वो कातिल बीवी जिसने पति की हत्या के लिए रेगिस्तान चुना, बिना खून निकले ऐसे कराया था मर्डर फिर बता दिया भूख-प्यास से हुई थी मौत

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Asbak Mon Murder Mystery : इंटरनेशनल बाइक रेसर अस्बाक मोन की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उसकी पत्नी ने रची थी. करीब 4 साल पहले बाइक रेसर का रेगिस्तान में मर्डर (Murder) हुआ था. पर शुरुआत में इस घटना को रेगिस्तान में रास्ता भटककर भूख-प्यास से मौत होने का दावा किया गया था.

लेकिन कुछ महीने पहले ही इसमें खुलासा हुआ था कि ये साधारण मौत नहीं बल्कि सोची समझी साजिश के साथ हत्या हुई है. और इस हत्या का मास्टरमाइंड कोई और नहीं बल्कि उसकी बीवी है. लेकिन उस समय बीवी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी. पर पुलिस ने अब मुख्य आरोपी बाइक रेसर अस्बाक मोन की पत्नी सुमेरा परवेज को गिरफ्तार कर लिया है. जानिए क्या थी ये मर्डर मिस्ट्री. आज की क्राइम की कहानी (Crime Story in Hindi) में पढ़िए पत्नी की बेवफाई ने कैसे करा दिया पति का कत्ल.

International bike rider Asbak Mon Murder Mystery : बैंगलुरु के रहने वाला बाइक रेसर अस्बाक मोन धारोट 11 अगस्त 2018 को बैंगलुरू से जैसलमेर के लिए निकले थे. इनके साथ संजय कुमार, विश्वास एसडी व अब्दुल साबिक भी थे. 14 व 15 अगस्त को अस्बाक की अपनी पत्नी सुमेरा परवेज से बात भी हुई थी.

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इसके बाद अचानक उनसे संपर्क टूट गया था. अस्बाक मोन की खोजबीन शुरु हुई और इसी खोजबीन के दौरान 18 अगस्त 2018 को जैसलमेर के रेगिस्तान के एक सुनसान इलाके में लाश मिली. पास में एक रेसिंग बाइक खड़ी थी. बाइक बाकायदा स्टेंड पर खड़ी थी और उस पर हेलमेट टंगा हुआ था.

युवक के पास से मिले कागजों के आधार पर पुलिस ने पहचान की. इसके बाद पत्नी सुमेरा को सूचना दी गई. पत्नी ने कोई शक नहीं जताया. फिर भी पुलिस ने पोस्टमॉर्टम कराया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह पीठ के ऊपर वर्टिकल चोट लगने की बात सामने आई.

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इसका मतलब था कि अस्बाक मोन की मौत गर्दन की हड्डी पर वार करने से हुई थी. इस बारे में पुलिस ने अस्बाक की पत्नी से किसी पर शक होने की जानकारी मांगी तो उन्होंने मना कर दिया था. ऐसा कोई शक नहीं जताया. तब पुलिस ने यही कहा कि रेगिस्तान में भटकने की वजह से युवक की मौत हुई है. यानी ये एक सामान्य मौत है. अब इस मौत की कहानी उसी रेगिस्तान में एक राज के रूप में दफन हो गई.

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लेकिन उसी समय जैसलमेर में आए अस्बाक की मां ने शक जताया था और ये भी कहा था कि बेटे और बहू में सबकुछ ठीक नहीं था. दोनों में लड़ाई होती थी. पर साल 2018 में जैसलमेर पुलिस ने भी मामले में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई. मामला रफा-दफा हो गया. इस बीच पुलिस ने इस केस में फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी. ये रिपोर्ट सीनियर पुलिस अफसरों को भेज दी गई.

Asbak Mon Ki Murder Mystery : ये मौत की फाइल उस समय के अधिकारी रहे एसपी अजय सिंह ने पढ़ी तो उन्हें कई चीजें अटपटी लगी थीं. उन्होंने खुद ही अस्बाक की मां और परिवार से बात की. यहां से उनका शक और बढ़ गया. इसलिए उन्होंने केस को फिर से ओपन करने का फैसला किया. उन्होंने मामले की तफ्तीश करनी शुरु की तो पता चला कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि मोन की मौत गर्दन की हड्डी में चोट लगने की वजह से हुई थी. जिसमें सफाई दी गई थी कि मोन बाइक चलाते वक्त किसी हादसा का शिकार हो गए होंगे.

हालांकि, एसपी ने जब मौके की तस्वीरें देखीं तो उसमें बाइक स्टैंड पर खड़ी दिखी. हैलमेट बाइक पर रखा हुआ था. ना बाइक पर खरोंच के निशान मिले. और ना ही हेलमेट पर. फिर कौन सा एक्सीडेंट हुआ. कैसे हादसा हुआ कि शरीर पर चोट लगी और बाइक व हैलमेट पर खरोंच भी नहीं आई. इसे देख शक और गहरा गया. पत्नी ने यहीं अंदेशा जताया था कि रेगिस्तान में भूख प्यास से मौत हुई होगी. पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मोन के पेट में अधपचा खाना मिला था. तो फिर भूख से मौत का सवाल ही नहीं था.

इसका मतलब ये था कि दो दिन के भीतर भूख से उसकी मौत नहीं हो सकती थी. फिर जांच शुरू हुई. इसमें पता चला कि अस्बाक मोन काफी समय से दुबई में रहते थे. अस्बाक की दुबई में अपनी प्रॉपर्टी थी. सुमेरा की ये दूसरी शादी थी. पर शादी के बाद दोनों में विवाद होने लगा था. दुबई में रहने के बाद फिर अस्बाक बैंगलुरु शिफ्ट हो गए थे.

इस केस में पुलिस की जांच में पत्नी का किसी युवक के साथ अफेयर चल रहा था. इसलिए पुलिस ने मामले की जांच गंभीरता से शुरू की थी. पुलिस ने पत्नी सुमेरा के अलावा पांच और लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया.

जैसलमेर पुलिस ने सुमेरा को भी पूछताछ के लिए जैसलमेर बुलाया लेकिन वो पुलिस के पास नहीं पहुंची. इसलिए शक और बढ़ गया. इस तरह घटना के 3 साल बाद साल 2021 में पुलिस ने वारदात का खुलासा कर मृतक के दो दोस्तों संजय कुमार और विश्वास एसडी को गिरफ्तार कर लिया था. पर पत्नी सुमेरा नहीं मिली थी.

Crime Ki kahani : मृतक की पत्नी सुमेरा परवेज और अब्दुल साबिर के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया गया था. पर सुमेरा नहीं मिली थी. अब 13 मई 2022 को सुमेरा को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने बताया कि सुमेरा के कहने पर ही उसके दोस्तों ने जान-बूझकर प्रैक्टिस के लिए एक ऐसे सुनसान रेगिस्तानी इलाके को चुना था.

जहां पर ना तो मोबाइल सिग्नल थे और ना ही किसी इंसान की आवाजाही थी. असल में अगस्त 2018 में जैसलमेर में एक रेसिंग कॉम्पिटिशन होने वाला था. उसी में शामिल होने से पहले प्रैक्टिस के नाम पर ही ये कत्ल किया गया था. 15 अगस्त को अस्बाक मोन के साथ रास्ते की रेकी करने के लिये संजय व विश्वास गए थे.

रेकी के बाद 16 अगस्त को जब प्रेक्टिस करने गए तब संजय आगे चल रहा था और बीच में अस्बाक मोन था. जबकि विश्वास पीछे चल रहा था. एक जगह पर रुकने के बहाने इन्होंने किसी भारी चीज से मोन की गर्दन की हड्डी पर वार किया जिसकी वजह से वो बेसुध हो गया. इसके बाद उसके सिर को रेत के बीच में घुसा दिया था ताकी वो सांस ना ले सके. इस तरह कुछ समय बाद ही अस्बाक की मौत हो गई थी.

ये ऐसी हत्या थी जिसमें ना खून निकला था और ना कोई गंभीर चोट थी. लेकिन बेहोशी के बाद सांस रूक गई और मौत हो गई. इसके बाद दोनों वहां से जैसलमेर आ गए. शाम को संजय ने मोन की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करा दी लेकिन इस बात की सूचना रेस आयोजित करने वाले लोगों को नहीं दी थी. इसलिए ऐसा लगा कि रेस में वो शामिल ही नहीं हुआ था. रात को ये दोनों अपने तीसरे साथी साबिक के साथ पार्टी करने चले गए.

18 अगस्त को जब पुलिस की टीम मोन को ढूंढने गई तो संजय उन्हें उस ओर ले गया जहां पर मोन की लाश पड़ी हुई थी. पुलिस की टीम से नजर बचाकर संजय ने मोन का मोबाइल फोन भी उठा लिया और उसमें से कुछ मैसेज और फोटो डिलीट भी कर दिए थे.

साल 2021 में संजय और विश्वास जब पुलिस की गिरफ्त में आए थे तब दोनों ने बताया था कि अस्बाक मोन की हत्या की सुपारी उसकी पत्नी सुमेरा ने ही दी थी. पुलिस ने बताया कि सुमेरा का शादी के बाद भी अफेयर नीरज नाम के एक शख्स से चल रहा था.

दोनों प्रेमी-प्रेमिका मिलकर अस्बाक मोन की प्रॉपर्टी हड़पना चाहते थे. अस्बाक की दुबई में भी काफी प्रॉपर्टी थी जिसे सुमेरा लेना चाहती थी. इसलिए उसने ये साजिश रची थी. लेकिन शक होने पर फरार हो गई थी. लेकिन पुलिस ने सर्विलांस की मदद से सुमेरा को आखिरकार हत्या के 4 साल बाद 13 मई 2022 को अरेस्ट कर लिया.

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