7 साल की बच्ची बनी दुल्हन, फोन पर गेम खेलती रही 38 साल के आदमी ने 4.5 लाख में खरीद कर ली शादी

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7 साल की बच्ची बनी दुल्हन, फोन पर गेम खेलती रही 38 साल के आदमी ने 4.5 लाख में खरीद कर ली शादी
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Child Marriage Case rajasthan: राजस्थान के धौलपुर जिले में सात साल की मासूम बच्ची को खेलने की उम्र में शादी कर दी गई. सात साल की मासूम बच्ची को एक व्यक्ति ने कुछ लोगों के हाथों साढ़े चार लाख में बेच दिया और मासूम बच्ची की शादी भी 38 वर्षीय युवक से कर दी गई है. पुलिस ने  को गिरफ्तार कर लिया है. मैंने एक आरोपी को राउंड अप भी किया है.

पुलिस उपाधीक्षक दीपक खंडेलवाल ने बताया कि मंगलवार को मुखबिर से सूचना मिली कि मनियां थाना क्षेत्र के बिरजापुरा गांव में एक मासूम लड़की को कुछ लोग खरीद कर लाए हैं और उस लड़की की शादी 21 मई 2023 को एक अधेड़ व्यक्ति से कर दी गई है. सूचना पर पुलिस टीम ने मुखबिर द्वारा बताए गए गांव बिरजापुरा में छापेमारी की, जहां एक परिवार खेत में सूने मकान में रहता मिला. घर के अंदर गया तो वहां सात साल की मासूम बच्ची मिली.  जिनके हाथों में मेंहदी और बिंदी थी. युवती के पैरों में पायल और बिछुआ मिला है. युवती मोबाइल पर कार्टून देख रही थी.

Child Marriage Case rajasthan

 जब घरवालों से बच्ची के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पहले तो उसे रिश्तेदार बताया. जब पुलिस ने लोगों से सख्ती से पूछताछ की तो परिजनों ने बताया कि उन्होंने बिछोला गांव के रहने वाले एक व्यक्ति से साढ़े चार लाख रुपये में बच्ची को खरीदा और बिरजापुरा गांव के 38 वर्षीय युवक भूपाल सिंह से 21 को शादी करा दी. 

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पुलिस उपाधीक्षक खंडेलवाल ने बताया कि मौके से बच्ची को बरामद कर लिया गया है और आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है. मामला मानव तस्करी, बाल विवाह और पॉक्सो एक्ट का पाया गया है. जिसके बाद मनियां थाना के बाल कल्याण अधिकारी सुरेश चंद्र एएसआई केस दर्ज किया गया है.

 पुलिस उपाधीक्षक खंडेलवाल ने बताया कि मानव तस्कर का परिवार पहले मध्य प्रदेश के एक हत्या के मामले में जेल की सजा काटकर यहां बसा हुआ था. इस मानव तस्करी और अपराध में कौन-कौन शामिल हैं, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है. खेलने-कूदने की उम्र में शादी कर दी सात साल की मासूम बच्ची और ये मासूम बच्ची आज भी शादी का मतलब नहीं जानती.

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 सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी राजस्थान में बाल विवाह जैसी कुप्रथा थमने का नाम नहीं ले रही है. देखा जाए तो अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा जैसे अघोषित अवसरों पर बाल विवाह रोकथाम के लिए सरकारी तंत्र सक्रिय हो जाता है, लेकिन फिर भी बाल विवाह चोरी-छिपे होते हैं.

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