रिश्तों की ज़मीन पर बिछी धोखे और फ़रेब की बिसात, पति ग़ायब, बाप लापता, 14 साल की अधूरी मर्डर मिस्ट्री

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धोखे और फ़रेब की कहानी
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Delhi Crime Special: रिश्ते। जो हमारे समाज का ताना बाना हैं। छोटे बड़े और गहरे-हलके रिश्ते। रंग बदलते रिश्ते। इस कहानी में रिश्तों की ही बात हो रही है। उन रिश्तों की कि वो जब बदले तो भूचाल आ गया। ये रिश्तों की ज़मीन पर लिखी गई धोखे और फ़रेब की ये वो कहानी हैं जो आपको झकझोर कर रख देगी। तो दिल थामकर पढ़ते चलिए दिल वालों की दिल्ली में हुई फ़रेब की एक अनोखी दास्तान।  

उसने मांग में सिंदूर तो पति के नाम का लगा रखा था पर दिल में कोई और बस रहा था। उसके सामने एक तरफ पति था और दूसरी तरफ नया-नया प्यार। वो पति को छोड़ना भी नहीं चाहती थी और प्यार से दूर भी नहीं जा सकती थी। और बस यहीं से धोखे की इस कहानी की शुरूआत होती है। आइए इस कहानी के तीन किरदारों से आपका तार्रुफ करा दें। प्रीति (बदला हुआ नाम), अनिल शर्मा (बदला हुआ नाम) और गुफरान अहमद (बदला हुआ नाम)। यही हैं इस धोखा द मिस्ट्री के कुल तीन किरदार। कमरे के अंदर और बाहर मौजूद इन्हीं तीन किरदारों के बीच इस सबसे अनोखी दास्तान की तमाम कड़ियां जुड़ी हैं।  

सिंदूर तो पति के नाम का लगा रखा था पर दिल में कोई और 

साऊथ दिल्ली में बूटिक चलाने वाली प्रीति पर गुफरान की पहली नज़र उसकी इसी बूटिक में पड़ी थी। नज़रें क्या मिलीं, आंखों के रास्ते प्यार रफ्ता-रफ्ता दिल में उतर गया। प्रीति और गुफरान ने फिर कभी मुड़ कर नहीं देखा। दोनों के बीच मुलाक़ातों का सिलसिला बूटिक से सीधे बेडरूम तक जा पहुंचा। बावजूद इसके कि प्रीति शादीशुदा थी। बावजूद इसके कि उसके पति अनिल शर्मा इलाके के बेहद इज़्जतदार शख्सियत थे। प्रीति और गुफरान की ये मुलाकातें हर गुजरते दिन के साथ और परवान चढ़ती गईं और दोनों का ये नाजायज रिश्ता दिनो दिन मजबूत होता गया। लेकिन रिश्तों की ये हक़ीक़त ज़्यादा दिनों तक सुनील से छिप ना सकी। एक दिन ख़ुद अनिल ने अपने ही घर में अपनी बीवी को एक ग़ैर मर्द की बाहों में देख लिया। ये वो मंज़र था जिसने अनिल के पैरों तले से ज़मीन खिसका दी।  

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ना वक्त की पाबंदी थी, ना ही रिश्तों की फांस

लेकिन अपनी बीवी को दिलोजान से चाहने वाला अनिल इस बात को चुपचाप भुलाना नहीं चाहता था। लिहाजा उसने अपनी बीवी प्रीति को समझाने की कोशिश की। उसे गुफरान से दूर रखना चाहा।  लेकिन अपने शौहर की ये बंदिश प्रीति को मंजूर नहीं थी। बीवी की बेवफ़ाई अनिल को लगातार परेशान कर रही थी। वो अंदर-ही अंदर घुंट रहा था। लेकिन इससे पहले की वो कुछ कर पाता, इससे पहले कि वो अपनी बीवी को रोक पाता कि अचानक वो खुद ही गुम हो गया। गुम भी ऐसा कि तमाम तलाश बेकार। सवाल ये था कि कहां गया अनिल? किसने ग़ायब किया अनिल को? क्या इसी गुमशुदगी में छिपी है धोखा की सबसे कड़वी हक़ीकत? अनिल की रहस्यमयी गुमशुदगी प्रीति की आज़ादी का आगाज़ था। अपने माशूक गुफरान के लिए अब उसके घर के दरवाज़े पूरी तरह खुल चुके थे। 

पति रहस्यमयी तरीके से ग़ायब 

अब ना वक्त की पाबंदी थी, ना ही रिश्तों की फांस। लिहाज़ा प्रीति की अय्याशी को जैसे पंख लग गये। प्रीति अब आज़ाद थी। आशिक़ी के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा उसका पति रहस्यमयी तरीके से ग़ायब हो चुका था। अब ना तो कोई रोकने वाला और ना कोई टोकने वाला। ना ही वक्त की कोई पाबंदी। लिहाज़ा अब दोनों खुल्लम-खुल्ला मिलने लगे। चूंकि प्रीति एक करोड़पति बाप की बेटी थी, लिहाज़ा पिता के पैसों पर प्रीति का इश्क भी शबाब पर था। गुफरान के साथ मिलकर प्रीति ने अपने बाप की दौलत उड़ानी शुरू कर दी। पर ये बात प्रीति के पिता सुजीत सिंह से भी ज्यादा दिन तक छुपी नहीं रह सकी। सुजीत अपनी बेटी की अय्याशी और एक ग़ैर मर्द के साथ उसके नाजायज रिश्ते का राज़ जान चुके थे। लिहाज़ा उन्होंने अपनी तिजोरी पर ताला लगा दिया। घर की दौलत को घर की ही बेटी बर्बाद करने पर आमादा थी। और यही बात प्रीति के पिता को अंदर ही अंदर खाये जा रही थी।  

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बेटी की अय्याशी और एक ग़ैरमर्द से नाजायज रिश्ते

इधर बाप ने अपनी तिजोरी बेटी के लिए बंद की तो उधर शाही खर्च और हाई प्रोफाइल लाइफ स्टाइल ने प्रीति और गुफरान को कर्ज़ में डुबो दिया। दोनों के पास अपनी अय्याशी के लिए आमदनी का कोई और जरिया भी नहीं था। घूम-फिरकर प्रीति की निगाहें अपने पिता की बेशुमार दौलत पर गड़ गईं। उसे अच्छी तरह मालूम था कि बिना हाथ-पांव मारे करोड़ों की दौलत उसके हाथ लग सकती थी। लिहाज़ा अब उसके मन में किसी भी सूरत में पिता की दौलत हासिल करने का लालच घर करने लगा। पर इससे पहले कि प्रीति का ये ख्वाब पुरा होता अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। यही था धोखा द मिस्ट्री का सबसे ख़तरनाक खेल।  

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धोखा द मिस्ट्री का सबसे ख़तरनाक खेल

पति ग़ायब हो चुका था और पिता बेटी के फ़रेब को जान चुके थे। उधर प्रीति की जेब पर उसकी अय्याशी धीरे-धीरे भारी पड़ती गई। दौलत के बिना अय्याशी चले भी तो कैसे? लिहाज़ा दौलत पाने के लिए प्रीति और गुफरान ने एक ख़तरनाक साज़िश रची। पर वो इस साजिश को अंजाम दे पाते उससे पहले ही कहानी में एक और नया मोड़ आ गया। उधर अनिल गायब हुआ और इधर घर की माली हालत भी बिगड़ने लगी। प्रीति पर कर्ज़ का बोझ हर गुज़रते दिन के साथ बढ़ता जा रहा था। दूसरी तरफ पुलिस उसके पति की रहस्यमयी गुमशुदगी की तफ्तीश में पूरी तेजी से जुटी थी। लेकिन इससे पहले की थाने से प्रीति के पति की कोई ख़बर आती प्रीति के घर से ही एक और ख़बर बाहर आई। पति के बाद अब अचानक प्रीति के पिता सुजीत सिंह भी ग़ायब हो गए। 

पति के बाद पिता सुजीत सिंह भी ग़ायब

एक ही घर से दो-दो गुमशुदगी ने पुलिस का भी सिर चकरा दिया। इसी के बाद पहली बार पुलिस की नज़रें प्रीति और उसके आशिक गुफरान पर गड़ीं। पहले पति और फिर पिता की रहस्यमयी गुमशुदगी की बात पुलिस को आसानी से हजम नहीं हो रही थी। प्रीति के चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं थी और यही वो बात थी जो पुलिस को सबसे ज्यादा परेशान कर रही थी। उधर पिता के ग़ायब होने के बाद प्रीति के अरमानों को जैसे पंख लग गए हों। अब घर और बाहर दोनों ही जगह उसे रोकने और टोकने वाला कोई नहीं था। लिहाजा, गुफरान के साथ उसकी आशिकी और भी बढ़ती गई। उधर पुलिस दोनों की इन तमाम हरकतों पर नज़रें गड़ाए बैठी थी। और चूंकि उसे प्रीति और गुफरान के रिश्तों पर शक हो चुका था, लिहाज़ा पुलिस ने दोनों के फ़ोन को भी सर्विलांस पर डाल दिया।  

प्रीति और गुफरान के रिश्तों पर शक

आखिरकार पुलिस का शक अपना काम कर गया। पुलिस शक की जिस उंगली को थामकर मामले की तफ्तीश कर रही थी, वो उसे सीधे क़ातिल का पता दे गई। जी हां, क़ातिल का। क्योंकि पुलिस जिसे गुमशुदगी का मामला मानकर चल रही थी। वो मामला क़त्ल का निकला और क़ातिल की शक्ल में जो चेहरा सामने था उसने ख़ुद पुलिस के पैरों तले से ज़मीन खिसका दी। एक ही घर से एक के बाद एक दो लोग ग़ायब हुए। तीन साल बीत गए। पर दोनों का सुराग नहीं मिला। पर तीन साल बाद अचानक एक रोज पता चला कि उनमें से एक का कत्ल हो चुका है। कातिल खुद इसका इकरार कर रहा था। पर इस इकरार के बावजूद धोखा द मिस्ट्री अब भी राज ही बना हुआ था। बाप की लाश मिले और बेटी के दामन पर खून तो फिर किसके पैरों तले से ज़मीन नहीं खिसकेगी? जी हां। सुजीत सिंह गायब नहीं हुए थे, बल्कि उन्हें हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया था और ये काम किसी और ने नहीं खुद उनकी अपनी बेटी प्रीति ने किया था। 

तीन साल तक दोनों का कोई सुराग नहीं 

दरअसल, प्रीति को अपनी अय्याशी के लिए दौलत की दरकार थी। बूटिक से मिलने वाला पैसा उसके लिए नाकाफी था। फिर गुफरान की खर्चीली आदत ने भी प्रीति के हाथ तंग कर दिए थे। लिहाजा इस मुफलिसी से निकलने के लिए दोनों ने एक खतरनाक सजिश रची। प्रीति अपने बाप की आलीशान बिल्डिंग को बेचकर करोड़ों रुपए हासिल कर सकती थी। वो अपने पिता की इकलौती वारिस भी थी। पर उसे ये विरासत बाप के जीते जी मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी। आरोप है कि उसने अपने पिता को ही हमेशा-हमेशा के लिए रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया। साजिश के तहत प्रीति ने गुफरान और उसके एक दोस्त को एक रात अपने घऱ बुलाया। सुजीत सिंह तब अपने अंजाम से बेख़बर अपने कमरे में आराम कर रहे थे। रात के वक्त अचानक दो अजनबियों को कमरे में आते देख वो चौंक गए। पर इससे पहले की वो कुछ समझ पाते गुफरान और प्रीति ने तकिए से मुंह दबाकर सुजीत की हत्या कर दी। फिर इसके बाद गुफरान और उसके दोस्त ने सुजीत की लाश को एक चादर में लपेटकर दूर गंगनहर में फेंक दिया।  

रात के अंधेरे में साजिश

बाद में खुद प्रीति ने पुलिस में अपने पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करा दी। तकि किसी को उसपर शक ना हो। लेकिन प्रीति और गुफरान के फोन टैप कर पुलिस ने आखिरकार तीन साल बाद सुजीत सिंह की गुमशुदगी की गुत्थी सुलझा ही दी। इसी के बाद 12 फरवरी 2009 को दिल्ली पुलिस ने प्रीती, गुफरान और उसके दोस्त आसिफ़ को कत्ल के जुर्म मे गिरफ्तार कर लिया। लेकिन अभी प्रीति के पति अनिल की गुमशुदगी की पहेली सुलझानी बाकी थी। पुलिस को यकीन था कि बाप की तरह ही प्रीति ने अपने पति को भी इसी तरह रास्ते से हटा दिया है। लेकिन 11 मई 2004 से लापता अनिल के बारे में प्रीति और गुफरान अब भी यही रट लगाए हैं कि उन्हें अनिल के बारे में कुछ नहीं पता। 14 साल से ज्यादा वक्त बीच चुका है। पर ना तो अब सुनील लौटा है और ना ही उसकी कहं लाश मिली है। तो आखिर सुनील कहा गया? उसे जमीन खा गई या आसमान निगल गय? कुल मिला कर धोखा द मिस्ट्री अब भी मिस्ट्री ही बनी हुई है।

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