जिप खोलने में माहिर इन चोरनियों के चक्कर में जो आया वो लुटा, खुलासा चौंका देगा

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सांकेतिक तस्वीर
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Delhi Women Gang: ये किस्सा एक ऐसे चोरनी गैंग का है, जिसके चेहरे पर मासूमियत और मायूसी के साथ साथ बेबसी का नकाब होता है। जो मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के कडि़या सांसी गांव से दिल्ली सिर्फ और सिर्फ नोटों से भरे बैग पर हाथ साफ करने के लिए आता था और फिर बस पकड़कर वापस लौट जाता था। इस गैंग के निशाने पर होते थे नोटों से भरे वो बैग, जिनमें जिप लगी होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो जिप कितनी मजबूत और कितनी आधुनिक है। बस जिप होनी चाहिए, ये चोरनियां पलक झपकते ही हर तरह ‘जिप’ खोलने में माहिर होती हैं। पुलिस की फाइलों में इस गैंग को ढोलबाज गैंग भी कहा जाता है। 

बैंक के बाहर से चोरी की एक शिकायत

कहानी शुरू होती है साउथ दिल्ली के मालवीय नगर के एक बैंक से। पुलिस को 27 मार्च को एक शिकायत मिली। शिकायत करने वाले ने लिखा था कि दोपहर के वक्त उसने बैंक से पैसे निकालकर अपने बैग में रखे। लेकिन बैंक से बाहर निकलने से पहले ही उसका बैग खाली हो चुका था। उस बैग में 2.5 लाख रुपये थे। 

मध्य प्रदेश का जाना माना ढोलबाज गैंग

जब बैंक के तमाम सीसीटीवी कैमरे और वहां बैंक में मौजूद कर्मचारी और ग्राहकों की गवाही हुई तो नज़र पड़ी उन चोरनियों पर जो जाने माने ढोलबाज गैंग की थीं। बैंक में वो भी मौजूद थीं। और उस बैग को बड़ी ही सफाई से साफ करके मौके से खिसकने में कामयाब भी हो गई थीं। 

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किसी भी तरह की जिप हो, चोरनी गैंग उसे पलक झपकते ही खोल देगी

पकड़ में आईं दो चोरनी

साउथ दिल्ली की पुलिस उन चोरनियों की तलाश में ही थी तभी 1 अप्रैल को पुलिस को इत्तेला मिली कि जिन महिलाओं की पुलिस तलाश कर रही है उसी हुलिये से मिलती जुलती दो महिलाएं प्रेस एनक्लेव रोड पर दिखाई पड़ी हैं। इस इत्तेला पर पुलिस ने फौरन हरकत की और दोनों को पकड़ लिया। तलाशी ली गई तो उनकी गठरी से पुलिस ने दो लाख 10 हजार रुपये बरामद भी कर लिए। 

दो चोरनी और चोरी की दो वारदात

अब दोनों की शिनाख्त की गई दो एक का नाम गोमती था और दूसरी थी नरगिस। 51 साल की गोमती और 40 सालकी नरगिस उसी ढोलबाज गैंग की थी जिसकी तलाश पुलिस को लंबे अरसे से थी। साउथ दिल्ली में ये गैंग पहले भी अपने हाथों की सफाई का हुनर दिखा चुका था कम से कम दो शिकायतें तो पुलिस को ऐसी मिली ही थीं। 

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चोरी की चौंकाने वाली मॉडस ऑपरेंडी

इन दोनों चोरनियों को जेल भेजने के बाद पुलिस ने जब इन महिलाओं की मॉडस ऑपरेंडी बताई तो सुनकर हर कोई हैरान रह गया। बकौल पुलिस गोमती और नरगिस और इनके जैसी दूसरी चोरनियों का काम करने का एक जैसा ही तरीका है। ये चोरनियां अक्सर किसी एटीएम या किसी बैंक के आस पास मंडराती दिख जाएंगी। अक्सर ये लोग जोड़े में काम करती हैं। एक चोरनी तो उस शख्स का ध्यान भटकाती है जो एटीएम या बैंक से पैसा बैग में भरकर निकलता है, और दूसरी चोरनी बड़ी ही सफाई से उसके बैग की जिप खोलकर नोटों की गड्डी पर हाथ साफ कर देती है। 

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शिकार के लिए एटीएम पर रहती थी नज़र

चोरी के बाद सीधे गांव

बकौल पुलिस अफसर ये अपनी हाथ की सफाई दिखाने के बाद कभी भी रुकती नहीं है। सीधे बस अड्डे से बस पकड़ती और सीधे मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के कड़िया गांव रवाना हो जाती। ऐसा ये लोग पिछले एक साल से करती आ रही थीं। दिल्ली में हाथ की सफाई करने के बाद ये बड़ी ही खामोशी से अपने गांव लौट जाती थीं। मामूली और मैले कुचैले कपड़े और चेहरे पर बेबसी का मेकअप इन्हें छुपाने का काम करता था, इसी वजह से ये जल्दी नज़र में भी नहीं आती थीँ। पुलिस के मुताबिक कभी कभी ये चोरनियां अपने छोटे मासूम बच्चों को भी लेकर भटकती दिखाई पड़ जाएंगी। असल में छोटे बच्चे भी इनकी मॉडस ऑपरेंडी का हिस्सा होते हैं और इन बच्चों को ये लोग एक ढाल के साथ साथ सटीक हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल करती हैं। पुलिस के मुताबिक ये चोरनियां आमतौर पर भीड़ भरे और अनजान इलाकों में ही जाती थीं, और वहां के एटीएम और बैंकों की शाखाओं पर निशाना साधती थीं। डीसीपी साउथ अंकित चौहान ने इन चोरनियों के बारे में एक बड़ी ही चौंकानें वाली बात बताई।

हर तरह की ज़िप खोलने में माहिर

 उन्होंने बताया कि ये चोरनियां बैग की ज़िप को पलक झपकते ही खोलने में माहिर होती हैं। कैसी भी जिप हो, कितनी भी मजबूत जिप हो, या कितनी भी आधुनिक जिप इनके सामने ले आओ, इन्हें वो कारीगरी पता है कि किस जिप के किस हिस्से में चोट करने पर वो चुटकी बजाते ही चंद सेकंड में खुल जाएगी। इसीलिए शायद मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के कड़िया को जिप खोलने में उस्तादों का गांव भी कहा जाता है। 

चोरनी गैंग दिल्ली से भागकर सात सौ किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के राजगढ़ में छुप जाता था

ढोलबाज गैंग का पर्दाफाश

पुलिस ने जब दिल्ली से करीब 700 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के कड़िया सांसी वाले इस ढोलबाज गैंग का पूरा पर्दाफाश किया तो जो सच निकला वो और भी ज़्यादा हैरान करने वाला है। असल में ये चोरनियां किसी बड़े शहर में बड़ा हाथ मारने के बाद जब अपने गांव कड़िया लौटती हैं तो वहां खाली नहीं बैठतीं, बल्कि गांव की दूसरी छोटी लड़कियों और महिलाओं को जिप खोलकर उससे नोटों को सफाई से बाहर निकालने का तरीका भी सिखाती हैं। इसके अलावा खाली वक्त में ये लोग जिप को खोलने की प्रेक्टिस करती दिख जाएंगी। ऐसा ये इसलिए करती हैं कि इनके चोरी का हुनर कहीं इनके साथ ही न खत्म हो जाए बल्कि उसे आगे बढ़ाने के लिए छोटे बच्चों को सिखा देती हैं। इनका चोरी का ये धंधा शादी के दिनों में जबरदस्त फलता फूलता है। 

चोरी के बाद नौ दो ग्यारह

मालवीय नगर की चोरी में गोमती और नरगिस को पकड़ने वाले इंस्पेक्टर धीरज महलावत के मुताबिक इन चोरनियों से चोरी की रकम को वसूलना सबसे मुश्किल काम है। अव्वल तो इनका पकड़ा जाना ही बड़ा मुश्किल है, दूसरा ये चोरी के बाद फौरन ही वहां से नौ दो ग्यारह हो जाती है और अपने गांव में छुप जाती हैं। जहां वो कई दिन कई हफ्ते या कई महीनों तक रहती है। इनका रहन सहन भी इतना साधारण और मामूली होता है कि किसी को इनकी किसी भी हरकत पर शक भी नहीं हो पाता है। इसके अलावा अपनी चोरी का ये लोग कोई सबूत भी नहीं छोड़ती। 

गांव वाले सूंघ लेते हैं पुलिसवालों की महक

ऐसे ही एक चोरनी का पीछा करते हुए पिछले साल पुलिस की एक टीम जब मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले गई तो वहां जाकर इनका सारा खेल समझ में आया। वहां जाकर पुलिस की टीम ने देखा कि इस गैंग के सताए लोग सिर्फ दिल्ली में ही नहीं हैं बल्कि कई राज्यों तक इनकी चोरी के निशान दिख जाएंगे क्योंकि राजगढ़ के कड़िया गांव के बाहर कई राज्यों की पुलिस की टीमें डेरा डाले नज़र आईं। पुलिस का खुलासा ये है कि राजगढ़ जिले के कड़िया गांव के लोग जैसे पुलिस वालों की महक पहचानते हैं। जैसे ही कोई पुलिसवाला राजगढ़ के कड़िया गांव के आस पास नज़र आता, गांव के लोग अपने इशारों से चोरनियों और उनके घरवालों को अलर्ट कर देते हैं, जिससे वो लोग बड़ी आसानी से महफूज ठिकानों में जाकर छुप जाते हैं। 

चोरी के पैसे का इनवेस्टमेंट

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक ये चोर चोरी की रकम से जमीन या दुकान खरीद लेते हैं। जबकि बहुत मामूली रकम ये लोग अपनी रोज मर्रा की जिंदगी में खर्च करते हैं। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि इनकी आमदनी का जरिया बना रहे। 

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