Atiq Ashraf Graveyard: कांग्रेस के सभासद प्रत्याक्षी ने ओढ़ाया अतीक की कब्र पर तिरंगा, पुलिस ने पकड़ा, पार्टी ने बाहर निकाला, देखिए Video
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UP Crime Video: कांग्रेस के प्रत्याशी की इस तरतूत का वीडियो भी वायरल हो रहा है। कांग्रेस के प्रत्याशी ने अतीक और अशरफ की कब्र पर जाकर तिरंगा ओढ़ाया और सलामी देते हुए कहा कि मै आपको शहीद का दर्जा दिलाऊंगा।
UP Crime Video: कांग्रेस के प्रत्याशी की इस तरतूत का वीडियो भी वायरल हो रहा है। कांग्रेस के प्रत्याशी ने अतीक और अशरफ की कब्र पर जाकर तिरंगा ओढ़ाया और सलामी देते हुए कहा कि मै आपको शहीद का दर्जा दिलाऊंगा।
Atiq Ashraf Graveyard Video: प्रयागराज के कसारी मसारी कब्रिस्तान में एक अजीब मंजर देखने को मिला। यहां बीच कब्रिस्तान में जाकर कांग्रेस के सभासद प्रत्याक्षी राजकुमार रज्जू ने अतीक अहमद की कब्र पर तिंरगा ओढ़ा दिया। कांग्रेस के प्रत्याशी की इस तरतूत का वीडियो भी वायरल हो रहा है। कांग्रेस के प्रत्याशी ने अतीक और अशरफ की कब्र पर जाकर तिरंगा ओढ़ाया और सलामी देते हुए कहा कि मै आपको शहीद का दर्जा दिलाऊंगा।
यह वीडियो वायरल होने के बाद पार्टी ने राजकुमार को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। प्रयागराज के कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप मिश्रा अंशुमान ने चिट्ठी जारी कर रज्जू को पार्टी से निकाल दिया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का माफिया डॉन अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ अहमद प्रयागराज की कसारी मसारी कब्रिस्तान में रविवार यानी 16 अप्रैल की रात को मिट्टी में मिला दिया गया यानी सुपुर्दे ख़ाक कर दिया गया। अतीक अहमद और अशरफ को मारने वाले हमलावर तीन लोग थे। अरुण मौर्या, लवलेश तिवारी और सन्नी। लेकिन तीनों ही हमलावर तीन अलग अलग शहरों या इलाकों से ताल्लुक रखते हैं।
सनी हमीरपुर का रहने वाला है जबकि अरुण उर्फ कालिया कासगंज से ताल्लुक रखता है और लवलेश तिवारी का घर बांदा में है। यानी एक बात जो खटक सकती है वो ये कि आखिर ये तीनों अलग अलग शहर या इलाके के होने के बावजूद अतीक को मारने के एक मकसद से कैसे एक साथ मिले और कैसे मिलकर प्लानिंग की।
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तीनों ने मिलकर कब, कहां और कैसे प्लानिंग की?
अतीक ही हत्या के बाद जो पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है उसके मुताबिक आरोपियों का कहना है कि वो तीनों अतीक और अशरफ को सिर्फ मारने के इरादे से ही आए थे और पत्रकार बनकर प्रयागराज में दाखिल हुए थे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा रेकी भी की लेकिन सही समय न मिल पाने की वजह से वो मार नहीं पा रहे थे। और शनिवार की रात उन्हें अचानक मौका मिला तो उन्होंने मिलकर हत्या कर दी? इस पूरे वाक्य में कहीं भी प्लानिंग का कोई ज़िक्र नहीं है? सवाल उठता है कि वो अतीक जैसे माफिया डॉन को मारने के इरादे से आए थे और वो भी पुलिस के घेरे में तो क्या बस सोचा और कर दिया...इसके लिए उन्होंने कोई ब्लू प्रिंट तैयार नहीं किया था...ये बात ज़रा हजम नहीं होती है?
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बिना तैयारी नाम कमाने निकले?
पुलिस की FIR कहती है कि तीनों लड़कों को नाम कमाने और यूपी में अपना रुतबा कायम करने का जुनून सवार था। इसी लिए इस वारदात को अंजाम दिया। पुलिस की पूछताछ में उन लड़कों ने ये बात भी कुबूल कर ली कि वो डॉन अतीक और अशरफ का सफाया करना चाहते थे क्योंकि ऐसा करने से उनका नाम पूरे प्रदेश की जुर्म की दुनिया में फैल जाएगा और लोग उनके नाम से डर जाएंगे...ये बात भी जरा गले नहीं उतरती...अगर तीनों वाकई जुर्म की दुनिया में नाम कमाने पर आमादा थे तो क्या उन्हें पुलिस के घेरे का भी अंदाजा नहीं था.. अगर सिर्फ जुर्म करना ही उनका मकसद था तो फिर उन लोगों ने पुलिस पर गोली क्यों नहीं चलाई...क्यों फौरन हथियार डालकर खुद को सरेंडर कर दिया। जाहिर है लड़कों का तर्क और दलील बेहद कमजोर और बेबुनियाद सी लगती है जो किसी भी सूरत में हलक से नीचे नहीं उतरती।
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