CJI चंद्रचूड़ की परदादी को क्यों गिरवी रखने पड़े थे गहने?, चॉल में रहते थे माता-पिता
life of Chief Justice DY Chandrachud: भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का जीवन काफी दिलचस्प रहा है.
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life of Chief Justice DY Chandrachud: भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का जीवन काफी दिलचस्प रहा है. उन्होंने एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया और अदालत कक्ष में हमेशा मुस्कुराते रहे. इसके बाद, वह बॉम्बे हाई कोर्ट में जस्टिस बने और बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का पद संभाला. उनके परिवार का वकालत के पेशे से गहरा नाता है, हालांकि एक समय ऐसा भी था जब उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का परिवार मूल रूप से महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले का रहने वाला है. हालाँकि, उनके परदादा अपने नौ बच्चों के साथ अपने गाँव से पुणे चले गए. वह कठिन समय था, और परिवार को गुजारा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था, जबकि एक-एक पैसा कीमती था.
द वीक को दिए इंटरव्यू में चीफ जस्टिस (Chief Justice DY Chandrachud Family) कहते हैं कि मेरी परदादी को अपने गहने तक गिरवी रखने पड़े ताकि वह अपने बच्चों को पढ़ा सकें. उनके परिवार की महिलाएं हमेशा मजबूत रही हैं और परिवार का मार्गदर्शन करने में सहायक रही हैं. मैंने अपने पूजा कक्ष में अपनी परदादी की तस्वीर स्थापित की है.
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Chief Justice DY Chandrachud Story: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने उल्लेख किया कि उनके परिवार के पास जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा था, लेकिन 1961 में, जब महाराष्ट्र कृषि भूमि अधिनियम लागू किया गया, तो उनकी जमीन छीन ली गई. इसके बाद परिवार में सबको कुछ ना कुछ करना था. उनके पिता ने कानून में करियर बनाने का फैसला किया.
उनका कहना है कि उनके परदादा भी वकालत करते थे और उनके पिता के चाचा भी वकील थे. उनके पिता, वाईवी चंद्रचूड़, मुंबई चले गए और एक चॉल में एक कमरा किराए पर लिया. उसे अच्छी तरह याद है कि उनकी माँ कंधे पर कपड़े लेकर चॉल के नल में धोने जाती थी. वह सचमुच चुनौतीपूर्ण समय था.
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