DG की हत्या में क्या सच्चाई छुपाई जा रही है? पुलिस की कहानी में क्यों है झोल?

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DG की हत्या में क्या सच्चाई छुपाई जा रही है? पुलिस की कहानी में क्यों है झोल?
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DG Murder Mystery: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के DG जेल हेमंत कुमार लोहिया का जिस हालात में मर्डर हुआ वो तो अपने आप में कई सवालों (Question) को पैदा करता ही है। लेकिन कुछ ऐसे सवाल भी हैं जिनके जवाब भी पुलिस (Police) अभी तक ढूंढ़ नहीं पाई है। DG जेल हेमंत कुमार लोहिया की गला दबाकर हत्या की गई और फिर कैचअप (Cathch-up) की बोतल से उनका गला रेता गया। यानी क़ातिल (Murderer) ने जिस तरीके से हेमंत लोहिया की हत्या की वो बेहद डरवाना भी है।

हत्या के इल्जाम में पुलिस ने मौके से भाग निकले नौकर यासिर अहमद को थोड़ी मशक्कत के बाद पकड़ भी लिया गया। पुलिस का तो यही दावा है कि हत्या का असली आरोपी यासिर ही है। मगर वही पुलिस ये भी कहती दिखाई दी कि यासिर की मानसिक हालत ठीक नहीं और वो डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार था।

अब ये बात ज़रा गले से उतर नहीं पा रही कि जो आदमी खुद की मौत को लिख लिखकर बुला रहा हो वो किसी को कैसे मार सकता है? हालांकि ये कोई ज़रूरी भी नहीं है और ये सवाल बुनियादी तौर पर ही गलत हो जाए...लेकिन सवाल तो है ही।

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और इसी तरह के कुछ और भी सवाल हैं जिनके जवाब की तलाश पुलिस को कुछ ज़्यादा ही बेचैन कर रही है।

पुलिस वैरिफिकेशन का सवाल!

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DG Murder Mystery: हत्या की इस वारदात का शिकार कोई आम और मामूली इंसान तो हुआ नहीं...बल्कि पूरे प्रदेश के एक डीजी रैंक के अधिकारी का मर्डर हुआ है, ऐसे में सबसे पहला और मामूली सवाल यही है कि जिस नौकर के पीछे पुलिस ने अपनी पूरी पलटन लगा दी है, जिसे एक बड़े अफसर की देख भाल के लिए रखा गया था, भले ही वो किसी ने भी रखा हो...

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सवाल यही है कि क्या नासिर अहमद का पुलिस वैरिफिकेशन हुआ था? क्योंकि अभी तक इस बारे में किसी भी पुलिसवाले का कोई भी बयान सामने नहीं आया है। यासिर के बारे में यही बात सामने आई है कि वो रामबन में रहता था। लेकिन उसका अतीत क्या है, उसका किन लोगों के साथ कैसा याराना था और उसकी मानसिक हालत की कोई पुरानी मेडिकल हिस्ट्री का कोई लेखा जोखा पुलिस के रिकॉर्ड में है क्या? इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।

आतंकियों से यासिर का कोई कनेक्शन?

DG Murder Mystery: हत्या की इस वारदात के बाद जम्मू कश्मीर के आतंकी संगठन TRF ने इस मर्डर की जिम्मेदारी ली...उसके बाद जैश ए मोहम्मद की खादपानी से अपना वजूद बनाने वाले नए आतंकी संगठन PAFF ने भी अपनी चिट्ठी भेजकर जता दिया की इस वारदात में उसका हाथ है। उधर पुलिस लगातार टेरर के एंगल को खारिज करती दिखाई दे रही है।

और ये बात किसी से छुपी भी नहीं है कि जम्मू कश्मीर में आमतौर पर वर्दी या फोर्स से ताल्लुक रखने वाले सिपाही या जवान हर दम आतंकियों के निशाने पर होते हैं। अब यहां पर सवाल खड़ा होता है कि जिस यासिर की तरफ इस वक्त इल्ज़ामों की उंगलियां उठ रही हैं क्या पुलिस महकमें ने पहले से इस बात को पुख्ता किया था कि यासिर के ताल्लुकात कभी भी किसी आतंकी संगठन से तो नहीं थे। जाहिर सी बात है कि ये सवाल भी पुलिसवालों को बेचैन कर रहा है।

हत्या की प्लानिंग का झोल

DG Murder Mystery: डीजी जेल हेमंत लोहिया की हत्या उनके सरकारी आवास पर नहीं हुई बल्कि उनके खास दोस्त राजीव खजूरिया के घर में हत्या की वारदात अंजाम दी गई। पुलिस की तफ्तीश बताती है कि हेमंत लोहिया अपने नौकर यासिर अहमद को भी अपने साथ अपने दोस्त के घर लेकर गए थे। उस घर में पहली मंजिल पर ही हेमंत लोहिया के रहने का कमरा था। और यासिर भी उनके साथ उस कमरे में मौजूद था। हेमंत लोहिया की हत्या में कैचअप की बोतल कहां से आई।

क्या डीजी लोहिया ने उसी कमरे में अपने खाने पीने का बंदोबस्त कर रखा था। फिर ये भी खबर सामने आई कि हत्या के बाद उन्हें जलाने की भी कोशिश की गई। तो फिर उस कमरे में आग जलाने के लिए माचिस कहां से आई। इसके अलावा ये दावा किया गया है कि यासिर हत्या के बाद उस कमरे में खिड़की या दूसरे दरवाजे से भाग गया जबकि कमरे का मुख्य दरवाजा भीतर से बंद था। तो क्या उस घर का भूगोल यासिर अच्छी तरह जानता था? ये सवाल भी पुलिस को परेशान कर रहा है। क्योंकि इसमें कातिल की प्लानिंग की झलक मिलती है। 

डिप्रेशन में हत्या की बात हजम नहीं हुई

DG Murder Mystery: अब आते हैं पुलिस के तीसरे सवाल पर...पुलिस का दावा है कि डीजी का नौकर यासिर डिप्रेशन में था, बाद में पुलिस को मिली डायरी के पन्नों से इस बात की तस्दीक भी हो जाती है कि यासिर अहमद किसी दिलजले इंसान की तरह का होगा. क्योंकि डायरी के पन्नों में जो कुछ भी लिखा है वैसा आमतौर पर कोई भी नॉर्मल इंसान शायद नहीं लिखता है।

जाहिर है कि इन्हीं पन्नों की रोशनी में पुलिस ने यासिर को डिप्रेशन का शिकार बताया होगा, तो फिर यहां ये सवाल खड़ा हो जाता है कि जो शख्स खुद डिप्रेशन में डूबा हुआ हो वो किसी की गला रेतकर हत्या कैसे कर सकता है। और अगर किसी भी हालत में डिप्रेशन के उस मरीज ने किसी को मार भी दिया तो वो मौके से इतने शातिरों की तरह भाग कैसे सकता है। यानी एक बड़े अफसर की हत्या और वो भी इतनी प्लानिंग के साथ ये बात भी कुछ हजम नहीं हो पा रही। 

पेशेवर हत्यारे का काम है क्या?

DG Murder Mystery: जम्मू के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा था कि हेमंत लोहिया का नौकर यासिर गर्म दिमाग का है। और बात बात पर गुस्सा करता है। ऐसे में अगर वो इतना ही गुस्सैल स्वभाव का था तो महकमें के इतने बड़े अधिकारी के साथ इतने करीब कैसे रह पा रहा था कि डीजी लोहिया उसे अपने साथ रहने के लिए दोस्त के घर तक ले आए...

और मान भी लिया जाए कि यासिर गुस्सैल स्वभाव का था तो वो गुस्से की उस हालत में किसी को धक्का तो दे सकता है लेकिन क्या वो इतना गुस्से से आग बबूला हो सकता है कि पुलिस के इतने बड़े अधिकारी की गला रेतकर हत्या करके वहां से भाग खड़ा हो। गला रेत कर मारना सबके बस की बात भी नहीं ऐसे में क्या ये समझा जाए कि यासिर कत्ल के मामले में बहुत पेशेवर था? लिहाजा पुलिस की इस दलील में झोल नज़र आता है।

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