यमन में भारत की नर्स को मौत की सजा, आखिर क्यों मिली सजा-ए-मौत? समझें- पूरा मामला

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Nimisha Priya Story: कतर में आठ भारतीयों को मौत की सजा के फैसले के बीच यमन में एक भारतीय नर्स को फांसी दिए जाने का मामला एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है. यमन कोर्ट ने भारतीय महिला निमिषा को हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी. इस मामले में दोषी की मां ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर यमन जाने की इजाजत देने की गुहार लगाई थी. हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को फैसला लेने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है.

गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने निमिषा प्रिया की मां की याचिका पर केंद्र सरकार से फैसले की मांग की. दरअसल निमिषा की मां अपनी बेटी को बचाने के लिए यमन जाना चाहती हैं ताकि वहां पीड़ित पक्ष के साथ ब्लड मनी यानी मुआवजे पर चर्चा कर सके.  इससे पहले, 13 नवंबर को यमन के सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा के खिलाफ निमिषा की याचिका खारिज कर दी थी.

निमिषा की मां अपनी बेटी को बचाने के लिए यमन जाकर बेटी को माफ करने की अपील करना चाहती हैं

बेटी को बचाने के लिए मां की गुहार

निमिषा की मां अपनी बेटी को बचाने के लिए यमन जाकर महदी के परिजनों से उसकी बेटी को माफ करने की अपील करना चाहती हैं. वह अपनी बेटी की सुरक्षा के बदले महदी के रिश्तेदारों के साथ मुआवजे पर बातचीत करना चाहती है, इसे एकमात्र मौजूदा सहारा मानती है.

याचिकाकर्ता के वकील सुभाष चंद्रन केए ने कहा कि निमिषा को बचाने का एकमात्र तरीका पीड़ित पक्ष के साथ समझौता करना है. हालाँकि, यमन की यात्रा पर प्रतिबंध के कारण, निमिषा की माँ इस मांग को आगे बढ़ाने के लिए यमन की यात्रा करने में असमर्थ हैं.

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क्या है मामला?

निमिषा 2017 से यमनी जेल में है. उसे यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी पाया गया था. उन पर आरोप लगाए गए कि उन्होंने अपना पासपोर्ट हासिल करने के लिए महदी को बेहोश करने के लिए इंजेक्शन लगाए, जिसके परिणामस्वरूप महदी की इन इंजेक्शनों के कारण मृत्यु हो गई.

केरल के पलक्कड़ की रहने वाली नर्स निमिषा अपने पति और बेटी के साथ लगभग एक दशक से यमन में काम कर रही थी. 2016 में यमन में गृहयुद्ध के कारण देश में आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, उनके पति और बेटी 2014 में भारत लौट आए थे. हालाँकि, निमिषा वापस नहीं लौट सकी. इसके बाद जुलाई 2017 में उन पर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप लगा. इसलिए 7 मार्च 2018 को यमन कोर्ट ने निमिषा की मौत की सज़ा बरकरार रखी.

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दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया था कि महदी ने नर्स को शारीरिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया था. उसका पासपोर्ट कब्जे में ले लिया था.

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