Sidhu Moose Wala Death : घर का कोई खास भी शामिल है मूसेवाला की हत्या की प्लानिंग में!

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Sidhu Moose Wala Death :  घर का कोई खास भी शामिल है मूसेवाला की हत्या की प्लानिंग में!
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Sidhu Moose Wala Death : मूसेवाला की हत्या कैसे सुरक्षा हटाते ही हो गई ? क्या आरोपी घात लगाकर बैठे हुए थे ? क्या किसी अपने ने मुखबिरी की ? और अगर की तो इतनी जल्दी कैसे आरोपी मौका ए वारदात पर पहुंच गए और अपने काम को अंजाम दे गए ? ये ऐसे सवाल है, जिनका जवाब पुलिस खोजने की कोशिश कर रही है।

ये साफ है कि जैसे ही मूसेवाला की सुरक्षा हटी और अगले ही दिन उसने बिना सिक्योरिटी और बुलेट प्रूफ गाड़ी में जाने की प्लानिंग की, बस उसी वक्त उसकी हत्या की भी प्लानिंग शुरू हो गई थी। हमलावरों को साफ अंदाजा था कि वो इस वक्त थार गाड़ी में मौजूद होगा। घात लगाए बदमाशों ने तुरंत उस पर हमला बोल दिया। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसी घऱ के व्यक्ति ने मुखबिरी की ?

अब ऐसे में गोल्डी बरार और लारेंस गैंग का नाम सामने आ रहा है। दरअसल, इसके पीछे कई वजहें है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सैल ने शाहरुख नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपी शाहरुख ने स्पेशल सेल को बताया था कि सिद्धू मूसेवाला को मारने का काम (सुपारी) उसे गैंगस्टर गोल्डी बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई की तरफ से दिया गया था। उन्होंने पहले भी सिद्धू को मारने की कोशिश की थी लेकिन तब सुरक्षाकर्मियों को देखकर ये लौट गए थे। पूछताछ में शाहरुख ने कुल 8 नाम बताये हैं, जिनपर उसने हत्यारों की मदद करने का आरोप लगाया है। इसमें पंजाबी सिंगर मनकीरत औलख के मैनेजर का नाम भी शामिल है।

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सूत्रों के मुताबिक, शाहरुख ने कहा कि वह भोला (हिसार का रहने वाला) और सोनू काजल (नारनौंद, हरियाणा) के साथ मूसेवाला के गांव गया था, लेकिन जब उसने वहां 4 पीएसओ AK-47 के साथ तैनात देखे तो उन्होंने हत्या का प्लान ड्रॉप कर दिया। अब दावा किया जा रहा है कि सिद्धू के मर्डर में अब वही बोलेरो कार इस्तेमाल हुई है जिसे भोला और सोनू रेकी के दौरान इस्तेमाल करते थे। पूछताछ में कुल 8 नाम सामने आए हैं, जिन्होंने सिद्धू मूसेवाला के हत्यारों की मदद की। आरोपियों के नाम हैं - गोल्डी बराड़, लॉरेंस बिश्नोई, सचिन (मनकीरत औलख का मैनेजर), जग्मू भगवानपुरिया, अमित काजला, सोनू काजल और बिट्टू (दोनों हरियाणा के), सतेंदर काला (फरीदाबाद सेक्टर 8) और अजय गिल।

शाहरुख गोल्डी बराड़ से सिग्नल ऐप (Signal App) से बातचीत करता था। उसका फोन फिलहाल स्पेशल सेल ने जब्त किया हुआ है। दावा किया गया है कि लॉरेंज बिश्नोई तिहाड़ जेल में भी फोन का इस्तेमाल करता है।

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लेकिन क्यों बिश्नोई और गोल्डी पड़े थे मूसेवाला के पीछे तो इसकी वजह भी जान लीजिए। सिद्धू मूसेवाला उत्तर भारत के दो बड़े गैंग्स के बीच सालों से चली आ रही गैंगवार में ऐसा फंस गए कि आख़िरकार उसकी जान ही चली गई। उत्तर भारत के कई राज्यों मसलन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के जुर्म की काली दुनिया पर कई गैंग्स का राज चलता है, लेकिन इन गैंग्स में दो सबसे अहम गैंग्स हैं लॉरेंस विश्नोई गैंग और दविंदर बंबीहा गैंग। लॉरेंस विश्नोई फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं, जबकि दविंदर मारा जा चुका है, लेकिन दोनों ही गैंग्स के गुर्गे लगातार एक दूसरे से टकराते रहे हैं। इसी टक्कर में पिछले साल 8 अगस्त महीने में विक्की मिद्दूखेड़ा नाम के एक गैंगस्टर की मोहाली में हत्या कर दी गई।

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मिद्दूखेड़ा, लॉरेंस विश्नोई और उसके साथी गोल्डी बराड़ का दायां हाथ माना जाता था। इस क़त्ल का इल्ज़ाम दंविंदर बंबीहा गुट पर लगा। बंबीहा गुट की तरफ मूसेवाला और उसके मैनेजर का झुकाव था। दिल्ली पुलिस ने इस क़त्ल के सिलसिले में कुछ शूटर्स को गिरफ़्तार किया, जिन्होंने सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर खुशप्रीत का नाम लिया।

बताया कि मिद्दूखेड़ा की रेकी करने में खुशप्रीत ने उनकी मदद की थी और सिद्धू मूसेवाला ने कथित तौर पर इस क़त्ल के बाद अपने मैनेजर खुशप्रीत को भारत से आस्ट्रेलिया भागने में उसकी मदद की और बस यहीं से सिद्धू मूसेवाला लॉरेंस विश्नोई गैंग के निशाने पर आ गया। इसके बाद लॉरेंस विश्नोई गैंग ने मूसेवाला को इसका अंजाम भुगतने की भी धमकी दी थी। कनाडा में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बरार ये मानना था मूसेवाला ने ही उसके भाई गुरुलाल बराड़ का भी क़त्ल करवाया है। यानी मूसेवाला से लॉरेंस और गोल्डी की दुश्मनी की कई वजहें थीं और आख़िरकार इन वजहों ने ही मूसेवाला की जान ले ली।

लेकिन पिछले काफी दिनों से गोल्डी बरार और लारेंस बिश्नोई गैंग एक्टिव है। दोनों ने कई हत्याओं को अंजाम दिया है, बावजूद इसके न तो लारेंस को आज तक कोई ठोस सजा नहीं हुई है। सजा तो दूर की बात है वो तो जेल से ही अपना गैंग चला रहा है। दूसरा आज तक पुलिस गोल्डी बरार को पकड़ नहीं पाई है। ये शख्स भारत से कोसो दूर बैठकर अपना गैंग चला रहा है। लारेंस के गैंग में करीब 700 गुर्गें काम कर रहे है। पिछले काफी सालों से ये लोग अपना गैंग चला रहा है और पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके है।

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