लूट की वारदात से ऐसे सुलझी पंजाब पुलिस की पहेली, लुटेरे से शूटरों का पता मिलने का दिलचस्प किस्सा

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लूट की वारदात से ऐसे सुलझी पंजाब पुलिस की पहेली, लुटेरे से शूटरों का पता मिलने का दिलचस्प किस्सा
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Moose Wala Murder Case: अमृतसर (Amritsar) के नज़दीक अटारी (Attari) के एक गांव में सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moose Wala) के मर्डर में शामिल दो खतरनाक शूटरों (Shooters) जगरुप सिंह रुपा और मनप्रीत सिंह मन्नू के मारे जाने के बाद ये सवाल भी उठा कि आखिर ये दोनों शातिर शूटर इतनी आसानी से कैसे पंजाब पुलिस (Punjab Police) के चंगुल में आकर फंस गए और जो महज इशारे इशारे में गोली चलाकर किसी को भी मौत की नींद सुलाने में माहिर हैं वो कैसे पंजाब पुलिस की सरकारी गोली का निशाना बन गए।

असल में जगरुप रूपा और मनप्रीत मन्नू का पुलिस को पता मिलना भी अपने आप में एक दिलचस्प किस्सा है। और उससे ये भी पता चल जाता है कि आखिर पुलिस कैसे कैसे कहां कहां से तार जोड़ती हुई असली अपराधी तक पहुँच ही जाती है जिसकी बानगी जगरुप रूपा और मनप्रीत मन्नू हो सकते हैं।

29 मई को सिद्धू मूसेवाला का मर्डर होने के बाद शूटआउट में शामिल छह के छह शूटर मौके से तो फरार हो गए थे...और वो भी गैंग के सरगना गोल्डी बरार के इशारे पर। गोल्डी की सख्त हिदायत थी कि मूसेवाला को मारने के बाद कोई भी शूटर पंजाब में नहीं रुकेगा और उनके छुपने के लिए गोल्डी के साथ साथ लॉरेंस बिश्नोई ने भी इंतजाम पहले से कर दिए थे।

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Moose Wala Murder Case: असल में 29 मई की शाम को सिद्धू मूसेवाला के कत्ल के फौरन बाद ही कनाडा में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बराड ने अपने तमाम शूटरों को पंजाब छोडने का हुक्म जारी कर दिया था। दरअसल गोल्डी को लगता था कि मूसेवाला के कत्ल के बाद उसके घरवालों और फैंस के लिए पूरे पंजाब में एक सिम्पैथी वेव यानी हमदर्दी की बयार चल सकती है।

ऐसे में उसे निशाना बनानेवाले शूटर्स के लिए पंजाब में छुपना मुश्किल हो सकता है। उसका अंदाजा काफी हद तक सही भी था और पंजाब पुलिस इस वारदात के बाद से ही हाई अलर्ट पर आ गई थी।

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मूसेवाला की जान लेनेवाले हमलावरों ने शूटरों के दो मॉडयूल ने हिस्सा लिया था और वारदात के बाद तेज़ हुई पुलिस चौकसी के बीच अगले दो से तीन दिनों के अंदर प्रियव्रत फौजी, अंकित सिरसा, कुलदीप उर्फ़ कशिश, और दीपक मुंडी के साथ-साथ मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा ने भी पंजाब छोड़ दिया।

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Moose Wala Murder Case: यानी हमले के बाद इन दोनों के दोनों के मॉड्यूल के शूटर पंजाब से बाहर निकल गए थे। प्रियव्रत फौजी की अगुवाई में उसके शूटर हरियाणा के फतेहाबाद, तोषाम, राजस्थान के पिलानी, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और गुजरात के कच्छ के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ ठिकानों में छुपते रहे.. .

और आखिरकार अलग-अलग जगहों से पकड़े गए। लेकिन पंजाब मॉड्यूल के मन्नू और रूपा का कोई पता नहीं चला। लेकिन पंजाब मॉड्यूल के शूटर जगरुप रुपा और मनप्रीत मन्नू की परछाईं भी पुलिस को नहीं मिल सकी। इसके बाद अचानक एक ऐसी घटना हुई जिसने पुलिस के सामने फैली इस पहेली को पलक झपकते ही सुलझाकर रख दिया।

मोहाली के सोहाना थाना इलाके में 11 जून की रात साढे आठ बजे लूट की एक वारदात हुई थी। प्रवीण ज्वेलर्स नाम की एक दुकान से गुमनाम लुटेरे तकरीबन साढे तीन सौ ग्राम सोने के गहने, ढाई किलो चांदी और दूसरी चीजें लूट कर फरार हो गए थे। पंजाब पुलिस फौरन हरकत में आई और छानबीन में जुट गई। करीब एक हफ्ते की मशक्कत के बाद 18 जून को पुलिस परमदलीप सिंह उर्फ़ पम्मा नाम के एक अपराधी को लूटी गई ज्वेलरी, पिस्टल और लूट में इस्तेमाल की गई कार के साथ गिरफ्तार कर लेती है।

Moose Wala Murder Case: कहने को तो ये एक लूट की एक आम वारदात थी, जिसे मोहाली पुलिस ने हफ्ते भर की मशक्कत के बाद सुलझा भी लिया, लेकिन आगे चल कर यही लूट की वारदात मूसेवाला मर्डर केस में पंजाब पुलिस के लिए कामयाबी की सबसे बडी वजह बन गई।

जी हां, इसी लूट की वारदात ने पंजाब पुलिस को मूसेवाला के शूटर मनप्रीत उर्फ़ मन्नू और जगरूपा रूपा के बारे में ऐसा सुराग दिया कि दोनों शूटर ना सिर्फ़ हिंदुस्तान-पाकिस्तान की सरहद के करीब अटारी के एक गांव में घिर गए, बल्कि तकरीबन साढे चार घंटे चली एकाउंटर के बाद पुलिस ने दोनों को ढेर भी कर दिया गया।
लेकिन आख़िर कैसे मुमकिन हुआ ये? परमदीप सिंह पम्मा कैसे पंजाब पुलिस को मूसेवाला के कातिलों का सुराग मिला? कैसे पम्मा पुलिस के लिए तुरूप का इक्का साबित हुआ? इसको भी ज़रा सिलसिलेवार तरीक़े से समझ लीजिए..

Moose Wala Murder Case: दरअसल पंजाब के तरनतारन का रहनेवाला पम्मा भी मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा की तरह ही एक पुराना क्रिमिनल है और उसकी मन्नू और रूपा से अच्छी दोस्ती भी थी। अकेले पंजाब में ही उसके खिलाफ कत्ल समेत अलग-अलग जुर्म के सात मामले दर्ज हैं।

ऐसे में जब पंजाब पुलिस ने पम्मा को गिरफ्तार किया, तो उससे उसके गुनाहों के हिसाब-किताब के साथ-साथ पुलिस ने मन्नू और रूपा के बारे में भी गहराई से पूछताछ की और तब जाकर पुलिस को मन्नू और रूपा की लोकेशन का आइडिया मिलने लगा। और एक बार पुलिस को लोकेशन पता चली नहीं कि दोनों की ट्रैकिंग शुरू हो गई।

इसी बीच पुलिस को एक सीसीटीवीफुटेजमिला। पंजाब के मोगा के नज़दीक समालसर में कैद हुई सीसीटीवी की उन तस्वीरों में मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा की झलक दिखी।असल में फरारी के दिनों में दोनों एक बाइक में बैठकर किसी नए ठिकाने की तरफ़ भाग रहे थे।लेकिन पम्मा ने सीसीटीवी की तस्वीरों में दोनों को पहचान लिया।

यानी पम्मा ने ही पुलिस को बताया था कि ये तस्वीर मन्नूऔर रूपा की ही है। चेहरा सामने आते ही पुलिस के हाथ में उनकी लोकेशन की सुइयां एक के बाद एक मिलती चली गईं। और धीरे धीरे पुलिस के कदम पीछा करते हुए दोनों शातिरों के करीब पहुँचने लगे। यानी पुलिस ने दोनों को घेरने की तैयारी तेज़ कर दी।

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