गुजरात के शहर से ऐसा राज सामने आया कि हर घर का हर शख्स उल्टियां करने लगा

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Crime Story Vardaat: गुजरात के पाइपलाइन की ऐसी कहानी जहां गंदे और बदबूदार पानी से ऐसा राज सामने आया कि लोग उल्टियां करने लगे.

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Crime News Vardaat: ये गुजरात (Gujarat) के पाटन (Patan) जिले का सिद्धपुर इलाका है। इलाके की कुल आबादी करीब सवा लाख है। पूरी दुनिया में पाटन अपनी पटोला साडी के लिए जाना जाता है। वो पटोला साडी जिसकी कीमत ही 5 लाख से शुरू होती है। पाटन के इसी सिद्धपुर में 25 साल की लवीना हरवानी रहा करती थी। 12 मई को लवीना की शादी होनेवाली थी। लेकिन शादी से ठीक पांच दिन पहले 7 मई को लवीना अचानक गायब हो जाती है। आखिरी बार वो एक सीसीटीवी कैमरे में कैद नजर आती है। जहां पर वो कैमरे में कैद हुई थी, वो रास्ता शहर की उस पानी की टंकी की तरफ मुड़ता है, जहां से पूरे इलाके को पीने के पानी की सप्लाई होती है। लवीना के घरवाले 8 मई को पुलिस में लवीना की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाते हैं। लेकिन लवीना नहीं मिलती। दिन बीतता जाता है। तभी लवीना की गुमशुदगी के पांच दिन बाद 12 मई को सिद्धपुर के एक इलाके के लोगों को महसूस होता है कि नगर पालिका की पाइप से पानी (Pipeline) की जो सप्लाई उनके घर पर आ रही है, वो बदबूदार है। अजीब सा पानी है। पर मजबूरी थी, लिहाजा लोग ये सोच कर पानी पीते रहे कि शायद पीछे से ही ऐसी सप्लाई है। इलाके के लोगों को लगा था कि सप्लाई में कुछ गड़बड़ है। कई बार ऐसा हो जाता है। फिर अपने आप ठीक हो जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सप्लाई का पानी अब भी बेहद गंदा और बदबूदार आ रहा था। बहुत से लोगों ने नगर पालिका से इसकी शिकायत भी की। नगर पालिका ने उन्हें आश्वासन देकर लौटा दिया। लेकिन नलों से गंदा पानी आने का सिलसिला अब भी जारी था। अब तो हालत ये हो गई थी कि बदबू की वजह से लोग पानी तक नहीं पी पा रहे थे। बहुत सारे लोगों को उल्टियां होने लगी। बहुत से बीमार पड़ गए। और ज्यादातर लोगों ने अब सरकारी पाइप की पानी की बजाय बाजार से पानी की बोतल खरीद कर अपनी प्यास बुझाने लगे। 12 मई से शुरू हुआ ये सिलसिला 15 मई तक जारी रहा।

 

Crime Full Story: लेकिन 16 मई की सुबह सिद्धपुर के घरों में बदबूदार पानी भी आना बंद हो गया। इलाके के लगभग 4 हजार घरों के नलों से पानी गायब था। बदबूदार पानी से फिर भी घर के जरूरी काम चल रहे थे। लेकिन पानी की सप्लाई बंद हो जाने से 4 हजार परिवार अचानक परेशान हो उठे। लोगों का गुस्सा नगर पालिका की तरफ था। नगर पालिका को भी जब ये पता चला कि इतने बडे इलाके में पानी की सप्लाई बंद है, तो उसके भी हाथ पांव फूल गए। बदबूदार पानी की शिकायत पर खामोश बैठी नगर पालिका अब फौरन हरकत में आती है। इसके बाद जगह जगह पाइप लाइन की चेकिंग होती है। और फिर पानी की एक ऐसी ही पाइप एक ऐसा दहला देनेवाला सच बहा कर बाहर लाती है, जिसे सुनते ही हजारों लोगों को उल्टियां शुरू हो जाती हैं। 16 मई को पानी की पाइप लाइन से बाहर निकला सच 7 मई को गुम हुई लवीना हरवानी की मौत पर जाकर खत्म होता है। सच ये कि एक शहर का एक पूरा इलाका और उस इलाके के करीब 4 हजार लोग पिछले 9 दिनों से पानी की पाइप में तैरती हुई एक लाश से निकल कर नलों के रास्ते घरों तक पहुंचनेवाला पानी पी रहे थे। वही पानी जो उन्हें बदबूदार लग रहा था। पर पानी के बदबूदार होने का सच अब सामने आ रहा था।

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Crime Murder Story: सिद्धपुर में बदबूदार पानी और पानी की पाइप से निकली आधी अधूरी लाश का आखिर क्या कनेक्शन है? क्या ये लाश सचमुच लवीना हरवानी की है? अगर हां, तो फिर लवीना पानी के पाइप तक कैसे पहुंची? और अगर वो पानी के पाइप तक पहुंच भी गई, तो फिर टुकडों में कैसे पहुंची? क्या लवीना का पानी के पाइप तक पहुंचना एक हादसा था? खुदकुशी है? या फिर कत्ल? तो चलिए अब सिलसिलेवार पूरी कहानी समझते हैं। लवीना सिद्धपुर के राजपुर इलाके में इसी गुरुनानक सोसायटी में रहा करती थी। उसकी शादी अहमदाबाद के एक लड़के से तय हो चुकी थी। 12 मई को शादी थी। शादी से पहले लवीना से प्री वेडिंग शूट भी कराया था। घर में मेहमानों का आना भी शुरू हो चुका था। यानी लवीना के घरवालों के हिसाब से लवीना अपनी शादी को लेकर बेहद खुश थी। लवीना के उन्हीं घरवालों के मुताबिक 7 मई की शाम करीब सात साढे सात बजे लवीना घर से ये कह कर निकली थी, कि वो गुरुद्वारे जा रही है। हर रोज शाम को लवीना गुरुद्वारा जाया भी करती थी। लेकिन उस शाम घर से निकलने के बाद वो फिर कभी घर लौटी ही नहीं। देर रात तक घरवाले उसे ढूंढते रहे। फिर पुलिस में लवीना की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा दी। लेकिन लवीना के घरवालों के मुताबिक पुलिस लवीना की गुमशुदगी को लेकर उनसे ही सुराग मांगती रही।

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Vardaat Crime Story: सिद्धपुर थाने की पुलिस के टाल-मटोल भरे रवैये के चलते लवीना का कोई सुराग नहीं मिल रहा था। यहां तक कि उसकी गुमशुदगी को पांच दिन हो चुके थे। 12 मई भी आ गई। उसी दिन लवीना की शादी थी। लेकिन चूंकि दुल्हन गुम थी, लिहाजा बारात भी नहीं आई। शायद लवीना को सिद्धपुर पुलिस ढूंढ भी ना पाती। लेकिन तभी हुआ ये कि 12 मई से अचानक शहर के एक हिस्से में नलों के जरिए लोगों के घरों में बदबूदार पानी आना शुरू हो गया। लोग वो पानी पीते रहे। पर शिकायत के बावजूद नगर पालिका ने ध्यान ही नहीं दिया। वो तो 16 मई को जब पानी की सप्लाई पूरी तरह बंद हो गई, तब नगर पालिका को होश आया। इसके बाद उसने पाइप को चेक करना शुरू किया।

 

पाइप की चेकिंग के दौरान ऊपल शहरी इलाके में एक जगह पाइप के बीच में कुछ फंसा मिला। पाइप चेक कर रहे कर्मचारियों को लगा कि ये किसी मुर्दा जानवर का हिस्सा है। लेकिन जब उन्होंने पाइप से उस हिस्से को बाहर निकाला, तो उनके रौंगटे खड़े हो गए। ये एक इंसान की आधी अधूरी लाश थी। कमर से नीचे का पूरा हिस्सा। लेकिन पैर गायब थे। सर भी गायब था। अब जैसे ही पानी की पाइप से आधी अधूरी लाश मिलने की खबर इलाके में फैली, लोगों को पता चल गया कि पिछले 5-6 दिनों से उनके घरों में बदबूदार पानी क्यों आ रहा था। और बस सच जानते ही लोगों ने उल्टियां करनी शुरू कर दी। लेकिन दूसरी तरफ नगर पालिका का काम अब भी खत्म नहीं हुआ था। अधूरी लाश का बाकी हिस्सा अब भी किसी ना किसी पाइप के अंदर फंसा था। उसे ढूंढना जरूरी था। लिहाजा तब तक के लिए पानी की सप्लाई रोक दी गई। और पाइप से मिली अधूरी लाश पुलिस को सौंप दी गई।

 

Gujarat Crime News: पानी के जिस पाइप से अधूरी लाश बरामद हुई थी वो पाइप करीब 2 किमी तक होकर गुजरता है। लेकिन अच्छी खबर ये थी कि 12 मई से बदबूदार आने की शिकायत एक खास इलाके को छोड़ कर बाकी इलाकों से नहीं आ रही थी। बाकी इलाकों में पानी की सप्लाई भी रुकी नहीं थी। लिहाजा नगर पालिका ने अब उसी इलाके के पाइप को चेक करने का फैसला किया, जहां पानी की सप्लाई, सप्लाई देने के बावजूद बंद थी। काफी कोशिशों के बावजूद जब कामयाबी नहीं मिली, तो फिर गांधी नगर को संपर्क किया गया। गांधी नगर से रोबोटिक कैमरा मंगवाया गया। मकसद ये था कि रोबोटिक कैमरे को पानी के पाइप में डाल कर ये देखा जा सके कि अधूरी लाश का बाकी हिस्सा कहां अटका या फंसा है? ये तस्वीरें पाइप में डाली गई उन्हीं रोबोटिक कैमरे से ली गई है। पर पाइप की गोलाई और चौडाई इतनी ज्यादा नहीं थी कि पहिए समेत रोबोटिक कैमरा बहुुत अंदर तक भेजा जा सके। लिहाजा ये मिशन भी नाकाम रहा। रोबोटिक कैमरा का मिशन फेल होने के बाद नगर पालिका ने पुराना नुस्खा अपनाने का फैसला किया। पानी की टंकी को पूरी तरह से भरा गया। इसके बाद एक झटके में टंकी से पानी छोड़ा गया। पानी फोर्स के साथ पाइप में पहुंचा। नतीजा ये हुआ कि लाल डोसी के करीब एक पाइप ने इस बार दो पैर बहाकर बाहर फेंक दिए। पैरों के बाहर आने के बाद पानी के पाइप में अब पानी का फ्लो नॉर्मल हो चुका था। जिन इलाकों में पानी नहीं आ रहा था, वहां अब पानी पहुंचना शुरू हो गया। लेकिन पिछले कई दिनों से बदबूदार पानी पी रहे लोगों के मन में अब वो पानी पीने की इच्छा ही नहीं बची थी। नगर पालिका ने भी लोगों से अपील की कि सप्लाई चालू होने के बाद कम से कम 24 घंटे तक वो सिर्फ पानी का इस्तेमाल कपडे धोने और दूसरी चीजों के लिए करें। पीए नहीं। क्योंकि पानी और पाइप दोनों की सफाई के लिए उसमें क्लोरिन की मात्रा ज्यादा डाली गई है। हालांकि नगर पालिका के मुताबिक एक दिन बाद पानी पीने लायक हो जाएगा और लोग पी सकते हैं। लेकिन पानी से बरामद लाश के टुकड़ों की कहानी घर घर जा पहुंची थी। लिहाजा लोग अब खरीद कर पानी पी रहे थे। हालांकि फिर धीरे-धीरे अब लोगों ने उसी नल का पानी पीना शुरू कर दिया है।

 

तो पानी का मसला तो हल हो गया, लेकिन लवीना की मौत की पहेली का क्या? तो चलिए अब लवीना की कहानी भी समझते हैं। लवीना की गुमशुदगी के बाद पुलिस को दो सीसीटीवी कैमरे की तस्वीरें मिलीं। पहली तस्वीर में लवीना बेहद तेजी से कहीं जाती दिखाई दे रही है। उसके आगे पीछे कोई नहीं है। जिस तरफ लवीना इस सीसीटीवी कैमरे में जाती दिखाई दे रही है, उस रास्ते में आगे पानी की ये टंकी है। ये वही टंकी है, जिससे इलाके में पीने का पानी सप्लाई किया जाता है। तो क्या लवीना खुद ही सात मई की रात पानी की इस टंकी की तरफ जा रही थी? अगर हां तो क्यों? हालांकि जिस जगह पर ये टंकी है, वो पूरा इलाका बेहद सुनसान है। आस-पास में झाड़ियां हैं। रात तो छोड़िए, दिन में भी कोई अकेले इधर नहीं आता। सात मई की रात की ही एक और सीसीटीवी तस्वीर सामने आती है। इस तस्वीर में लवीना के गुजरते ही उसके पीछे एक बाइक पर दो लोग नजर आते हैं। अब सवाल ये है कि ये दोनों कौन हैं? क्या दोनों लवीना का पीछा कर रहे थे? क्या इन दोनों को पुलिस ढूंढ पाई? क्या दोनों लवीना को जानते थे? या लवीना उन्हें जानती थी? पर इन तमाम सवालों से पहले सबसे बडा सवाल ये था कि पानी के पाइप से जो अधूरी लाश मिली है, क्या वो लवीना ही है? लाश के साथ पुलिस को एक कंगन मिला था। पुलिस ने लवीना के घरवालों को वो कंगन दिखाया। लेकिन पहले दिन कंगन देख कर घरवालों ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया।

 

लेकिन अकेला कंगन इस बात का सबूत नहीं हो सकता था कि अधूरी लाश लवीना की ही है। इसी बीच सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस को पानी की इस टंकी के पास से एक दुपट्टा मिला। इस दुपट्टे को भी लवीना के घरवालों को दिखाया गया। तो पहले कंगन और अब दुपट्टा। ये गवाही दे रहा था कि हो ना हो अधूरी लाश लवीना की ही है। लेकिन फिर इसे पुख्ता करने के लिए पुलिस ने अधूरी लाश को पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक जांच के लिए गांधी नगर फॉरेंसिक लैब भेज दिया। शुरुआती रिपोर्ट जो आई उसके मुताबिक मरनेवाली की उम्र 21 से 40 साल के दरम्यान रही होगी। लेकिन पुलिस को पुख्ता करना था कि लाश लवीना की ही है। लिहाजा, लवीना के मां बाप के डीएनए सैंपल लिए गए। पानी के पाइप से बरामद अधूरी लाश का डीएनए लवीना के मां-बाप से मैच कर गया। यानी अब ये पूरी तरह साबित हो चुका था कि पाइप से जो लाश बरामद हुई है, वो लवीना की ही है। तो कायदे से पानी के पाइप से मिली, अधूरी लाश की पहेली भी अब सुलझ चुकी थी। लेकिन एक सवाल अब भी अपनी जगह कायम था। सवाल ये कि आखिर लवीना पानी के पाइप या पानी की टंकी तक पहुंची कैसे? पानी के पाइप से लवीना की पूरी लाश क्यों नहीं मिली? लाश के टुकडे कैसे हुए? लाश का सर कहां गायब है? और इन सबसे ज्यादा बड़ा सवाल ये कि लवीना पानी के पाइप तक खुद पहुंची या किसी ने उसे पाइप तक पहुंचाया?

 

ये वो पानी की टंकी है। इसकी ऊंचाई करीब 60 फीट है। हालांकि इस टंकी की देखभाल के लिए कोई सुरक्षा गार्ड नहीं है। यहां तक कि यहां दरवाजे पर कोई ताला भी नहीं लगा होता। एक बार को मान भी लिया जाए कि लवीना ने खुदकुशी की है, तो सवाल ये उठता है कि खुदकुशी के लिए वो इतना टेढा रास्ता क्यों चुनेगी? रात के अंधेरे में यहां तक आना और फिर इतनी ऊंचाई पर जाना और पानी की टंकी में कूदना, गले नहीं उतरता। हां, अगर ये कत्ल है तो मुमकिन हो सकता है। क्योंकि कत्ल के बाद कातिल लाश को टंकी में डाल सकता है। लेकिन ऐसी सूरत में भी ये एक अकेले का काम नहीं हो सकता। इसके लिए एक से ज्यादा लोगों की जरूरत है। दूसरा अगर लवीना इस टंकी के रास्ते पाइप तक नहीं पहुंची, तो फिर पाइप तक पहुंची कैसे? अमूमन पानी की जो भी पाइपलाइन होती है, वो गटर की तरह खुले नहीं होते। बल्कि बंद होते हैं। तो फिर बंद पाइप में लवीना कहां से घुस गई? जाहिर है.. पाटन की सिद्धपुर पुलिस जब तक इन सवालों के जवाब नहीं ढूंढ लेती, तब तक बदबूदार पानी का बदबूदार सच राज ही बना रहेगा।

 

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