यूपी में क्या जाति देखकर होते हैं एनकाउंटर? क्या योगी राज में सिर्फ यादव अपराधी किए जा रहे ढेर? आरोपियों की लिस्ट देखिए

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यूपी में क्या जाति देखकर होते हैं एनकाउंटर? क्या योगी राज में सिर्फ यादव अपराधी किए जा रहे ढेर? आरोपियों की लिस्ट देखिए
यूपी में एनकाउंटर में मारे गए 183 आरोपी कौन?
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UP News: समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में एक एनकाउंटर (Encounter) को लेकर सवाल उठाए हैं, जिसने राज्य की राजनीति में खलबली मचा दी है. उन्होंने 5 सितंबर को सुबह 9:15 बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक ट्वीट करते हुए सुल्तानपुर लूट कांड में मारे गए मुख्य आरोपी मंगेश यादव (mangesh yadav) के एनकाउंटर पर निशाना साधा. अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा, "लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नकली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गयी.” इस ट्वीट के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक भूचाल आ गया, क्योंकि उन्होंने एनकाउंटर में जातिवाद का आरोप लगाया.

एनकाउंटर पर समाजवादी पार्टी और योगी सरकार में विवाद

इस घटना के बाद सपा और योगी सरकार के बीच जबरदस्त सियासी विवाद शुरू हो गया है. समाजवादी पार्टी का दावा है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के तहत फर्जी एनकाउंटर हो रहे हैं और पुलिस जाति देखकर अपराधियों का एनकाउंटर कर रही है. अखिलेश यादव का यह आरोप विशेष रूप से पिछड़ी जातियों, दलितों और मुसलमानों के खिलाफ एनकाउंटर्स की ओर इशारा करता है. सपा मुखिया ने सरकार पर यह आरोप लगाया कि उनके सजातीय अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ पुलिस अत्यधिक सख्ती बरत रही है.

2017 से 2023 तक के एनकाउंटर्स की स्थिति

इस मामले की तह तक जाने के लिए Crimetak ने 2017 से 2023 तक हुए एनकाउंटर्स पर रिसर्च की. इस रिसर्च के अनुसार, जब से योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद संभाला है, तब से अब तक उत्तर प्रदेश में 183 अपराधियों का एनकाउंटर किया गया है. इस लिस्ट में सभी प्रमुख जातियों के अपराधियों के एनकाउंटर शामिल हैं. आंकड़ों के अनुसार, इन एनकाउंटर्स में सबसे बड़ी संख्या मुस्लिम अपराधियों की है. इसके बाद ब्राह्मण और ठाकुर अपराधियों का नंबर आता है. इस लिस्ट में जाट, गुर्जर, यादव, और दलित अपराधियों का भी उल्लेख किया गया है, जो तीसरे से छठे स्थान पर हैं. इसके अलावा, पुलिस और एसटीएफ ने कुछ आदिवासी, सिख और पिछड़े वर्ग के अपराधियों का भी एनकाउंटर किया है.

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यूपी में एनकाउंटर में मारे गए 183 आरोपी कौन?

  • मुस्लिम 61
  • ब्राह्मण  18
  • ठाकुर   16
  • जाट और गुर्जर 15
  • यादव 14
  • दलित 13
  • आदिवासी 03
  • सिख 02 
  • ओबीसी 07 
  • अन्य 34

इन आंकड़ों से यह साफ होता है कि एनकाउंटर किसी विशेष जाति के अपराधियों तक सीमित नहीं हैं. ब्राह्मण, ठाकुर, यादव, और जाट सभी जातियों के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इस बीच, योगी सरकार अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए इन एनकाउंटर्स को अपनी सफलता के रूप में देख रही है, जबकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस इसे सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का अवसर मान रही हैं. इस मामले ने यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की जनता इन एनकाउंटर्स को किस नजर से देखती है. क्या वे इसे न्याय की जीत मानते हैं या इसे पुलिस की मनमानी के रूप में देखते हैं?

डीजीपी प्रशांत कुमार का बयान

एनकाउंटर्स को लेकर उठते सवालों पर उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने अखिलेश यादव और अन्य आलोचकों द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुलिस किसी भी प्रकार की जातिगत भेदभाव के बिना निष्पक्ष रूप से कार्रवाई करती है. डीजीपी ने यह भी कहा कि जिन लोगों ने इन स्थितियों का सामना किया है, वे जानते हैं कि गोलीबारी के समय क्या होता है. उन्होंने यह दावा किया कि पुलिस केवल आवश्यक स्थिति में ही एनकाउंटर करती है और इसे फर्जी करार देना गलत है.

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एनकाउंटर और उत्तर प्रदेश की राजनीति का समीकरण

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एनकाउंटर एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है, और यह मामला केवल कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं रह गया है. यह जातिवाद, सामाजिक न्याय, और सरकार की नीतियों के बारे में बहस का केंद्र बन गया है. सपा और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल इसे योगी सरकार को घेरने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देख रहे हैं, जबकि सरकार इसे कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के अपने प्रयासों के रूप में पेश कर रही है. इस विवाद के बीच, जनता की राय और इन एनकाउंटर्स की निष्पक्षता पर सवाल बने रहेंगे.

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