आजम खान ने अपनी यूनिवर्सिटी लगाए थे सरकारी विभागों के 106 करोड़ रुपये, जांच में खुले कई राज

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आजम खान ने अपनी यूनिवर्सिटी लगाए थे सरकारी विभागों के 106 करोड़ रुपये, जांच में खुले कई राज
आजम खान
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Up News: पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान और अधीन काम करने वाले आईएएस अधिकारियों और इंजीनियरों ने सभी नियमों और को दरकिनार करते हुए मौलाना जौहर विश्वविद्यालय में छह सरकारी विभागों ने 106 करोड़ रुपये की भारी राशि आवंटित की है. आजम खान के आवास और मौलाना जौहर विश्वविद्यालय पर आयकर छापे के दौरान, ऐसे दस्तावेज़ सामने आए जो सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी किए गए मनमाने आदेशों पर प्रकाश डालते हैं, जिसके परिणामस्वरूप माध्यमिक शिक्षा विभाग, जल निगम, पीडब्ल्यूडी और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा करोड़ों रुपये का निर्माण कराया.

इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आने के कारण आयकर विभाग ने अब मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंप दिया है. इसके अलावा, सरकारी अधिकारियों से इस बारे में भी सवाल किया गया है कि किस आधार पर एक निजी विश्वविद्यालय को इतनी बड़ी मात्रा में सरकारी धन आवंटित किया गया था। 13 सितंबर को आयकर विभाग ने मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी में छापेमारी की थी.

आजम खान के जौहर विश्वविद्यालय में 6 सरकारी विभागों ने लगाए 106 करोड़

इस मामले की शिकायत रामपुर के बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने दर्ज कराई थी, उन्होंने कहा, ''यह सिर्फ सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार का भी मामला है. ईडी को इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करनी चाहिए. कानूनी कार्रवाई की जाएगी.'' उन अधिकारियों और इंजीनियरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने सरकारी खजाने से एक निजी विश्वविद्यालय को इतनी बड़ी राशि आवंटित की.'' आजम खान 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यरत थे और उनके पास आवास और शहरी विकास विभाग का प्रभार था.

इस मामले में अब यूपी सरकार के पूर्व मंत्री आजम खान पर आरोप लग रहा है. कैबिनेट मंत्री रहते हुए आजम ने नियमों की अनदेखी कर छह सरकारी विभागों का बजट यूनिवर्सिटी के निर्माण पर खर्च कर दिया था. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ट्रस्ट को 6 सरकारी विभागों से 106 करोड़ रुपये जारी किए गए थे. आजम के घर और जौहर यूनिवर्सिटी पर आयकर विभाग की छापेमारी के बाद यह मामला सामने आया है. आयकर विभाग को मिले दस्तावेजों के मुताबिक सीएंडडीएस ने जौहर यूनिवर्सिटी को 35 करोड़ 90 लाख रुपये जारी किए थे. वहीं, पीडब्ल्यूडी ने 17 करोड़ 16 लाख रुपये जारी किए.

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जल निगम की ओर से जौहर यूनिवर्सिटी को 53 करोड़ 56 लाख रुपये जारी किए गए हैं. इसके अलावा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण और संस्कृति विभाग ने भी निर्माण के लिए धन जारी किया था. इस प्रकार का खर्च नियम विरुद्ध माना जा रहा है। ऐसे में ईडी पूरे मामले की जांच कर सकती है.

 

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