Peshawar Attack: पठानों के खामोश शहर को आठ साल के बाद फिर मिला न भूलने वाला दर्द
Terror Attack: पाकिस्तान के सबसे शांत शहरों की जमात में शामिल पेशावर में मस्जिद में हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका तक में खलबली मच चुकी है, और वजह भी वाजिब है।
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Pakistan Terror Attack: पाकिस्तान के पेशावर शहर (Peshawar) में एक इलाका है पुलिस लाइंस (Police Lines)। और इसी पुलिस लाइंस की मस्जिद (Mosque) में सोमवार को एक ब्लास्ट हुआ जिसमें 93 से ज़्यादा पुलिसवाले बेमौत मारे गए। जबकि 147 से ज़्यादा लोग जख्मी हो गए।
वैसे पाकिस्तान में पेशावर शहर को एक और नाम से जाना जाता है। इसे पठानों का शहर भी कहा जाता है। और इसी पठानों के शहर में एक फिदाइन ने घुसकर हमला किया था। ये बात खुद एक चश्मदीद के हवाले से सामने आई है जबकि शहर के आईजी गुलाम रसूल भी इस हमले को फिदाइन हमला ही मान रहे हैं।
हालांकि पाकिस्तान के इन शहरों खासतौर पर खैबर पख्तूख्वा सूबे के शहरों में ऐसे हमले अक्सर देखने को मिलते हैं।
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याद होगा साल 2014 में इसी पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल यानी (APS) पर तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान जिसे TTP के नाम से जाना जाता है उसने हमला किया था। उस हमले में 141 बच्चों की मौत हो गई थी जबकि कुल जमा 148 लोग मारे गए थे।
लेकिन पिछले आठ सालों से इस इलाके में कोई भी आतंकी वारदात नहीं हुई थी। और कहा जा सकता है कि पाकिस्तान के सबसे शांत शहरों में पेशावर का शुमार किया जाने लगा था।
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Terror Attack: क्या इत्तेफाक की बात है कि सोमवार को हुए पाकिस्तान में धमाके की जिम्मेदारी भी TTP ने ही ली है। अब सवाल उठता है कि पाकिस्तान के पेशावर शहर की जिस मस्जिद में धमाका हुआ वहां आमतौर पर तीन लेयर का पहरा रहता है। यानी उस मस्जिद के आस पास तीन लेयर की सुरक्षा घेरा रहता है जिसे पार कर पाना किसी के लिए भी आसान नहीं होता।
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तो फिर उस रेड ज़ोन वाले हिस्से में एक फिदाइन कैसे पहुँच गया? पठानों के उस शहर में वो कौन मददगार था जिसने उस आतंकी फिदाइन को उस हिस्से तक पहुँचाया? लेकिन इन सबसे बड़ी बात ये है कि इस हमले के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर ही सवाल क्यों उठ रहे हैं?
असल में सोमवार को पठानों के शहर में हुए धमाके के बाद पाकिस्तान में पीपीपी के सांसद ने एक इल्ज़ाम हवा में उछाला है। उनका कहना है कि पेशावर में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का एक अस्पताल है शौकत खान अस्पताल। लेकिन इल्जाम ये है कि उस अस्पताल में तालिबानी दहशतगर्दों का इलाज किया जाता है।
सिर्फ इतना ही नहीं, इलाज करवाने आने वाले दहशतगर्दों को बाकायदा पैसे भी दिए जाते हैं साथ ही अस्पताल की तरफ से तालिबान को फंड भी भेजा जाता है। लेकिन इसके बाद वाला इल्जाम तो और भी खतरनाक है और वो ये कि इमरान खान सत्ता में वापसी करने की खातिर ही पूरे मुल्क को आग में झोंक रहे हैं।
इमरान खान ने कुछ अरसा पहले एक बात कही थी और वो बात अब बतंगड़ बनकर खुद इमरान खान के गले पड़ गई है। इमरान ने कहा था कि TTP के लोगों को वो आमनागरिकों की तरह अलग अलग हिस्सों में बसाना चाहते हैं।
हालांकि उनकी इस बात से किसी ने भी इत्तेफाक नहीं रखा। मगर अब उनकी उसी कही बात को लेकर पाकिस्तान की दूसरी विपक्षी पार्टियों ने कहना शुरू कर दिया है कि पेशावर में टीटीपी के आतंकियों की आमद के पीछे कोई और नहीं बल्कि तालिबान खान यानी इमरान खान ही हैं।
इन दिनों पाकिस्तान की फौज और सरकार एक नए गठजोड़ को लेकर बेहद परेशान हो गई है। ये गिरहबंदी किसी और के बीच नहीं बल्कि बलूचिस्तान के विद्रोही और टीटीपी के आतंकी हैं। दावा किया जा रहा है कि इन दोनों का गठजोड़ पाकिस्तान के हक़ में ठीक नहीं है।
क्योंकि अफगान तालिबान भी टीटीपी को पूरी तरह से मदद करता है। लेकिन पाकिस्तान की सेना और वहां की सरकार की परेशानी के एक और बड़ा सबब ये भी है कि अफग़ानिस्तान के तालिबान तो पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की डूरंड लाइन को भी नहीं मानते हैं। यही वजह है कि पिछले दिनों इस बॉर्डर पर काफी फायरिंग भी हुई जिससे कई सैनिक और आम नागरिक मारे गए।
Taliban & Suicide Bomber:15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया था। और उसके पांच रोज बाद यानी 20 अगस्त को ही तालिबान के सरगनाओं ने ये बात साफ कर दिया था कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पड़ने वाली डूरंड लाइन को वो नहीं मानता। और इसके बाद तालिबान ने ये तक कहना शुरू कर दिया था कि पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा राज्य असल में अफगानिस्तान का हिस्सा है।
साल 2002 में अमेरिकी सेना ने जब आतंकियों का सफाया करने की गरज से अफगानिस्तान पर धावा बोला था तो कहा जाता है कि अमेरिका के हमलों से बचने के लिए अफगानिस्तान के आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाके में छुप गए थे।
दावा तो ये भी किया जाता है कि पाकिस्तान की फौज इस्लामाबाद की लाल मस्जिद को कट्टरपंथियों के चंगुल से छुड़ाना चाहती है। मगर मुसीबत ये है कि लाल मस्जिद का कट्टरपंथी प्रचारक किसी जमाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का खासमखास हुआ करता था।
पाकिस्तान में दावा किया जा रहा है कि स्वात घाटी में अब पाकिस्तान की हुकूमत के खिलाफ आवाज़ें तेज होने लगी हैं खासतौर पर लोगों के निशाने पर पाकिस्तान आर्मी के लोग हैं। इस कबाइली इलाक़ों में बागी गुट पनाह लेने लगे हैं।
लेकिन सबसे बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा तो यही है कि अमेरिका ने अब पाकिस्तान को आगाह किया है कि अगर पाकिस्तान ने अपनी फौज में सफाई अभियान ढंग से नहीं चलाया तो दुनिया के लिए ये खतरा हो सकते हैं क्योंकि पाकिस्तान की फौज में TTP समर्थक होने का मतलब ये भी है कि आतंकियों की पहुँच में पाकिस्तान के एटीमी हथियार भी आ सकते हैं।
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