घर की तरफ भागे तो घर में मगन लाल की लाश पड़ी थी। आनन फानन में बेटों ने अपने पिता मगन लाल के भी अंतिम संस्कार की तैयारी की। मगन लाल के शव को भी श्मशान घाट ले जाया गया। यहां पर बेटों ने अपने माता-पिता के लिए एक ही चिता बनाई और बड़े बेटे अनूप चंद्र ने दोनों को मुखाग्नि दी। इस तरह पति पत्नी पंचतत्व में विलीन हो गए।

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