नाबालिग को दी स्कूटी- कार तो जाएंगे जेल, 3 साल की सजा और 25 हजार जुर्माने का प्रावधान
लखनऊ, तीन जनवरी (भाषा) नाबालिग के दो पहिया और चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध संबंधी कानून को उत्तर प्रदेश में अब और सख्ती से लागू किया जाएगा।
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Crime News: नाबालिग के दो पहिया और चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध संबंधी कानून को उत्तर प्रदेश में अब और सख्ती से लागू किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक, अगर अभिभावकों या गाड़ी मालिक ने नाबालिग दो या चार पहिया वाहन चलाने दिया तो उन्हें तीन साल की कैद की सज़ा हो सकती है और उनपर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह द्वारा हाल में जारी निर्देश के बाद परिवहन विभाग के सहयोग से माध्यमिक स्कूलों में इसे लेकर सख्ती की जाएगी और युवाओं को जागरूक करने के लिए मुहिम भी चलाई जाएगी।
प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा निदेशक महेंद्र देव ने मंगलवार को प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को जारी एक पत्र में परिवहन आयुक्त के गत 27 दिसंबर के आदेश का भी जिक्र किया है।
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पत्र में कहा गया है कि परिवहन आयुक्त ने 18 साल से कम उम्र के छात्र-छात्राओं द्वारा दो पहिया एवं चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगाने और उनके द्वारा गाड़ी चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के सिलसिले में सभी संभागीय परिवहन अधिकारियों और सहायक संभागीय परिवहन अधिकारियों को विस्तृत दिशा निर्देश दिए हैं।
पत्र के मुताबिक, मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 की धारा 199 (क) के तहत प्रावधान किया गया है कि किसी किशोर द्वारा किए गए मोटर वाहन संबंधी अपराध में उसके संरक्षक या वाहन के स्वामी को ही दोषी मानते हुए सजा दी जाएगी। इसके तहत उसे तीन साल की कैद हो सकती है और उसपर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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परिवहन विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, अब इस कानून को और सख्ती से लागू किया जाएगा।
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पत्र के अनुसार, परिवहन आयुक्त ने परिवहन अधिकारियों को भेजे गए पत्र में यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य शुचिता चतुर्वेदी ने पिछले साल 15 दिसंबर को एक पत्र लिखकर अवगत कराया है कि 18 वर्ष से कम उम्र के किशोर-किशोरियों द्वारा बिना ड्राइविंग लाइसेंस के मोटरसाइकिल, स्कूटी व अन्य वाहन चलाए जाने से अनेक दुर्घटनाएं हो रही हैं और लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय तथा लोहिया संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों में से 40 प्रतिशत नाबालिग होते हैं।
चतुर्वेदी ने परिवहन विभाग को लिखे गए पत्र में यह भी आदेश दिए थे कि 18 वर्ष से कम आयु के किशोर-किशोरियों द्वारा वाहन चलाए जाने पर रोक लगाने के लिए कानून का कड़ाई से पालन कराया जाए और सभी शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को लिखे गए पत्र में निर्देश दिए गए हैं कि स्कूलों में प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा की जानकारी दी जाए और इसकी शपथ भी दिलाई जाए। साथ ही विद्यालयों में सड़क सुरक्षा के नियमों से संबंधित वॉल पेंटिंग भी कराई जाए और जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया मंचों का भी इस्तेमाल किया जाए। छात्रों को बताया जाए कि बिना लाइसेंस के वाहन चलाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
(PTI)
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