हैवान डॉक्टर! रिपोर्ट में HIV पॉजिटिव देख दर्द से तड़पते मरीज पर ताबड़तोड़ बरसाए चांटे, मचा हड़कंप
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HIV संक्रमित मरीज के साथ मारपीट की थी. हमले का वीडियो सार्वजनिक होने के बाद डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया.
HIV संक्रमित मरीज के साथ मारपीट की थी. हमले का वीडियो सार्वजनिक होने के बाद डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया.
MP News: इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल (MYH) के एक जूनियर डॉक्टर को Video Viral होने के बाद निलंबन का सामना करना पड़ा है, जिसमें उसने एक HIV संक्रमित मरीज के साथ मारपीट की थी. हमले का वीडियो सार्वजनिक होने के बाद डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया.
मरीज का एक सड़क दुर्घटना में पैर फ्रैक्चर हो गया था. शुरुआत में मरीज को उज्जैन के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, बाद में गंभीर फ्रैक्चर के इलाज के लिए मरीज को एमवायएच में स्थानांतरित कर दिया गया.
फाइल में HIV पॉजिटिव देख हुआ था आगबबूला
एमवायएच के जूनियर डॉक्टर आकाश कौशल ने इलाज शुरू करने से पहले एचआईवी संक्रमण का खुलासा नहीं करने पर मरीज और मरीज के परिवार पर गुस्सा जताया. जूनियर डॉक्टर को मरीज को बार-बार थप्पड़ मारते हुए देखा जा सकता है, मरीज जांच टेबल पर लेटा हुआ था, साथ ही मरीज को लगातार गालियां देते हुए चांटे मारे. इस घटना को लेकर एमवायएच के अधीक्षक डॉ. प्रमेंद्र ठाकुर ने ऑर्थोपेडिक्स एवं ट्रॉमेटोलॉजी विभाग में तैनात जूनियर डॉक्टर को तत्काल निलंबित करने की घोषणा की है.
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डॉ. ठाकुर ने यह भी कहा कि एमवायएच शहर में सरकार के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है. डीन डॉ. संजय दीक्षित ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है, जिसे मामले की जांच कर तीन दिन के अंदर रिपोर्ट देने का काम सौंपा गया है.
मरीज के साथ आए परिवार के सदस्य ने बताया, "हम मरीज को फ्रैक्चर के इलाज के लिए एमवायएच लाए थे. वह पहले से ही एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहा था. एचआईवी संक्रमण के बारे में खुलासा न करने के कारण जूनियर डॉक्टर ने मारपीट का सहारा लिया. जब मैंने बीच-बचाव करने की कोशिश की तो मेरे साथ भी मारपीट की गई." पीड़ित परिवार ने घटना की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में दर्ज कराई है.
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एड्स रोगियों के प्रति भेदभाव के कानूनी परिणाम
एचआईवी अधिनियम 2017 के प्रावधानों के तहत, एचआईवी से पीड़ित रोगी के साथ दुर्व्यवहार और भेदभाव में शामिल होने पर 3 महीने से 2 साल तक की जेल की सजा या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. इसका मतलब यह है कि एचआईवी से पीड़ित व्यक्तियों के खिलाफ कोई भी भेदभाव एक आपराधिक अपराध माना जाता है. साथ ही एचआईवी पॉजिटिव शख्स तब अपना स्टेटस उजागर करने पर मजबूर होगा, जब इसके लिए कोर्ट का ऑर्डर लिया जाएगा.
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