दिल्ली में कैंसर की नकली दवा बेचने वाले इंटरनेशनल रैकेट का भंडाफोड़, दिल्ली से मिस्र और टर्की तक फैला जाल
क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने विदेशी नागरिक को भी गिरफ्तार किया है जो विदेश से प्रतिबंधित दवा भारत ले आता था। ये विदेशी नागरिक सीरिया का रहने वाला है।
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Delhi: दिल्ली पुलिस ने प्रतिबंधित 'जीवन रक्षक' कैंसर दवाओं के अंतर्राष्ट्रीय सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने उस विदेशी नागरिक को भी गिरफ्तार किया है जो विदेश से प्रतिबंधित दवा भारत ले आता था। ये विदेशी नागरिक सीरिया का रहने वाला है। आरोप है की मुनीर अहमद नाम का ये सीरिया का निवासी तुर्की, मिस्र और भारत के बीच दवाइयों की आपूर्ति करता था। इसके अलावा पुलिस ने इस सिंडिकेट के चार लोगो को गिरफ्तार किया है। इनमे दवाओं के थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता और फार्मासिस्ट शामिल है।
कैंसर की नकली दवा बेचने वाला रैकेट
पुलिस ने इनके पास से करोड़ों रुपये मूल्य की कई अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड लाइफ सेविंग्स, कैंसर और मधुमेह की दवाएं जब्त की गईं। पुलिस के मुताबिक जब्त की गई दवाइयां भारत में प्रतिबंधित थीं। साइबर सेल, क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह को जानकारी मिली थी की दिल्ली और एनसीआर के इलाके में कुछ दवा विक्रेता और साथ में थोक विक्रेता अवैध रूप से अपंजीकृत जीवन रक्षक दवाएँ जिनमें कैंसर रोधी दवाएँ शामिल है, बेच रहे हैं। पुलिस के मुताबिक मुनीर मिस्र से इन दवाओं को भारत लाता था।
दिल्ली से इजिप्ट और टर्की तक फैला काला कारोबार
पुलिस के मुताबिक ये दवाएं ZELBORAF 240 MG TABLET, OPDIVO, LENVIMA, ERBITUX, OZEMPIC 0.25 MG INJECTION, REVOLADE, OPDYTA, PEMBROLIZUMAB INJECTION और VENCLYXTO 100 MG TABLET हैं। ये विदेशी नागरिक भारत से वापिस जाते वक्त अपने साथ Soranib tablet, Glivec tablet, Remiven tablet, Herti injection, Palnat tablet और Regorafenib injection इन दवाओं को मिस्र लेकर जाता था। जब पुलिस को इस रैकेट के बारे में जानकारी मिली थी तो इसके बाद एक टीम बनाई गई। इस गैंग की पहली जानकारी 4 अप्रैल को पुलिस टीम को मिली। जानकारी मिलने के बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सबसे पहले दवा विभाग के अधिकारियों से मिली उन्हे अपनी रेड में शामिल किया, साथ में पुलिस ने संबंधित दवा कंपनी के कर्मचारियों को भी अपने साथ लिया।
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तीन टीम ने की एक साथ छापेमारी
पहली टीम लाल किले के पास भागीरथ प्लेस के दवा बाजार पहुंची जहां पर मुखबिर की निशानदेही पर पुलिस ने भागीरथ पैलेस में स्थित मेसर्स श्री राम इंटरनेशनल ट्रेडर्स पर छापा मारा। यह पर पुलिस ने काफी संदिग्ध विदेश से मंगाई दवा जब्त की। पुलिस ने इस दुकान से करीब डेढ़ करोड़ की दवा जब्त की। इन दवाओं की सैंपल ड्रग्स इंस्पेक्टर ने लिया। पुलिस के मुताबिक यह पता चला कि दुकान का मालिक अपंजीकृत जीवन रक्षक दवाएँ बेच रहा था। इसके बाद, दूसरी छापेमारी टीम ने ड्रग इंस्पेक्टर के अधिकारियों और स्पैन कंसल्टेंसी के प्रतिनिधियों के साथ दिल्ली के दरियागंज स्थित टेरी व्हाइट लाइफ केयर नामक एक अलग दवा विक्रेता पर भी छापा मारा। दुकान की तलाशी के दौरान विदेशी आयातित दवाओं के संदिग्ध स्टॉक के साथ-साथ लगभग 2.5 करोड़ रुपये मूल्य के अन्य व्यापारिक स्टॉक पाए गए। इन दवाओं के सैंपल भी ले लिए गए हैं।
इजिप्ट में बैठा है मास्टरमाइंड
पुलिस का कहना है की जिन दवाओं को जब्त किया गया है वो विदेश से मंगाई गई है और भारत में बिक्री और वितरण के लिए अधिकृत नहीं हैं। दिल्ली पुलिस का कहना है किसके बाद जांच के दौरान उन्हें पता चला कि दरअसल यह पूरा जो सिंडिकेट है वो विदेशी नागरिकों की मदद से चलाया जा रहा था। दिल्ली पुलिस की तीसरी टीम को जानकारी मिली थी सीरिया का रहने वाला मुनीर अहमद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास आने वाला है इसके बाद पुलिस ने ट्रैप लगाकर मुनीर अहमद को गिरफ्तार कर लिया।
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सीरियाई नागरिक समेत 4 गिरफ्तार
पूछताछ के दौरान उसने बताया कि वह तुर्की, मिस्र और भारत के बीच दवाओं की आपूर्ति करने के लिए एक कुरियर के रूप में काम करता है और तुर्की और मिस्र की दवाओं को भारत और तुर्की और मिस्र के बाजार में भारतीय दवाओं की आपूर्ति करता है। उसके पास से एक मोबाइल फोन और मिस्र और सीरिया के दो पासपोर्ट, मिस्र और तुर्की के दो आई कार्ड बरामद किए गए। इसके अलावा, यह भी पता चला है कि इस सिंडिकेट का सरगना भी एक विदेशी नागरिक है और मिस्र से सिंडिकेट को संचालित कर रहा है।
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नकली दवा बेचने वाले सिंडिकेट
पूरे मामले में दिल्ली पुलिस ने अब तक कोई चार गिरफ्तारियां की है जिनमें से एक मुनीर है। गिरफ्त में आए दूसरे शख्स का नाम नवीन आर्य है। चालीस साल का नवीन पीएचडी हैं, एलएलबी एलएलएम हैं और पिछले 4 वर्षों से श्री राम इंटरनेशनल ट्रेडर को चला रहा था। नवीन ने बताया की जल्दी से जल्दी पैसा कमाने के लिए उसने ये किया था। साथ में उसने एमआर से बिना बिल के जब्त दवा खरीदी थी। जबकि तीसरे आरोपी का नाम सौरभ गर्ग है। 34 वर्ष का सौरभ 12वीं पास है और टैरी व्हाइट लाइफ केयर चलाता है। उसकी पिछली फर्म, जिसका नाम अश्वनी था, को भी ड्रग डिपार्टमेंट ने जब्त कर लिया था। पूछताछ के दौरान आरोपी सौरभ गर्ग ने खुलासा किया कि उसने उसने अलग अलग विक्रेताओं से जीवन रक्षक दवाइयां खरीदी हैं।
भारत की दवाओं को तुर्की और मिस्र के बाजार में आपूर्ति
जबकि चौथे आरोपी का नाम है करण खनेजा है। 27 साल का कारण टैरी व्हाइट लाइफ केयर को संभालता है। सीरिया के रहने वाले मुनीर ने बताया था कि वह आमतौर पर भागीरथ प्लेस स्थित मेडिकल मार्केट जाता था और नवीन आर्य, श्रीराम इंटरनेशनल ट्रेडर के निदेशक और टैरी व्हाइट लाइफ केयर के निदेशक सौरभ गर्ग और करण खानेजा को तुर्की और मिस्र से आयातित दवाइयां सप्लाई करता था। इसके अलावा, उसने खुलासा किया कि वह मिस्र के सिंडिकेट के लिए काम करता है और मिस्र और तुर्की से भारत में कैंसर व जीवनरक्षक दवाओं की तस्करी करता है। मध्य पूर्व के देशों में जीवन रक्षक दवाइयाँ भारत से सस्ती हैं। उदाहरण के लिए, तुर्की के लिए निर्मित BMS कंपनी के उत्पाद ओपडिवो इंजेक्शन की कीमत 30,000 रुपये है जबकि भारत में उसी इंजेक्शन की कीमत 1 लाख रुपये है। अंतर्राष्ट्रीय सिंडिकेट के भारतीय कनेक्शन की जांच की जा रही है।
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