परमबीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट से मिली ये बड़ी राहत, कोर्ट ने फैसले में ये बात कही..

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परमबीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट से मिली ये बड़ी राहत, कोर्ट ने फैसले में ये बात कही..
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Parambir Singh gets relief from supreme court: मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को सुप्रिम कोर्ट से राहत मिल गई है. परमबीर सिंह को अरेस्च ना रिए जाने का आदेश कायम रखा गया है. अरेस्ट ना करते हुए और परमबीर सिंह पर कोऊ कार्रवाई ना करते हुए जांच शुरु रखने के लिए कहा गया है. अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होने वाली है. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा है कि परमबीर सिंह पर लगे आरोपों की जांच पुलिस ना करके अन्य जांच एजेंसी को दी जाए.

परमबीर सिंह को महाराष्ट्र सरकार ने सेवा से निलंबिक किया है. निलंबन के आदेश की कॉपी परमबीर सिंह को मिल चुकी है. ऐसे में माना जा रहा था कि अगप सुप्रिम कोर्ट से यह राहत नहीं मिलती तो उनकी गिरफ्तरी हो सकती थी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह को 6 दिसंबर तक गिरफ्तारी से छूट दी थी. आज (6 दिसंबर, सोमवार) उसकी अवधि खत्म हो गई थी. ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय की आज की सुनवाई पर सबकी नजरें लगी हुई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह को अरेस्ट ना करने के आदेशे को आगे तक कायम रखा है. इससे पूर्व पुलिस कमिश्नक को राहत मिली है.

परमबीर सिंह के खिलाफ पांच केस दर्ज हैं

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परमबीर सिंह पर मुंबई और ठाणे में अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में वसूली और जातिवाचक शब्दों को लेकर गाली देने जैसे कई आरोपों से संबंधित केस दर्ज हैं. पिछले सोमवार को सर्वोतच्च न्यायालय ने उन्हें वसूली मामले में गिरफ्तार किए जाने से संरक्षण दिया था. आदेश देते वक्त न्यायालय ने परमबीर सिंह को जांच में हाजिर होने और सहयोग करने का भी निर्देश दिया था. अरेस्ट किए जाने से छूट की अवधि 6 दिसंबर तक तय की गई थी. वो अवधि एक बार फिर बढ़ा दी गई है.

परमबीर सिंह पर पुलिस निरीक्षक भीमराज घाडगे ने आरोप लगाया है कि झूठे FIR दर्ज करवा कर उन्हें परेशान किया गया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें परमबीर सिंह ने जातिसूचक गालियां भी दी हैं. भीमराज घाडगे का आरोप है कि जब परमबीर सिंह ठाणे के पुलिस आयुक्त थे तब उन्हें कल्याण- डोंबिवली महापालिका के एक बिल्डर से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में कई लोगों के नाम दबाने को कहा गया था. परमबीर सिंह का कहा नहीं मानने पर उनके खिलाफ कई झूठे आरोपों में FIR दर्ज करवाई गई और उन्हें परेशान किया गया. कोर्ट से दोषमुक्त साबित होने तक उन्हें बिना वजह 14 महीने जेल में रहना पड़ा

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