US Supreme Court Ends Abortion Rights: कोर्ट ने रद्द किया गर्भपात का संवैधानिक अधिकार

US Abortion Laws: US Supreme Court Ends Abortion Rights: अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया है

CrimeTak

25 Jun 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:21 PM)

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US Supreme Court Ends Abortion Rights: अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया है. ऐसा कर कोर्ट ने अपने ही पांच दशक पुराने उस ऐतिहासिक फैसले को बदल दिया है जहां पर महिलाओं को गर्भपात करवाने का कानूनी दर्जा दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता है. हमारी तरफ से ‘रो वी वेड’ केस को खारिज कर दिया गया है. कोर्ट ने ये जरूर कहा है कि अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने नियम-कानून बना सकते हैं.

अब जिस ऐतिहासिक फैसले को पलटा गया वो, वो अमेरिका की ही सुप्रीम कोर्ट ने साल 1973 में दिया था. केस का नाम था रो बनाम वेड. उस मामले में नॉर्मा मैककॉर्वी नाम की महिला के दो बच्चे थे और तीसरा आने वाला था. लेकिन मैककॉर्वी वो तीसरा बच्चा नहीं चाहती थीं, ऐसे में उन्होंने अमेरिका के फेडरल कोर्ट का रुख किया था. लेकिन तब फेडरल कोर्ट ने उन्हें गर्भपात की इजाजत नहीं दी.

इस फैसले के ठीक दो साल बाद मैककॉर्वी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. फिर सुप्रीम कोर्ट ने ही उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें गर्भपात की इजाजत दे दी थी. तब कोर्ट ने कहा था कि गर्भ का क्या करना है, ये फैसला महिला का होना चाहिए. इस एक फैसले के बाद ही अमेरिका में महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार मिल गया था. लेकिन अब इतने सालों बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने उसी फैसले को पलट दिया है जिसकी वजह से देश में माहौल काफी गर्म है.

परिस्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति जो बाइडेन देश के नाम संबोधन भी किया है. फैसले का विरोध कर रहे लोगों से उन्होंने अपील की है कि प्रदर्शन को शांतिपूर्ण रखा जाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमे काफी खतरनाक रास्ते पर लेकर जा रहा है. लेकिन फिर भी प्रदर्शन कर रहे सभी लोग कानून को अपने हाथ में ना लें. वैसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत नहीं किया है. उन्होंने इसे सीधे तौर पर निजता हनन बताया है. वे कहते हैं कि कोर्ट ने सिर्फ 50 साल पुराना आदेश वापस नहीं लिया है, बल्कि उन्होंने सीधे-सीधे अमेरिकियों की निजी स्वतंत्रता पर हमला कर दिया है.

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