ऐसे टकराईं एक के बाद एक 3 ट्रेनें, ये 3 पॉइंट्स में समझे कैसे हुआ इतना बड़ा हादसा?

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odisha train accident: ओडिशा (Odisha) में हुए रेल हादसे की खबर ने देश को गहरी शोक से झकझोर दिया है. इस हादसे में 280 लोगों की मौत हो गई और 900 लोग घायल हो गए हैं

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odisha train accident: ओडिशा (Odisha) में हुए रेल हादसे की खबर ने देश को गहरी शोक से झकझोर दिया है. इस हादसे में 280 लोगों की मौत हो गई और 900 लोग घायल हो गए हैं. यह एक बड़ी रेल दुर्घटना है जो रेलवे और सरकार के लिए एक बड़ा सवाल उठाती है. हम इस हादसे के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और इसके मुख्य कारणों को समझेंगे.

डिरेल होकर मालगाड़ी पर चढ़ गया कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन 

यह दुर्घटना 3 जून 2023 को ओडिशा के गांव में स्थित एक रेलवे स्टेशन पर हुई. वहां पर ग्रीवान समय को ध्यान में रखते हुए दो ट्रेनों की टक्कर हो गई. इस हादसे में एक ट्रेन पूरी तरह से पटरी से उतर गई और दूसरी ट्रेन पीछे की ओर धक्का लगाकर खड़ी हुई. इससे कई लोगों ने जीवन खो दिया और कई अन्य घायल हो गए.

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खराब हालत में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर

Odisha Coromondel Express : इस हादसे का एक मुख्य कारण रेलवे का पुराना और जर्जर इंफ्रास्ट्रक्चर है. रेल की पटरियां और ढांचों को तोड़े जाने के कारण वे टूट गए और इससे यह दुर्घटना हुई. अन्य मुख्य कारणों में चालकों की लापरवाही और प्रबंधन की लापरवाही शामिल है. प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि ड्राइवरों ने सिग्नल नहीं दिया और रेलवे कर्मचारियों ने उन्हें ट्रेन के चलने की सूचना नहीं दी. इससे दोनों ट्रेनें समय पर ब्रेक नहीं लगा पाईं और टकरा गईं.

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तीन ट्रेनें कैसे पटरी से उतरीं और दुर्घटनाग्रस्त हो गईं

-रेलवे अधिकारियों के मुताबिक बेंगलुरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस हावड़ा जा रही थी, तभी कई डिब्बे पटरी से उतरकर बगल की पटरियों पर गिर गए.

-शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस, चेन्नई जाते वक्त, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के पटरी से उतरे डिब्बों से टकरा गई

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-इसके बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के पटरी से उतरे डिब्बे एक मालगाड़ी के डिब्बों से टकरा गए.

हादसे की क्या वजह हो सकती है

  1. ऐसे हादसे की वजह मानवीय भी हो सकती है और तकनीकी भी. ओडिशा ट्रेन हादसे के पीछे तकनीकी खराबी को एक कारण माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिग्नल में खराबी की वजह से तीनों ट्रेनें उसी ट्रैक पर आ गईं. आइए समझते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है.
  2. दरअसल ट्रेन ड्राइवर को कंट्रोल रूम से लगातार निर्देश मिलते रहते हैं, जिसके आधार पर वह ट्रेन चलाता है. रेलवे कंट्रोल रूम में एक बड़ी स्क्रीन लगी है. स्क्रीन पर हरे और लाल रंग के जरिए यह देखा जा सकता है कि ट्रेन पटरी पर है और कौन सी नहीं.
  3. अगर पटरी पर ट्रेन चल रही है तो लाल रंग दिखाई देता है और अगर पटरी खाली है तो हरी बत्ती दिखाई देती है. इस स्क्रीन को देखकर ट्रेन चलाने के निर्देश दिए जाते हैं. ओडिशा हादसे को लेकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि स्क्रीन पर ट्रेन का सही सिग्नल नहीं दिख रहा था, जिस वजह से हादसा हुआ.
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यह हादसा रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाता है. रेलवे सुरक्षा के मामले में और नई नीतियों के अपडेट करने की आवश्यकता है ताकि ऐसे हादसों का नुकसान कम किया जा सके. रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर की मरम्मत और नई तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने के साथ ही ड्राइवरों के लिए नियमित प्रशिक्षण और सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए.

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इस हादसे के बाद सरकार ने तत्परता के साथ इस मामले की जांच की है और दोषियों को सजा देने का वादा किया है. आगामी दिनों में उनकी रिपोर्ट जारी होगी और नई सुरक्षा नीतियों को लागू किया जाएगा. इससे हमें यह आशा है कि ऐसी हादसों को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई की जाएगी और रेलवे सुरक्षा में सुधार होगा.

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इस रेल हादसे के बारे में जानकारी के अभाव में, हमें अपने देशीय रेलवे सुरक्षा मानचित्र को मजबूत करने के लिए संकेत मिलते रहने की आवश्यकता है. यह सुनिश्चित करने के लिए हमें एकजुट होना चाहिए कि रेल हादसों की घटनाएं कम हो और हमारे यात्री सुरक्षित रहें.

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