एक मुर्दे को ही वॉन्टेड बता 4 सालों तक पुलिस करती रही तलाश, फिर 1 सवाल से ऐसे खुला राज

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Real Suspense Crime Story in Hindi : 4 साल तक पुलिस एक मुर्दे की तलाश करती रही. वो मुर्दा जो पुलिस की फाइल में वॉन्टेड था. सिर्फ एक शहर से नहीं बल्कि दो अलग-अलग राज्यों से. कुल मिलाकर दो राज्यों की पुलिस उसकी तलाश करती रही. कागजों में इस केस के 5 जांच अधिकारी भी बदल गए. लेकिन वो नहीं मिला. बल्कि उसके गायब होने के 3 साल बाद अचानक नया मोड़ भी आ गया.

अब उसी मुर्दे पर एक लड़की को प्रेग्नेंट करने का आरोप भी लग गया. फिर भी पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला. लेकिन 4 साल बाद उसी शख्स से जुड़ा एक ऐसा सवाल पूछा गया. जिसका जवाब तलाशने में पुलिस जुटी तो पूरा केस आइने की तरह साफ हो गया. आज की क्राइम की कहानी (Crime Story in hindi) में उसी सच्ची घटना की कहानी.

अलीगढ़ में 12 दिसंबर 2013 को हुई थी एक FIR दर्ज

Crime Story in Hindi : इस रियल घटना की शुरुआत होती है उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर से. उस समय मौसम में ठंडक आ चुकी थी. कोहरा भी पड़ने लगा था. उस दिन भी काफी ठंड थी. अलीगढ़ के पार्क थाने में 45 साल की उम्र का एक शख्स पहुंचता है.

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उस व्यक्ति का नाम था देवेंद्र शर्मा. उस दिन तारीख थी 12 दिसंबर. साल 2013. उस व्यक्ति ने अपनी 17 साल की बेटी के गायब होने की शिकायत दी. पुलिस ने पूछा, कैसे वो लापता हुई.

देवेंद्र ने बताया कि वो लापता नहीं बल्कि उसका अपहरण हुआ है. अपहरण करने वाले युवक का नाम जय है. वो हरियाणा के फरीदाबाद का रहने वाला है. फिर पुलिस पूछती है कि उसका अलीगढ़ से क्या लेना-देना है. इस पर देवेंद्र बताते हैं कि मैं परिवार के साथ फरीदाबाद में ही किराये पर रहता हूं. मेरी बेटी कुछ दिन पहले ही अलीगढ़ में रहने वाले अपने मामा के घर परीक्षा देने आई थी.

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बेटी का पीछा करते हुए वो लड़का भी आया था और फिर यहां से बहला-फुसलाकर अपहरण कर लिया. अब चूंकि लड़की नाबालिग थी. उम्र सिर्फ 17 साल थी. तो पुलिस ने पहले तो काफी टरकाने का प्रयास किया फिर झांसे में लेकर अपहरण करने का मामला दर्ज कर लिया. मुख्य आरोपी उसी जय नाम के लड़के को बनाया गया.

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अलीगढ़ से लेकर फरीदाबाद तक तलाश शुरू

Murder Mystery News : अब पुलिस ने देवेंद्र शर्मा से कहा कि वो अपना नंबर भी लिखवा दें. जैसे उस लड़के के बारे में कोई जानकारी मिलेगी हमलोग आपको सूचना देगे. इस तरह करीब एक महीने बीत गए. कोई जानकारी नहीं मिली.

इसी बीच, देवेंद्र फिर से परेशान होकर पुलिस के पास आते हैं और अपनी बेटी के बारे में जानकारी मांगते हैं. पुलिस ने जवाब दिया. तलाश जारी है. जैसे ही कुछ जानकारी मिलेगी हमलोग सूचना देंगे. सिर पीटते हुए और झुझलहाट दिखाते हुए देवेंद्र वहां से चले जाते हैं.

इस बीच, पुलिस आरोपी जय की तलाश करते हुए फरीदाबाद वाले उसके घर पर जाती है. लड़के की मां से पुलिस थोड़ी सख्ती से पूछताछ करती है. उसकी मां खुद ही चीखने और चिल्लाने लगती है. कहती है जिसे आपलोग तलाश कर रहे हैं. उसे तो हम भी तलाश कर रहे हैं. पुलिस को ये जवाब बड़ा अजीब लगता है.

फिर वही मां सवाल करती है कि मेरा बेटा तो खुद ही 5 दिसंबर के बाद से घर नहीं लौटा. उसकी शिकायत भी पास वाले थाने में कराई है. पहले तो पुलिस को लगा कि ये जानबूझकर बेटे को बचाने के लिए ऐसा कर रही है. फिर उस महिला की बातों में काफी हद तक सच्चाई नजर आती है.

इसलिए पुलिस उसे परखने के लिए नजदीकी थाने में जाती है. वहां से जय की गुमशुदगी की रिपोर्ट मिलती है. लेकिन तब तक फरीदाबाद पुलिस को ये पता नहीं था कि आखिरी बार जय कहां था और कैसे लापता हुआ.

लेकिन अलीगढ़ पुलिस से बात करके ये साफ हो गया कि वो एक लड़की को पसंद करता था और फिर दोनों एक साथ फरार हो गए. अब अलीगढ़ और फरीदाबाद दोनों पुलिस इत्मीनान से हो गई. क्योंकि उनकी नजरों में ये केस प्रेमी-प्रेमिका के घर छोड़कर भाग जाने की थी. ऐसे ना जाने हजारों केस देश के थानों में आते हैं.

अब भले ही पुलिस ने चैन की सांस ले ली हो. लेकिन बेचैनी अब जय की मां की बढ़ गई थी. क्योंकि उन्हें अभी तक ये पता नहीं था कि आखिर उनका बेटा आखिरी बार कहां से लापता हुआ. अब उन्हें ये भी पता चल गया कि वो और देवेंद्र की बेटी प्रीति दोनों एक साथ लापता है.

अपहरण करने वाले जय की मां इस वजह से थी परेशान

लेकिन हैरानी इस बात की थी कि बेटे ने मुझसे संपर्क क्यों नहीं किया. आखिर वो कहां है और किस हालत में. इसी उधेड़बुन में वो परेशान थीं. इस तरह कई महीने बीत गए लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली तो वो खुद ही अलीगढ़ गईं. उसी थाने में जिसमें उनके बेटे के खिलाफ मामला दर्ज था.

पुलिस से सवाल पूछा. तो उल्टे पुलिस ने फटकार लगा दी. पुलिसवालों ने कहा कि तुम्हारे बेटे की तलाश तो हम खुद कर रहे हैं. कहीं छुपा दिया और जानबूझकर फिल्मी कहानी बनाकर थाने आ रही हो. ताकी हमलोगों को ये यकीन रहे कि बेटा तुम्हारें संपर्क में नहीं.

इस तरह कुछ महीने होते-होते दो साल निकल गए. दिसंबर 2013 से लापता हुए दोनों लड़के-लड़की के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. पुलिस भी अपनी रिपोर्ट में ये बताती थी कि वो लड़की के अपहरण करने के आरोपी की तलाश में फरीदाबाद समेत कई शहरों में गए. लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली.

इस तरह एक प्रकार से पुलिस ने केस को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. लेकिन उस लड़के की मां बार-बार अलीगढ़ आकर सीनियर पुलिस अधिकारियों से बेटे की तलाश करने की शिकायत करती रहती थी. इस बीच, किसी सीनियर अधिकारी से शिकायत होती तो निचले अधिकारी भी हड़बड़ा जाते और फिर लड़की के पिता से भी पूछते की कहीं उसकी बेटी ने संपर्क तो नहीं किया.

दो साल बाद इस वजह से आया केस में नया मोड़

इस केस में सबसे बड़ा और नया मोड़ तब आया जब अचानक एक दिन रोते हुए देवेंद्र शर्मा अलीगढ़ के पुलिस थाने में पहुंचा. वो तारीख थी 1 सितंबर 2015. उस समय थाने में लोगों की शिकायत सुनी जा रही थी.

तभी एक लड़की को कंधे का सहारा लिए एक व्यक्ति थाने पहुंचा. उस समय तक थाने के प्रभारी भी बदल चुके थे. उन्होंने लड़की को करीब 8 महीने से ज्यादा का प्रेग्नेंट देखा तो तुरंत एक कुर्सी बैठने को दी. फिर उस लड़की के साथ आए शख्स से वजह पूछा. तब उन्होंने बताया कि साहब मेरा नाम देवेंद्र है. और ये मेरी बेटी है.

इसे जय नाम का एक लड़का दो साल पहले अगवा कर ले गया था. उस समय बेटी सिर्फ 17 साल की थी. फिर वो कई जगह बेटी को बंधक बनाकर रखा था. और जब बेटी प्रेग्नेंट हो गई. फिर उसका नौवां महीने होने को आया तब अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर ही छोड़कर कहीं भाग गया. अब मैं अपनी बेटी का क्या करूं. मेरी क्या इज्जत रह गई.

...तब पुलिस भी हो गई थी इमोशनल

Crime ki Kahani : ये सबकुछ देखकर और उस लड़की के आंसुओं को देखकर पुलिस भी सन्न रह गई. पुलिस अधिकारियों को जब ये जानकारी हुई तब तुरंत जांच अधिकारी को बुलाया गया. तब पता चला कि अब तक 5 जांच अधिकारी बदल गए. लेकिन उस आरोपी लड़के का कोई पता नहीं लगा पाया. अब उस लड़की को देखकर पुलिस अधिकारियों को भी तरस आने लगा.

पुलिस ने उस लड़की का खर्चा उठाने का भी जिम्मा ले लिया. यहां तक कह दिया कि अब उस लड़की को कोई तकलीफ नहीं आने देंगे. साथ ही पुलिस ने खुद को कोसा भी कि आखिर 2 साल में उस लड़के को पकड़ भी नहीं सके.

अब पुलिस उस लड़के की तलाश में जुट गई. पर फिर भी कोई सुराग नहीं मिला. इस तरह पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद फिर से एक साल निकल जाता है. अब अक्टूबर 2016 आ जाता है. इसी बीच, अलीगढ़ में नए-नए एसएसपी आए. जिनका नाम था राजेश पांडेय.

अभी इन्होंने चार्ज संभाला ही थी और कुछ समय बीता ही था. तब वही देवेंद्र नए एसएसपी से मिलकर आरोपी जय को पकड़ने की मांग करते है. इस केस की जानकारी होने पर एसएसपी ने तुरंत मामले में कार्रवाई के आदेश दिए और कहा कि आरोपी लड़के के घरवालों से सख्ती से पूछताछ करो.

एक पुलिस टीम फरीदाबाद जाती है और फिर से जय की मां को ह़ड़काती है. लेकिन जब जय की मां को पता चलता है कि लड़की घर लौट आई और जय ने ही उसे स्टेशन तक छोड़ा था तब वो खुश भी हो जाती है. चलो कहीं तो मेरा बेटा ठीक है.

आरोपी की मां के वो सवाल, जिसने 4 साल से दफन केस का खोला राज

अब बेटे की तलाश में जय की मां कुछ दिन बाद ही फिर से अलीगढ़ आ जाती है. और सीधे एसएसपी राजेश पांडेय से मिलती है. एसएसपी पहले तो उस लड़के की मां पर खूब नाराजगी जताते हैं और कहते हैं कि जय ने एक लड़की की जिंदगी बर्बाद कर दी है. इस पर वो मां कहती है कि..हां मैं मानती हूं मेरा बेटा दोषी है. उसे सजा मिलनी चाहिए.

लेकिन एक बार तो उसे मेरी आंखों के सामने लाया जाए? उसे खुद मैं सजा दूंगी. लेकिन पहले उसे पकड़ा तो जाए? आखिर मेरा बेटा कोई आतंकी है जो आपकी पुलिस नहीं पकड़ पा रही है? मैंने भी उसे तीन सालों से नहीं देखा है और ना ही उसकी आवाज सुनी है. अगर वो आ जाए तो मैं आज भी लड़की प्रीति को अपनी बहू बनाने को तैयार हूं. लेकिन पहले मेरे बेटे को तो पकड़ा जाए. वो जेल भी जाएगा तो मुझे खुशी होगी. पर एक बार आंखों के सामने आए तो सही.

अब ये सवाल सुनते ही एसएसपी राजेश पांडेय थोड़ा चौंक गए और फिर अपने पुलिस अधिकारियों से सवाल पूछे कि आखिर 3 सालों में एक आरोपी को पकड़ा क्यों नहीं जा सका. फिर वो पूरे केस की पड़ताल खुद ही करते हैं और कहते हैं कि आरोपी जय की मां जो सवाल कर रही है वो बिल्कुल जायज है.

क्या हम एक आरोपी को पकड़ भी नहीं सकते. इसके बाद जब वो पूरी केस की तफ्तीश करते हैं तो पता चलता है कि लड़की तो 1 सितंबर 2015 को पिता के पास लौट आई थी. जिसे उसके पति ने छोड़ दिया था. लेकिन ये बात अचानक लड़की के पिता को कैसे हुई थी. ये सवाल पूछने पर पुलिसवालों ने बताया कि स्टेशन पर आकर लड़की ने खुद ही अपने पिता को फोन किया था.

फिर एसएसपी कहते हैं कि जिस नंबर से लड़की ने फोन किया था उस नंबर के बारे में पता लगाओ और लड़की के पिता की कॉल डिटेल भी निकालों. दोनों नंबरों की जांच में पता चलता है कि जिस नंबर से लड़की ने फोन किया था वो तो उस समय कुछ दिन पहले ही खरीदा गया था. अब पुलिस लड़की के पिता यानी देवेंद्र की कॉल डिटेल देखती है तो उसमें एक नंबर पर आए दिन लंबी बात होती थी. अब उस नंबर पर पुलिस ने कॉल किया तो वो बंद मिला.

अब इसी का पता लगाने के लिए पुलिस ने देवेंद्र को थाने बुलाया और उस नंबर के बारे में पूछा. अब ये नंबर के बारे में पूछते ही देवेंद्र का चेहरा उतर गया. वो इधर-उधर की बातें करने लगा. जब थोड़ी कड़ाई से पूछताछ हुई तो बताया कि वो नंबर उसकी बेटी का ही है.

यानी उसकी बेटी से काफी समय से बात हो रही थी तब उसने पुलिस को क्यों नहीं बताया और फिर आरोपी जय ने उसकी बेटी को बंधक कैसे बनाकर रखता था. ये पूछे जाने पर फिर से देवेंद्र डर गया और फिर दिल दहला देने वाली घटना बताई. इस तरह जनवरी 2017 में यानी करीब 4 साल बाद घटना का खुलासा इस तरह हुआ.

लड़की के पिता ने दिल दहलाने वाले खोले राज

उसने बताया कि 6 दिसंबर 2013 को बेटी के साथ ही जय फरीदाबाद से अलीगढ़ आया था. बेटी यहां पर परीक्षा देने आई थी. जब वो आई तो उसके मामा ने जय को भी देख लिया था. फिर उसके मामा ने मुझे उस लड़के के बारे में बताया था.

ये जानते ही मैं भी अगले दिन तक अलीगढ़ आ गया और फिर हमदोनों ने प्यार से पहले जय से बात की. उससे पूछा कि घर पर क्या बताकर यहां आए हो. उसने बताया कि वो घर पर इस बारे में कुछ नहीं बताया है. बल्कि एक दोस्त के घर जाने की बात कहकर चुपके से प्रीति के साथ अलीगढ़ आ गया.

इसके बाद उसे बस में बैठाने की बात कहकर दोनों यानी देवेंद्र और प्रीति के मामा अपने साथ ले आते हैं. और फिर रेलवे लाइन के किनारे एक सुनसान जगह पर ले जाते हैं और गला दबाकर जय की हत्या कर देते हैं. इसके बाद सबूत मिटाने के लिए रेलवे लाइन पर उसे लिटा देते हैं. फिर थोड़ी दूर खड़े होकर देखते हैं कि कोई ट्रेन आती है या नहीं.

करीब आधे घंटे बाद एक ट्रेन आती है जिससे जय के शरीर के दो टुकड़े हो जाते हैं. इसके बाद रेलवे पुलिस उस शव को उठा लेती है और अगले दिन अखबार में विज्ञापन भी देती है. लेकिन अलीगढ़ में उसकी कोई पहचान नहीं कर पाता है. इसके बाद पुलिस दो दिन बाद अज्ञात में उसका अंतिम संस्कार भी कर देती है. लेकिन नियमानुसार उसके कपड़े और फोटो को रख लेती है.

इस बारे में जब पुलिस को जानकारी होती है तो रेलवे पुलिस से संपर्क करती है. तब वो घटना बिल्कुल सच साबित होती है. फिर प्रीति कैसे प्रेग्नेंट हुई और इसके पीछे की क्या कहानी है. ये पूछे जाने पर देवेंद्र बताता है कि साहब इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताना. फिर वो बताता है कि जय को मारने के बाद बेटी को दूर के रिश्तेदार के घर भेज देते हैं और फिर उसके 10वीं और 12वीं के मार्कशीट में नाम बदल देते हैं.

इसके लिए कई हजार रुपये खर्च कर उसका नाम प्रीति से पूजा कर देते हैं और दो साल पहले ही उसकी वृंदावन में शादी करा दी थी. उसका नाम पूजा बताया गया था. फिर जब बेटी प्रेग्नेंट हुई तो ससुरालवालों ने उसे मायके भेज दिया.

इसलिए लगा कि अब बेटी को अपने साथ रखना होगा और उधर जय की मां की शिकायत पर पुलिस भी अक्सर घर आती रहती थी. ऐसे में पोल खुल सकती है. इसलिए जानबूझ कर ये झूठी कहानी रची और पुलिस के सामने बेटी को जय से प्रेग्नेंट होने की जानकारी दे दी थी.

फिर पुलिस ने पूछा कि हत्या करने के बाद पुलिस में कई दिनों बाद क्यों सूचना दी. इस पर देवेंद्र ने बताया कि हत्या करने के बाद फरीदाबाद में रहने वाले पड़ोसियों ने बताया कि जय की मां उसकी तलाश कर रही है. पुलिस में शिकायत भी की है.

इसके अलावा, रेलवे पुलिस को भी शव मिला था और दो दिनों तक उसकी पहचान करा रही थी. इसलिए कुछ दिनों तक हमलोग शांत रहे. फिर अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी ताकी पुलिस जय को ही अपहरण का आरोपी समझकर तलाश करती रहे और ये केस वहीं खत्म हो जाए.

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