Mukhtar Ansari: वो कांड, जिसके बाद जेल से बाहर नहीं आ पाया पूर्वांचल का बाहुबली मुख्तार अंसारी

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Mukhtar Ansari Death: मुख्तार अंसारी की मौत की खबर सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के मुख्तार अंसारी को बांदा जेल (Banda Jail) में अचानक दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

इस स्टोरी में जानिए 19 साल तक जेल में रहे मुख्तार की 5 कहानियां...

1. पढ़ाई छोड़ ठेकेदारी शुरू की
1985 में अफजाल अंसारी के विधायक बनने के बाद मुख्तार अंसारी ने पढ़ाई छोड़ दी और स्थानीय स्तर पर ठेकेदारी करने लगे. 1988 में मुख्तार पर पहली बार हत्या का आरोप लगा. ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या कर दी गयी.

बताया गया कि बाजार में ठेकेदारी को लेकर मुख्तार और सच्चिदानंद के बीच विवाद हुआ था, जिसके चलते अगले दिन उनकी हत्या कर दी गयी. इसके बाद मुख्तार पर अपने पुराने दोस्त साधु सिंह के साथ मिलकर गैंग बनाने का आरोप लगा.

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बाद में मुख्तार को इस आरोप से बरी कर दिया गया, लेकिन इस केस ने उनके करियर को एक अलग आकार दे दिया. चुनाव आयोग के मुताबिक, 1996 तक मुख्तार अंसारी के खिलाफ 21 मामले दर्ज हो चुके थे. ज्यादातर मामले अपहरण, धमकी और हत्या से जुड़े थे.

इसके बाद मुख्तार के खिलाफ मुकदमों की संख्या बढ़ती गई. उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, 2023 तक मुख्तार के खिलाफ कुल 65 मामले थे.

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2. राजनीति में आने पर जेड प्लस सुरक्षा मिली
1995 में यूपी के बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड ने मायावती को काफी डरा दिया था. सपा को हराने के लिए मायावती ने माफियाओं से भी संपर्क करना शुरू कर दिया. इसी दौरान मायावती की डील मुख्तार से हुई.

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1996 में मुख्तार बाजे-गाजे के साथ बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गये. बसपा में शामिल होने के बाद मुख्तार अंसारी को जेड प्लस सुरक्षा दी गई थी. इस साल हुए चुनाव में मुख्तार मऊ सीट से विधायक भी चुने गए।

इस चुनाव में उन्होंने बीजेपी के विजय प्रताप सिंह को करीब 26 हजार वोटों से हराया. इसके बाद मुख्तार 2022 तक इसी सीट से विधायक चुने गए.

3. रूंगटा हत्याकांड ने उन्हें मायावती से दूर कर दिया
जब मुख्तार विधायक बने तो उनकी ब्रिजेश सिंह से दुश्मनी नए सिरे से शुरू हो गई. दोनों गैंग के बीच लगातार मुठभेड़ की खबरें सामने आने लगीं. इसी बीच वीएचपी नेता और बड़े बिजनेसमैन नंद किशोर रूंगटा का अपहरण कर हत्या कर दी जाती है.

मुख्तार और उसके शूटर सिकंदर पर रूंगटा हत्याकांड का आरोप है. राजनीतिक नुकसान से बचने के लिए मायावती ने सीआईडी जांच के आदेश दिए, लेकिन मामला तब तूल पकड़ गया जब वाराणसी के डीआइजी रंजन द्विवेदी का तबादला कर दिया गया.

रूंगटा के परिवार वालों का आरोप है कि द्विवेदी मुख्तार को गिरफ्तार करने वाले थे, लेकिन मायावती ने DIG को हटवा दिया. घोटाले को देखते हुए मायावती ने मुख्तार को पार्टी से निलंबित कर दिया.

बसपा छोड़ने के बाद मुख्तार के बुरे दिन शुरू हो गए. पुलिस उन पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर देती है.

Mukhtar Ansari File Photo

4. मऊ दंगे के बाद जेल से बाहर नहीं निकल सके
वर्ष 2005 में मऊ शहर में दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई थीं. इस घटना का आरोप मुख्तार पर लगा और पुलिस ने उसे जेल भेज दिया. इसके बाद मुख्तार कभी जेल से बाहर नहीं आ सके.

दरअसल, अक्टूबर 2005 में भरत मिलाप का कार्यक्रम था. कार्यक्रम के दौरान ही स्पीकर की आवाज को लेकर दो गुटों में झड़प हो गई. इस झड़प ने धीरे-धीरे हिंसा का रूप ले लिया. मऊ में हुए इस दंगे में 8 हिंदू और 7 मुस्लिम मारे गए थे.

उस वक्त यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. विपक्ष ने कानून-व्यवस्था को लेकर मुलायम की घेराबंदी की. सरकार के बैकफुट पर आते ही पुलिस ने मुख्तार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया.

मामला बढ़ता देख मुख्तार ने खुद ही सरेंडर कर दिया. बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई.

5. मुख्तार को मारने के लिए गैंगस्टर को मिली 6 करोड़ रुपये की सुपारी
2014 में यूपी पुलिस तब हैरान रह गई जब गैंगस्टर लंबू शर्मा ने मुख्तार के बारे में एक खुलासा किया. बिहार के रहने वाले लंबू शर्मा ने पुलिस को बताया कि मुख्तार को मारने के लिए ब्रिजेश सिंह ने उसे 6 करोड़ रुपये की सुपारी दी थी.

ब्रिजेश सिंह और मुख्तार के बीच दुश्मनी करीब 3 दशक पुरानी है. पहली बार 1990 में दोनों के बीच गैंगवार की घटना हुई थी. इसके बाद दोनों गुट कई बार आमने-सामने आए.

कहा जाता है कि मुख्तार के नेटवर्क और पुलिसिया कार्रवाई के डर से एक बार ब्रिजेश ने पूर्वांचल छोड़ दिया था.

मुख्तार अंसारी फिलहाल 9 मामलों में दोषी था

मुख्तार अंसारी फिलहाल 9 मामलों में दोषी हैं. हत्या, गैंगस्टर आदि कई मामलों में उन्हें कोर्ट से सजा मिल चुकी है. 21 नवंबर 2022 को लखनऊ के जेलर को धमकी देने के मामले में पहली बार इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें 7 साल जेल की सजा सुनाई थी. इसी साल उसे गैंगस्टर एक्ट के तहत 5 साल की सजा सुनाई गई थी. दिसंबर 2022 में मुख्तार को ग़ाज़ीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया था. 2024 में 36 साल पुराने फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले में वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.

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