Amritpal Singh: आख़िर कैसे इतनी आसानी से हर बार पुलिस के नाक के नीचे से बच निकलता है अमृतपाल ?
ADVERTISEMENT
Amritpal Singh Vardaat: शम्स ताहिर खान से जानिए कि कैसे पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर बच निकलता है अमृतपाल सिंह
Amritpal Singh Vardaat: शम्स ताहिर खान से जानिए कि कैसे पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर बच निकलता है अमृतपाल सिंह
Amritpal Singh Vardaat: पिछले 11 दिनों से पुलिस को बुरी तरह छका रहे खालिस्तान समर्थक (Khalistan) अमृतपाल सिंह की मूवमेंट ने खुद पुलिस को ही सवालों के घेरे में ला दिया है। वो जिस तरह लगातार वर्दीवालों को चकमा दे रहा है, अलग-अलग जगहों पर पुलिस के पहुंचने से पहले ही वो अचानक अपना रास्ता बदल रहा है, उसे देखते हुए ये सवाल पूछा जाने लगा है कि कहीं पुलिस महकमे में ही अमृतपाल (Amritpal Singh) का कोई ऐसा भेदिया तो नहीं है, जो लगातार उसे पुलिस के मूवमेंट की खबर दे रहा है? अमृतपाल और पुलिस के बीच चल रहे शह मात के इस खेल में हर बार बाज़ी अमृतपाल के हाथ लगी है और अब तक वो दसियों बार पुलिस के शिकंजे में आते-आते महज़ चंद मिनट और चंद मीटर के फासले से बच चुका है। उसकी यही मॉडस ऑपरेंडी वर्दी में भेदिया होने के शक को और गहरा करती है। इस बीच पंजाब सरकार ने जिस तरह से जालंधर (Jalandhar) के एसएसपी गामीण स्वर्णदीप सिंह समेत जिले के नौ पुलिस अफसरों का दूसरी जगहों पर टांसफर कर दिया है, उसे भी अमृतपाल को पकडने में हुई चूक से जोड़ कर देखा जा रहा है।
Amritpal Singh Vardaat: सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि अब पंजाब पुलिस (Punjab Police) ने अपने डिपार्टमेंट में छुपे इन भेदियों की पहचान और उनकी धर पकड़ के लिए गोपनीय तरीके से इंटरनल एनक्वायरी की भी शुरुआत कर दी है, जिसकी रिपोर्ट डीजीपी समेत सूबे के आला अफसरों को सौंपी जानी है। अब आइए पूरे मामले को समझने के लिए शुरू से शुरुआत करते हैं. पंजाब में नफरत की चिंगारी सुलगाने की कोशिश करने के आरोपी अमृतपाल ने शनिवार 18 मार्च को दो जगहों पर अपना पोगाम रखा था. इस दिन से दूसरे 'खालसा वहीर यात्रा' की शुरुआत की तैयारी थी. उसकी हरकतें तो पुलिस की रडार पर पहले से थी, अजनाला में पुलिस स्टेशन पर हमले के बाद एजेंसियां उस पर नकेल कसना चाहती थी, ऐसे में पंजाब पुलिस ने फिरोजपुर से लेकर जालंधर तक कई जगहों पर उसे रोकने और पकड़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार वो जिस तरह से पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा, उसने खुफिया एजेंसियों के भी कान खडे कर दिए.
भेदिए का 'खेला' नंबर-1
हरिकेपत्तन ब्रिज पर दिया पहली बार चकमा-
18 मार्च को जब पुलिस ने पहली बार अमृतपाल पर नकेल कसने के लिए फिरोजपुर जिले के हरिकेपत्तन ब्रिज के पास नाकेबंदी की, तो अमृतपाल ने अचानक यू टर्न ले लिया। ऐसा तब हुआ, जब पुलिस ब्रिज के दूसरी तरफ सादे लिबास में और पाइवेट गाडियों के साथ खडी थी। सवाल ये है कि आखिर अमृतपाल को ये कैसे पता चला कि इस बार पुलिस उसे गिरफ्तार करना चाहती है? जबकि इससे पहले उसका कई बार पुलिस से आमना-सामना हो चुका था और हर बार पुलिस ने उसे समझा-बुझा कर जाने दिया था। लेकिन इस बार पुलिस के इरादों की खबर उसे पहले ही कैसे हो गई? अमृतपाल को इस रोज़ जालंधर जाना था और इसके लिए उसे सतलुज दरिया पार करना था और हरिकेपत्तन बिज को कॉस कर दूसरी तरफ जाना सबसे सीधा रूट बनता। लेकिन उस रोज पुलिस को धोखा देकर उसने गोइंदवाल की तरफ अपनी गाडी मोड दी और आगे निकल गया।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
भेदिए का 'खेला' नंबर- 2
मेहतपुर-शाहकोट-मलसियां में कैसे दिया गच्चा?
फिरोजपुर से आगे निकलने के बाद अमृतपाल जालंधर की तरफ बढा, लेकिन यहां भी पुलिस की अलग-अलग टीमें उसका इंतजार कर रही थीं। चूंकि इस रोज तैयारी बडी थी इसलिए मेहतपुर-शाहकोट और मलसियां कस्बे के त्रिकोण पर हर जगह पुलिस तैनात थी, लेकिन इन तीनों ही ठिकानों पर पुलिस नाके के पास पहुंचने से पहले ही अमृतपाल ने रास्ता बदल लिया। अब तक वो अपनी मर्सिडीज़ से उतर कर पहले बेजा और फिर केटा जैसी गाड़ियों का इस्तेमाल कर चुका था। यानी पुलिस को चकमा देने के लिए अमृतपाल हर वो जतन कर रहा था, जो जरूरी था। सवाल ये है कि आखिर उसे पुलिस के इस मूवमेंट और डेप्लॉयमेंट की पल-पल की खबर कैसे मिल रही थी?
भेदिए का 'खेला' नंबर- 3
फिल्लौर में कैसे किया पुलिस को फेल?
पुलिस से भागता-छुपता इस रोज़ अमृतपाल जालंधर से आगे निकल चुका था। पुलिस को छकाने के लिए अब वो कार से उतर कर बाइक पर आ चुका था। नकोदर के गुरुद्वारा बुलंदपुरी के पास इतेफाक से उसकी बाइक पंक्चर हो गई। लेकिन यहां उसने एक जुगाड पर अपनी बाइक लोड की और अपने साथी पप्पलपीत के साथ उसे ना सिर्फ आगे लेकर गया, बल्कि उसका पंक्चर बनवा कर उसी बाइक से आगे निकल गया। इसके बाद उसने जालंधर और लुधियाना के बीच पड़नेवाले कस्बे फिल्लौर में उसने फिर से पुलिस को धोखा देने में कामयाबी हासिल कर ली। सवाल ये है कि इन तमाम जगहों पर उसे जो लोकल सपोर्ट मिली, वो तो मिली, लेकिन पुलिस को आखिर उसके बारे में पता कैसे नहीं चला? या फिर अगर ये कहें कि पुलिस के मूवमेंट के बारे में यहां भी उसे पहले ही खबर कैसे मिल गई? ये सवाल सोचने पर मजबूर करती है।
ADVERTISEMENT
भेदिए का 'खेला' नंबर- 4
होशियारपुर के मरनियां से कैसे हुआ रफूचक्कर?
अमृतपाल अब भी लगातार भाग रहा था। उसकी तस्वीरें और लोकेशन हरियाणा, दिल्ली, उत्तर पदेश के कई जगहों से सामने आ रही थी, लेकिन 10 दिनों के बाद इस मामले पहला बडा ट्विस्ट तब आया, जब एक बार फिर उसके पंजाब के होशियारपुर में छिपे होने की खबर मिली। पुलिस को पता चला कि वो अपने कुछ साथियों केसाथ होशियारपुर के मरनियां गांव की तरफ बढ रहा है। खबर मिलते ही पुलिस के भारी-भरकम लवाज़मे ने पूरे गांव को घेर लिया। लेकिन गांव के गुरुद्वारा साहिब के अंदर अमृतपाल और उसके साथियों ने अपनी कार छोड़ी और फिर दीवार फांद कर खेतों के रास्ते गायब हो गया। इसके बाद तो 28 और 29 मार्च की दरम्यानी रात को रात भर पुलिस उसकी तलाश में मरनियां में सर्च ऑपरेशन चलाती रही, गांव के हरेक घर की तलाशी लेती रही, लेकिन अमृतपाल का कुछ पता नहीं चला। सवाल ये है कि आखिर अमृतपाल को यहां उसके इंतजार में घेरेबंदी करती पुलिस की खबर कैसे मिली?
भेदिए का 'खेला' नंबर- 5
शहर-शहर पुलिस को देता रहा चकमा-
कभी बाइक पर दूरी तय करता अमृतपाल, कभी जुगाड पर बाइक के साथ भागता अमृतपाल, कभी हरियाणा रोडवेज की बस से कुरुषेत्र में उतरता अमृतपाल, कभी दिल्ली के मधु विहार में अपने साथी पप्पलपीत के साथ भागता अमृतपाल और कभी और कभी किसी हाई-वे के किनारे अपने साथी के साथ बैठ कर एनर्जी डिंक के मजे लेता अमृतपाल. 30 साल के इस नौजवान ने सचमुच पुलिस की जितनी और जैसी किरकिरी कराई, वैसी शायद ही इससे पहले किसी ने करवाई होगी. जाहिर है, ये सबकुछ ना तो कोई इतेफाक है और ना ही अमृतपाल के पास कोई पुलिस को पहले ही लोकेट कर लेनेवाली कोई डिवाइस. अगर उसके पास कुछ है, तो वो है उसका सूचना तंत्र और सूत्रों की मानें तो इतेफाक से उसका ये सूचना तंत्र सिर्फ आम लोगों के बीच ही नहीं बल्कि पुलिस महकमे में अंदर भी है. और इसी सूचना तंत्र के यानी भेदियों की बदौलत अमृतपाल लगातार पुलिस को चकमा देता रहा है. फरार अमृतपाल बेशक पुलिस को लगातार चकमा दे रहा है, लेकिन उसके दुबई से भारत लौटने और यहां आकर खालिस्तान का पोस्टरब्वॉय बनने की कोशिश करने के पीछे की पूरी साजिश का खुफिया एजेंसियों को पता चल चुका है।
Amritpal Singh: एजेंसियों के मुताबिक अमृतपाल ना सिर्फ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की ओर से भारत को अशांत करने के लिए प्लांट किया गया एक मोहरा है, बल्कि उसके पीछे कई और भी भारत विरोधी संस्थाएं काम कर रही हैं। खुफिया सूत्रों की मानें तो वो जिस तरह की भड़काऊ बातें कर रहा है, उससे पता चलता है कि ये भारत की फिजा में जहर घोलने की कोशिश के सिवाय और कुछ नहीं है। सूत्रों के मुताबिक अमृतपाल को आईएसआई के जासूसों ने तब पहली बार झांसे में लिया, जब वो दुबई में रह कर एक टांसपोर्ट कंपनी के लिए काम किया करता था। आईएसआई एजेंट्स उसे पंजाब में फिर से खालिस्तान की आग फैलाने के लिए राजी हो गए और उसे इस काम के लिए मोटी रकम देने की बात कही। इसके बाद उसे ट्रेनिंग के लिए सीधे जॉर्जिया भेजा गया, जहां आईएसआई के जासूसों ने उसे टेनिंग दी, उसका और बेनवॉश किया और फिर उसे भारत के लिए रवाना कर दिया। खुफिया एजेंसियों के सामने अब ये बात भी साफ हो चुकी है कि अमृतपाल सिंह के खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ भी नजदीकी रिश्ते हैं। पन्नू वही शख्स है जो विदेश में बैठ कर भारत के कायदे कानून को चुनौती देता रहता है। भड़काऊ बातें करता हैं और भारत सरकार ने उसकी इन हरकतों की वजह से उसके खिलाफ यूएपीए यानी अनलॉफुल एक्टीविटीज पिवेंशन एक्ट के तहत एक आतंकवादी घोषित कर रखा है।
Amritpal Singh:एजेंसियों को पता चला है कि अमृतपाल सिंह पहले भारत में आईएसआई की मदद से नशे की तस्करी करवा रहा था और अब यहां आकर खुद ही नशे के खिलाफ बडी बडी बातें कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि यहां आकर उसने नशा मुक्ति केंद की आड में हथियाच जुटाने की और नौजवानों को भडकाने की कोशिश शुरू कर दी थी। और तो और पाइवेट आर्मी बनाने की भी कोशिश कर रहा था। सितंबर 2022 में जब से वो भारत आया सरहद पार से नशे की खेप ज्यादा तादाद में आने की शुरुआत हो गई। पाकिस्तान में वो भारतीय मूल के लखबीर सिंह रोडे नाम के आईएसआई के एक मोहरे के संपर्क में था और यहां नशे की खेप मंगवा रहा था। इसके लिए अवतार सिंह खंडा और परमजीत सिंह पम्मा सरीखे लोग हैंडल कर रहे थे। और तो और अपनी फरारी से पहले वो जिस मर्सिडीज से घूमता रहा वो गाडी भी उसे एक डग डीलर रावेल सिंह ने ही दी थी। मगर अब जब उस पर शिकंजा कसता जा रहा है वो खुद को कौम का सिपाही बता कर लोगों को भडकाने की कोशिश कर रहा है। अपनी साजिश के मुताबिक वो नशा मुक्ति केंद्र से चुपचाप अपनी साजिशों को आगे बढ़ा रहा था। धीरे-धीरे वो शासन-पशासन को भी चुनौती देने लगा था, लेकिन इससे पहले कि वो फिजा और खराब कर पाता, पुलिस ने उस पर कैक डाउन कर दिया।
ADVERTISEMENT