जब बिहार में हुआ था दुनिया का सबसे बड़ा ट्रेन हादसा, चली गई थी 800 लोगों की जान, भारतीय रेल इतिहास का वो काला दिन
Indias Biggest train Accident: ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना में मालगाड़ी के कई डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई.
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Indias Biggest train Accident: ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना में मालगाड़ी के कई डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई. इस हादसे ने उस ट्रेन के पहले हादसे की यादें ताजा कर दी हैं, जब ट्रेन की सात बोगियां एक पुल तोड़कर नदी में जा गिरी थीं. हालांकि हम उस घटना को भूल नहीं पा रहे हैं. इस ट्रेन हादसे ने भारतीय रेल के 170 साल के इतिहास में एक ऐसे ब्लैक स्पॉट की तरह अपनी जगह बना ली है, जिसे हम चाहकर भी नहीं मिटा सकते.
पुल तोड़कर नदी में समा गए ट्रेन के 7 डिब्बे
Bihar Train Accident: 6 जून 1981 को हुए इस ट्रेन हादसे ने देश के साथ-साथ पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था. इसे भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ट्रेन दुर्घटना के रूप में दर्ज किया गया है. ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे ने इस हादसे की याद ताजा कर दी है. 6 जून 1981 की शाम को जब पैसेंजर ट्रेन 416DN 9 कोच वाली मानसी से सहरसा जा रही थी. यह ट्रेन खगड़िया से सहरसा जाने वाली एकमात्र ट्रेन थी, जिससे आप भीड़ का अंदाजा लगा सकते हैं. ट्रेन खचाखच भरी थी, जहां तक नजर जा सकती थी लोग ही लोग थे. जिन लोगों को सीट नहीं मिली उन्हें ट्रेन के दरवाजे और खिड़कियों पर लटका दिया गया. लोग इंजन पर भी बैठे थे. लोग छतों पर खड़े होकर सफर कर रहे थे.
9 में से 7 डिब्बे पुल तोड़कर नदी में समा गए
Train accident in india: जैसे ही ट्रेन स्टेशन से आगे बढ़े, आंधी और बारिश शुरू हो गई. ट्रेन को बागमती नदी के पास जाना था, जिसके लिए उसे पुल नंबर 51 से गुजरना था. भारी बारिश हो रही थी और पटरियां फिसलन भरी थीं, कुछ देर बाद ही इंजन चालक ने अचानक इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया. ब्रेक लगाने के बाद ट्रेन के 7 डिब्बे पुल टूटते हुए नदी में जा गिरे. चीख-पुकार मच गई और चीख-पुकार मच गई. डूबे हुए यात्री मदद के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन उस समय किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी. भारी बारिश के कारण राहत कार्य में घंटों की देरी हुई. तब तक बहुत कुछ हो चुका था.
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800 लोगों की चली गई जान
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि मरने वालों की संख्या कम से कम 800 से 1000 थी. रेलवे के रिकॉर्ड के मुताबिक उस ट्रेन में सिर्फ 500 यात्री सवार थे, लेकिन बाद में दो रेलवे अधिकारियों ने बातचीत के दौरान पुलिस ने बताया कि यात्रियों की संख्या अधिक थी. नदी में डूबे लोगों के शवों को निकालने में कई सप्ताह लग गए और कई लोगों के शव कभी नहीं मिले. यह भारत की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना है.

इस ट्रेन हादसे के पीछे कई थ्योरी सामने आईं. कुछ में कहा गया कि रेल ट्रैक पर गाय-भैंस का झुंड आने के कारण चालक को इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ा. कुछ ने कहा कि तूफान और बारिश के कारण लोगों ने ट्रेन की सभी खिड़कियां बंद कर दी थीं, जिससे तेज आंधी के कारण सारा दबाव ट्रेन पर आ गया और बोगियां पूल तोड़कर समुद्र में गिर गईं.
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