MP Crime: पकड़ा गया सागर का सीरियल किलर, गिरफ्तारी के बाद किया सनसनीखेज खुलासा

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सागर से शिवा पुरोहित के साथ रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट

Sagar Serial Killer: 19 साल के देश के इस सबसे नए-नए और ताजा ताजा सीरियल किलर (Serial Killer) का नाम शिव प्रसाद धुर्वे है। सागर का ही रहनेवाला धुर्वे आठवीं पास है। वो पहले पुणे (Pune) और गोवा (Goa) में भी छोटी-मोटी नौकरी (Job) कर चुका है। ठीक-ठाक अंगेजी भी बोल लेता है। अभी बरसात शुरू होने से पहले ही वो वापस सागर आया था। सागर आने तक भी सबकुछ ठीक था। मगर फिर तभी इसी साल अप्रेल में फिल्म केजीएफ-2 (KGF-2) रिलीज हुई।

बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई इस फिल्म को शिव प्रसाद ने भी देखी। और बस यहीं से उसकी पूरी सोच ही बदल गई। केजीएफ टू के रॉकी भाई से वो इतना प्रभावित हुआ कि उसने भी रॉकी भाई जैसा ही डॉन बनने की ठान ली। डॉन बनने के बाद वो अपना गैंग बनाना चाहता था। रॉकी भाई जैसा ही। मगर उसके लिए उसे पैसे चाहिेए थे। और पैसे से भी पहले नाम। ठीक रॉकी भाई जैसा ही।

इसी के बाद इस सीरियल किलर ने पहले नाम कमाने और खुद को मशहूर करने का फैसला किया। 27, 29 और 30 अगस्त की रात शिव प्रसाद ने सागर जिले के अलग-अलग इलाकों में तीन चौकीदारों की हत्या कर दी। तीनों के सर पर डंडे पत्थर या किसी वजनी चीज से वार करके। आखिरी कत्ल के बाद चूंकि सागर पुलिस हरकत में आ चुकी थी, लिहाजा 31 अगस्त की सुबह शिव प्रसाद सागर से भोपाल चला गया।

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पुलिस को चकमा देने के लिए। मगर उसने एक गलती की। 29 अगस्त को जिस चौकीदार शंभू शरण की उसने हत्या की थी, उस शंभू का मोबाइल वो अपने साथ ले गया था। हालांकि मोबाइल का सिम निकाल कर वो फेंक चुका था। उसे अंदाजा ही नहीं था कि उस मोबाइल में कोई भी सिम डाल कर उसे चालू करने पर उसकी लोकेशन पता चल सकता है।

भोपाल पहुंचने के बाद उसने शंभू के मोबाइल में नई सिम डाली। शाम को उसने जैसे ही फोन ऑन किया, सागर पुलिस को शंभू के मोबाइल का लोकेशन पता चल गया। दरअसल, शंभू के कत्ल के बाद पुलिस उसके मोबाइल को सर्विलांस पर रख चुकी थी।

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इस सीरियल किलर का लोकेशन भोपाल में पता चलते ही सागर पुलिस की एक टीम फौरन भोपाल रवाना होती है। लेकिन भोपाल में फोन का लोकेशन लगातार बदल रहा था। उधर सागर पुलिस भी देर रात भोपाल पहुंची थी। इसी दौरान शिव प्रसाद को एक और कत्ल करने का मौका मिल गया। सीसीटीवी में कैद ये तस्वीर शिव प्रसाद के हाथों हुए उसी चौथे कत्ल की है।

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भोपाल में इस चौथे और आखिरी कत्ल के बाद शिव प्रसाद बेखबर बस स्टैंड की तरफ बढ ही रहा था कि मोबाइल की लोकेशन और फिर उसके स्केच और हुलिए को देखते हुए सागर पुलिस को यकीन हो गया कि यही सागर का सीरियल किलर है।

पुलिस ने फौरन उसे दबोच लिया। आनन-फानन में उसे गाड़ी में बिठाया गया और सूरज निकलने से पहले ही पुलिस की टीम उसे अपने साथ लेकर सागर की तरफ चल पड़ी। सागर पुलिस ने रास्ते में ही शिव प्रसाद से पूछताछ शुरू कर दी। जब शिव प्रसाद ने पूरी कहानी सुनाई तो सागर पुलिस भी चौंक उठी।

पूरी कहानी कुछ यूं है... केजीएफ का रॉकी भाई बनने के लिए शिव प्रसाद ने शुरुआती काम तो कर लिया था, पांच दिन में चार खून करने के बाद वो मीडिया में सुर्खियों में था। पुलिस हैरान परेशान। लेकिन असली कहानी अब इसके आगे शुरू होने जा रही थी। दरअसल शिव प्रसाद चौकीदारों को नहीं, बल्कि सीधे पुलिसवालों को ही मारने की प्लानिंग बना चुका था। बस इसके लिए उसे पैसों की जरूरत थी। ताकि वो हथियार खरीद सके।

चौकीदारों के मारने के लिए उसने किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था। बल्कि जो मौके पर मिल जाता, वो उसी से हमला कर देता। लेकिन पुलिसवालों को मारने के लिए उसने बंदूक की जरूरत थी। उसने पूछताछ में बताया कि एक बार बंदूक हाथ आने के बाद ठीक चौकीदारों की तरह ही वो सिलसिलेवार पुलिसवालों को मौत के घाट उतारता। इससे उसका नाम बडा हो जाता। ठीक रॉकी भाई की तरह।

फिलहाल शिव प्रसाद सागर पुलिस की कस्टडी में है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। पुलिस की मानें तो वो मानसिक रूप से भी पूरी तरह से फिट है। बस ये सबकुछ उसने सिर्फ और सिर्फ नाम कमाने के लिए किया। हालांकि खबर ये भी है कि उसने पुणे में भी कत्ल किया है। गोवा की उसकी रिपोर्ट भी खंगाली जा रही है। पुलिस को शक है कि उसके हाथों मारे जानेवालों की गिनती बढ भी सकती है।

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