दुनिया का सबसे रहस्यमयी संगठन, क़िस्सा ख़ुफ़िया संगठन इलुमिनाती का!
क्या है ये इलुमिनाती? कौन हैं इसके सदस्य? कब और कहां हुई थी इसकी शुरुआत? चलिए आज आप को ले चलते हैं इलुमिनाती के जन्म स्थान.
ADVERTISEMENT
आपने डैन ब्राउन के उपन्यास एंजेल्स ऐंड डेमन्स का नाम सुना होगा. क़िताब में ईसाइयों के एक फ़िरक़े इलुमिनाती का ज़िक्र है, जो कई सदियों से ख़ुफ़िया तौर पर सक्रिय है. उसके नाम कई साज़िशें, कई बग़ावतें दर्ज हैं. यूं तो ये उपन्यास की कहानी भर है.
मगर यूरोप के कई देशों में आज भी माना जाता है कि इलुमिनाती फ़िरक़ा आज भी सक्रिय है. वो आज भी ख़ुफ़िया बैठकें करता है. कई बार जब किसी घटना के बारे में पता नहीं होता, तो उसका ठीकरा इलुमिनाती के सिर मढ़ दिया जाता है.
क्या है ये इलुमिनाती? कौन हैं इसके सदस्य? कब और कहां हुई थी इसकी शुरुआत? चलिए आज आप को ले चलते हैं इलुमिनाती के जन्म स्थान.
ADVERTISEMENT
illuminati mystery: प्रोफ़ेसर ने की थी शुरुआत
ये जगह है जर्मनी में. नाम है इंगोल्स्ताद. ये एक छोटा सा शहर है, जो जर्मनी के बावरिया सूबे में स्थित है. इसी इंगोल्स्ताद शहर में हुई थी इलुमिनाती फ़िरक़े की शुरुआत. इसे शुरू करने वाले यहां की यूनिवर्सिटी के एक प्रोफ़ेसर थे. एक मई, 1776 को इगोल्स्ताद यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एडम वीशॉप्ट ने इलुमिनाती क्लब की शुरुआत की थी.
ADVERTISEMENT
प्रोफ़ेसर वीशॉप्ट ने इसका नाम रखा था 'ऑर्डर ऑफ़ इलुमिनाती.' ये एक ख़ुफ़िया संगठन था, जो धार्मिक कट्टरता के ख़िलाफ़ काम करना चाहता था. वो चर्च और सरकार के गठजोड़ के विरुद्ध था. इलुमिनाती का मक़सद था दुनियावी मसलों पर खुलकर बहस करना और आम राय से बेहतर दुनिया बनाने की कोशिश करना.
ADVERTISEMENT
इलुमिनाती के सदस्य बोलने की आज़ादी के अलंबरदार थे. वो प्रशासन को ज़रूरत से ज़्यादा अधिकार देने के भी ख़िलाफ़ थे. प्रोफ़ेसर वीशॉप्ट की अगुवाई में इलुमिनाती संगठन के लोग कट्टरपंथ से आज़ाद दुनिया की स्थापना करना चाहते थे. वो चाहते थे कि लोग मज़हब की बेड़ियों को अक़्लमंदी से काटकर तरक़्क़ी करें.
उनके ज़हन में ऐसी दुनिया का ख़्वाब था, जहां सब को बराबरी का हक़ हासिल हो. असल में प्रोफ़ेसर एडम वीशॉप्ट फ्रांस के सांस्कृतिक आंदोलन और कई यूरोपीय देशों में सक्रिय रहे फ्रीमैसन्स आंदोलन से प्रभावित थे. ये सारे ही आंदोलन, रोमन कैथोलिक चर्च के समाज पर बढ़ते शिकंजे के ख़िलाफ़ थे.
इलुमिनाती पर पाबंदी
History of illuminati : इन्हें हुक्मरानों का पोप के आगे झुकना भी पसंद नहीं था. वो सत्ता में जनता की भागीदारी चाहते थे, पोप का दखल नहीं. प्रोफ़ेसर वीशॉप्ट ने इलुमिनाती की शुरुआत अपने कुछ छात्रों के साथ की थी. धीरे-धीरे संगठन में और लोग भी जुड़ने लगे. उनकी इंक़लाबी बातों से बहुत से लोग मुतासिर थे.
जर्मन शहर गोथा
कुछ लोगों के मुताबिक़ उस वक़्त इंगोल्स्ताद यूनिवर्सिटी में शायद इसकी खुली इजाज़त नहीं थी. इसीलिए प्रोफ़ेसर वीशॉप्ट को इलुमिनाती नाम से ख़ुफ़िया संगठन बनाना पड़ा. इंगोल्स्ताद यूनिवर्सिटी की मध्यकालीन इमारत में आप को खोजने से भी इलुमिनाती के निशान नहीं मिलेंगे. आख़िर ये संगठन ख़ुफ़िया जो था.
हालांकि, स्थापना के कुछ दिन बाद ही बावरिया की सरकार को प्रोफ़ेसर एडम वीशॉप्ट के संगठन की भनक लग गई थी. पुलिस ने इलुमिनाती के अंदरूनी सर्किल में घुसपैठ कर ली थी. सरकार ने इलुमिनाती पर पाबंदी लगा दी. वीशॉप्ट को तड़ीपार करके इंगोल्स्ताद से क़रीब 300 किमी दूर जर्मन शहर गोथा में रहने के लिए भेज दिया गया था.
लेकिन, पिछले क़रीब 300 सालों इलुमिनाती का मिथक तमाम तरीक़ों से यूरोपीय देशों के लोगों के ज़हन में बैठा हुआ है. लोग मानते हैं कि इलुमिनाती संगठन कभी ख़त्म नहीं हुआ. इंगोल्स्ताद में कहा जाता है की शहर में आज भी इलुमिनाती की ख़ुफ़िया बैठकें होती हैं.
डैन ब्राउन के उपन्यास 'एंजेल्स ऐंड डेमन्स'
हालांकि, कुछ लोग दावा करते हैं कि फ्रांस में 18वीं सदी में हुई क्रांति के पीछे भी इलुमिनाती ही थे. बहुत से लोग अमरीकी राष्ट्रपति जॉन कैनेडी की हत्या में भी इलुमिनाती का हाथ मानते हैं. वहीं, कई तो ये भी कहते हैं कि 2001 में अमरीका पर हुआ 9/11 का हमला भी इलुमिनाती की करतूत थी.
हाल के कुछ सालों में डैन ब्राउन के उपन्यास 'एंजेल्स ऐंड डेमन्स' की वजह से इलुमिनाती सुर्ख़ियों में रहे हैं. इस उपन्यास पर हॉलीवुड में फ़िल्म भी बनीं.
इलुमिनाती की स्थापना
दिलचस्प बात ये है कि जिस जर्मन शहर इंगोल्स्ताद में इलुमिनाती की शुरुआत हुई थी, वहां ही इसे भुला दिया गया है. इस शहर को आज लोग ब्रिटिश लेखिका मैरी सेली के उपन्यास फ्रैंकेंस्टीन की वजह से ज़्यादा जानते हैं. मैरी ने ये उपन्यास उन्नीसवीं सदी में लिखा था. इसकी कहानी इंगोल्स्ताद पर आधारित है.
अगर इलुमिनाती के किसी निशान की बात करें, तो आज इसका ज़िक्र प्रोफ़ेसर एडम वीशॉप्ट के घर के बाहर लगी नाम की पट्टी पर ही दिखता है. ये इमारत शहर के एक छोटे से बाज़ार में स्थित है. इसे इलुमिनाती की ख़ुफ़िया बैठकों का अड्डा बताया जाता है.
इसके अलावा शहर के अजायबघर में प्रोफ़ेसर एडम वीशॉप्ट की लिखी एक क़िताब भी है. इसमें प्रोफ़ेसर वीशॉप्ट ने बताया था कि उन्होंने इलुमिनाती की स्थापना क्यों की. इसका मक़सद क्या है. उनके हाथ से लिखी ये क़िताब आज भी म्यूज़ियम में सुरक्षित रखी है. हालांकि, इसके पन्नों के रंग उड़ चुके हैं.
आज भी इलुमिनाटी के रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया है. उसका सच क्या था? ये आज भी कोई नहीं जानता है.
ADVERTISEMENT