live video: अचानक घर के नीचे से खिसकने लगी जमीन, घर ताश के पत्तों की तरह ढह जाते हैं

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शिमला के एक परेशान करने वाले वीडियो में दिखाया गया है कि कुछ ही सेकंड में एक घर ढह जाता

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Weather Crisis in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश राज्य गंभीर मौसम की स्थिति से जूझ रहा है. क्षेत्र में भारी बारिश ने निवासियों का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. लगातार हो रही बारिश के कारण राज्य के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन की खबरें आ रही हैं. राज्य भर के विभिन्न स्थानों से भूस्खलन को दर्शाने वाले कई वीडियो सामने आए हैं, जो काफी चिंताजनक स्थिति को दर्शाते हैं. भारी बारिश के कारण राज्य में कई सड़कें बंद हो गईं, जिससे स्थिति को संभालने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को लगातार प्रयास करने पड़ रहे हैं. लगातार भारी बारिश के कारण अकेले शिमला में 500 से अधिक पेड़ गिर गए हैं.

Weather Crisis in Himachal Pradesh

घर ताश के पत्तों की तरह ढह जाते हैं

इन भूस्खलनों के बीच सामने आ रहे असंख्य वीडियो में से कुछ विशेष रूप से चिंताजनक हैं. शिमला के एक परेशान करने वाले वीडियो में दिखाया गया है कि कुछ ही सेकंड में एक घर ढह जाता है, ठीक उसी तरह जैसे ताश का एक डेक ढह जाता है. वीडियो में स्पष्ट रूप से एक मजबूत घर के नीचे जमीन खिसकती हुई दिखाई दे रही है. इसके साथ ही, कई अन्य वायरल वीडियो भी प्रसारित हो रहे हैं, जो संकट की गंभीरता को दर्शाते हैं.

Weather Crisis in Himachal Pradesh

हिमाचल प्रदेश में कुदरत की तबाही की शुरुआत सोमवार को ही हो गई थी, जब शिमला के करीब समर हिल इलाके में प्राचीन शिव मंदिर लैंड स्लाइड से ध्वस्त हो गया था. सोमवार की सुबह शिव मंदिर तब ये हादसा हुआ जब बड़ी तादाद में श्रद्धालु पूजा करने पहुंचे थे.

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अभी चंद दिनों पहले ही हिमाचल प्रदेश के मंडी समेत कई इलाकों में सैलाबी तबाही हुई थी और अब लैंडस्लाइड की सिलसिलेवार घटनाएं सामने आ रही है। अब तक इन घटनाओं में करीब 60 लोगों की मौत हो चुकी हैं. भूस्खलन के खतरे को देखते हुआ भी स्कूल बंद हैं. हिमाचल से अभी मुसीबत टली नहीं है क्योंकि अभी भी बारिश का दौर जारी है.

हिमाचल प्रदेश में पहाड़ तोड़ तबाही की मार यूनेस्को की धरोहर शिमला कालका रेल मार्ग पर भी पड़ी है. भूस्खलन से ट्रैक पर पांच छह जगहों पर क्षति पहुंची है। 120 किलोमीटर लंबे इस रेलवे ट्रैक को 2008 में यूनेस्को ने हेरिजेट ट्रैक घोषित किया था.

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