8 साल बाद पिता ने ढूंढ निकाले अपने बेटे के कातिल, पुलिस ने की लापरवाही तो पिता ने इकट्ठा किए सबूत, पुलिस पर सवाल

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8 साल बाद पिता ने ढूंढ निकाले अपने बेटे के कातिल, पुलिस ने की लापरवाही तो पिता ने इकट्ठा किए सबूत, ...
जांच में जुटी पुलिस
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गुरुग्राम से नीरज वशिष्ठ की रिपोर्ट

Gurugram News: गुरुग्राम में एक बाप ने अपने बेटे के न्याय के लिए 8 साल तक लड़ाई लड़ी. दरअसल, 5 जून, 2015 को गुरुग्राम के सेक्टर 57 में रेलवे विहार के पास सड़क हादसे के दौरान छात्र अमित चौधरी अपने चाचा के साथ घर जा रहा था कि उसी दौरान एक अज्ञात वाहन ने अमित को टक्कर मार कर मौके से फरार हो गए. रिपोर्ट के अनुसार अमित की मौत अस्पताल से जाते समय ही हो गई थी. मृतक के पिता ने 8 साल बाद आखिरकार अपने बेटे के कथित कातिलों को निकाल ही लिया.

पिता ने खुद ढूंढे सबूत

जानकारी के अनुसार, मृतक के पिता ने उस दिन सेक्टर 56 पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया गया था. लेकिन पुलिस ने कुछ दिन केस की छानबीन करके केस को बंद कर दिया गया. लेकिन मजबूर बाप ने अपने बेटे के न्याय के लिए रोज पुलिस स्टेशन के कई चक्कर लगाए, लेकिन उसके बेटे को न्याय नहीं मिला. जिसके बाद पिता ने खुद सबूत ढुंढने शुरु कर दिए. जब पिता दुर्घटना स्थल पर पहुंचे तो उन्हें एक टूटा हुआ साइड मिरर और ऐमेटल भाग मिला. जिसके बाद पिता एक मैकेनिक के पास गया. जहां मैकेनिक वाले ने उन्हें बताया कि मिरर मारुति सुजुकी स्विफ्ट वीडीआई का है.

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जनवरी 2016 में पिता ने किया कोर्ट का रुख

जिसके बाद पिता ने मारुति कंपनी से संपर्क किया. जिसके बाद वो कार के शीशे के पीछे प्रिंटेड नंबर की मदद से मालिक का पता लगाया गया. जिसके बाद पिता ने वो नंबर पुलिस को सौंप दिया. इसके बावजूद भी मामले की जांच आगे नहीं बढ़ पाई. जिसके बाद भी पिता ने हार नहीं मानी और जनवरी 2016 में कोर्ट का रुख किया. उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की. न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (JMIC) आकृति वर्मा की अदालत ने जांच अधिकारी से स्थिति रिपोर्ट मांगी. पुलिस ने अप्रैल में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कोर्ट में कहा कि आरोपी का पता नहीं चल पाया है. कोर्ट ने 27 जुलाई को पुलिस की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया.

पिता ने बार-बार की इंसाफ की कोशिश

इतनी निराशा के बाद भी पिता ने हार नहीं मानी और अप्रैल 2018 में फिर से अदालत का रुख किया. लेकिन इस याचिका को तीन महीने बाद खारिज कर दिया गया, कोर्ट ने कहा कि याचिका विचारणीय नहीं थी क्योंकि यह अदालत के पहले के आदेश की समीक्षा के बराबर होगी. हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जितेंद्र सिंह मामले की फिर से जांच कराने के लिए पुलिस स्टेशन के SHO से संपर्क कर सकते हैं. चौधरी ने जनवरी 2023 में फिर से अदालत का रुख किया इस बार उन्होंने उस कार के मालिक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जिसने उनके बेटे को रौंद कर फरार हो गया था. मामले और पुलिस रिपोर्ट की जांच करने के बाद JMIC विक्रांत ने पाया कि शिकायतकर्ता को नोटिस दिए बिना ‘अनट्रेस’ रिपोर्ट को स्वीकार करना गैरकानूनी था. कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य की जांच एजेंसी, पुलिस प्रशासन में एक नागरिक का विश्वास बहाल नहीं किया जाता है तो अदालत अपने कर्तव्य में विफल होगी. कोर्ट ने पुलिस को मामले की फिर से जांच करने का निर्देश दिया.

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आरोपी जल्द होंगे गिरफ्तार

निर्देश के बाद भी जांच आगे नहीं बढ़ाई गई और पुलिस ने अगस्त में एक जवाब प्रस्तुत कर कहा कि जांच अधिकारी अनुपलब्ध था क्योंकि वह उत्तराखंड गया था. कोर्ट ने इस पर पुलिस को फटकार लगाई और इस केस से संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश दिया. पुलिस ने आखिरकार पिछले हफ्ते वाहन के मालिक ज्ञान चंद के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. एक अधिकारी ने कहा कि हम अदालत के आदेशों का पालन करेंगे. चौधरी ने कहा कि घटिया जांच और खामियों के बाद, मुझे उम्मीद है कि मेरे बेटे की हत्या करने वाले व्यक्ति को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया जाएगा और जल्द ही उसे न्याय के कटघरे में लाया जाएगा.

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Note : ये खबर क्राइम तक में internship कर रही निधी शर्मा ने लिखी हैं.

 

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