यूपी के इस IPS अफसर का 8 साल में 18 बार ट्रांसफर, जानिए कौन हैं आईपीएस प्रभाकर चौधरी
IPS Prabhakar Chaudhary Transfer: उत्तर प्रदेश के बरेली में आईपीएस प्रभाकर चौधरी के तबादले की खबर जोरों पर है.
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IPS Prabhakar Chaudhary Transfer: उत्तर प्रदेश के बरेली में आईपीएस प्रभाकर चौधरी के तबादले की खबर जोरों पर है. कांवरियों पर लाठीचार्ज के मामले के तीन घंटे के भीतर उन्हें बरेली के एसएसपी पद से हटा दिया गया और लखनऊ की 32वीं वाहिनी पीएसी में स्थानांतरित कर दिया गया. सरकार की ओर से यह ट्रांसफर रविवार रात करीब 10 बजे जारी किया गया. इससे जुड़ी चर्चाओं और विवादों का बाजार गर्म हो गया है. उन्हें एसपी से आर्मी कमांडर के पद पर बनाये जाने की भी चर्चा है. इसमें कहा गया है कि उनका कद घटा दिया गया है. सीतापुर के एसपी सुशील चंद्रभान धुले को बरेली का नया एसएसपी नियुक्त किया गया है। दरअसल, रविवार शाम 7 बजे कांवड़ियों के साथ लाठीचार्ज की घटना के बाद ही ट्रांसफर आदेश जारी किया गया था.
कौन हैं प्रभाकर चौधरी?
प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वह अंबेडकरनगर जिले का रहने वाला है. उनके पिता का नाम पारस नाथ चौधरी है. प्रभाकर चौधरी ने अपने पहले प्रयास में ही सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की. उनका चयन आईपीएस के पद पर हुआ. वह उत्तर प्रदेश कैडर में तैनात थे. प्रभाकर चौधरी देवरिया, बिजनौर, बलिया, बुलन्दशहर और कानपुर देहात में एसपी के पद पर काम कर चुके हैं.
कार्रवाई क्यों की गई?
प्रभाकर चौधरी के तबादले को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं. कुछ लोग इसकी वजह बरेली में कांवड़ियों पर हुए लाठीचार्ज को बता रहे हैं. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि एसएसपी का बयान ही कार्रवाई का कारण बना है. दरअसल, लाठीचार्ज के बाद एसएसपी ने कहा था कि कांवड़ियों के बीच कुछ गलत लोग नशे में थे. उसके पास अवैध हथियार थे. एसएसपी के इस बयान को लेकर मीडिया का एक वर्ग तबादले की बात कर रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ की कानून व्यवस्था की बात को आधार बनाया जा रहा है. लोग कह रहे हैं कि जिस कैप्टन ने बरेली को दंगे से बचाया उसके खिलाफ कार्रवाई हो रही है.
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18 बार ट्रांसफर, 5 जिलों की कप्तानी
ट्रेनिंग के कार्यकाल को छोड़कर जनवरी 2015 से जुलाई 2023 तक 8 साल के करियर में प्रभाकर चौधरी का 18 बार ट्रांसफर किया गया, जिसमें 15 जिलों की कप्तानी भी शामिल है.
चाहे वह झाँसी जिले के GRP बंगले पर अवैध कब्जे का मामला हो या सोनभद्र का उम्भा कांड, सीतापुर में वकीलों का उपद्रव हो या मथुरा में स्थानीय नेता से गतिरोध या फिर बरेली में कावड़ियों के उपद्रव को रोकने की कोशिश, प्रभाकर चौधरी ने सदैव जिले की कानून व्यवस्था से कोई समझौता नहीं किया.
अपराधी हो या सत्ताधारी दल का बड़ा नेता, प्रभाकर चौधरी जन सुनवाई पर कार्रवाई करने वाले अधिकारी हैं. उन्होंने अपराधियों के साथ जीरो टॉलरेंस पर काम किया और अच्छा काम करने वाले पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहित किया. उन्होंने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार करने वालों को कानून की ताकत का एहसास कराया. इसलिए, प्रभाकर चौधरी की गिनती उन पुलिस अधिकारियों में की जाती है जो अपने काम में ईमानदारी और समर्पण के साथ लोगों की सेवा कर रहे हैं।
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