दिल्ली की श्रद्धा अब हैदराबाद में भी मिली !

DEEPIKA SHARMA

26 May 2023 (अपडेटेड: May 26 2023 1:26 PM)

Murder Story Vardaat: तिलंगाना पुलिस को एक कटा हुआ सिर मिलता है, लेकिन उस चेहरे और सिर का कोई नाम पता नहीं मिला.

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Hyderabad Murder: मौत के इस ख़ौफ़नाक मगर अजीब सिलसिले पर यकीन करना मुश्किल है. लेकिन तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से श्रद्धा मर्डर केस के ठीक एक साल बाद जो कहानी सामने आई है, उसने लोगों को झिंझोड़ दिया है. मौत की ये कहानी बिल्कुल किसी क्राइम सीन को रिक्रिएट करने की दर्ज पर ऐसे दोहरा दी गई है, मानों क़ातिल ने कत्ल करने से लेकर लाश निपटाने तक की हरेक करतूत सिर्फ और सिर्फ़ श्रद्धा मर्डर केस को देख कर ही कॉपी किया हो. इस कहानी की शुरुआत होती है 17 मई की सुबह के ठीक 7 बजकर 34 मिनट पर. शहर के तिगालागुडा रोड पर नगर निगम के कुछ कर्मचारी रोज़ाना की तरह सड़क किनारे मौजूद इस डंपिग ग्राउंड में साफ-सफाई का काम देख रहे थे। तभी सुधाकर नाम के एक कर्मचारी की नजर एक काली पॉलीथिन पर पड़ी, जिसे काफी टाइट तरीके से पैक किया गया था। सफाई के सिलसिले में सुधाकर ने ये काली पॉलीथिन खोल दी और इसके बाद उसने जो कुछ देखा, उसे शायद वो ताउम्र कभी नहीं भूल पाएगा। पॉलीथिन खोलते ही सुधाकर के मुंह से चीख निकल गई और वो पैकेट को दूर फेंकते हुए पीछे हट गया। इस पॉलीथिन में कुछ और नहीं बल्कि एक इंसानी सिर था। जी हां, एक महिला का कटा हुआ सिर।

Murder Story: देखते ही देखते ये खबर जंगल में आग की तरह फैली और अगले कुछ मिनटों में शहर की मलकापेट थाने की पुलिस मौका ए वारदात पर मौजूद थी। पुलिस ने कटा हुआ सिर बरामद कर उसे फॉरेंसिक जांच के लिए भिजवा दिया और इसके साथ कत्ल और सिर कटी लाश की इस पहेली को सुलझाने की कोशिश शुरू कर दी। पुलिस ने इस जांच में शहर के 735 थानों के एसएचओ को शामिल किया। 450 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और 250 से ज्यादा गुमशुदा महिलाओं के बारे में जानकारी जुटाने की कवायद शुरू कर दी। और फिर हफ्ते भर का वक्त गुजरते-गुजरते इस कटे सिर से जुड़ी जो कहानी सामने आई, उसने हर किसी को दहला दिया।

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ठीक साल भर बाद दोहराई गई श्रद्धा मर्डर केस जैसी वारदात
हैदराबाद में लिव-इन पार्टनर ने की महिला की हत्या
आशिक़ ने क़त्ल के बाद स्टोन-कटर से किए लाश के टुकड़े
फिर किश्तों में ठिकाने लगाता रहा महिला की लाश
रिश्तेदारों को गुमराह करने के लिए भेजता रहा फ़र्ज़ी SMS

मामले की जांच में जुटी हैदराबाद पुलिस के लिए मारी गई महिला की पहचान पता करना सबसे पहली चुनौती थी और इसके लिए पुलिस पहले ही दिन से महा-अभियान चला रही थी। इस सिलसिले में पुलिस ने अपने ही डिपार्टमेंट के उस व्हाट्स एप गुप में भी महिला के कटे सिर की तस्वीरें सेंड की, जिस गुप में साढे सात सौ से ज्यादा थानों के इंचार्ज जुड़े हुए थे और करीब पांच दिनों की कोशिश के बाद आखिरकार पुलिस इस महिला की पहचान पता करने में कामयाब हो गई। महिला की पहचान शहर के दिलसुख नगर की रहनेवाली 55 साल की यारम अनुराधा रेड्डी के तौर पर हुई। और इसी के साथ अनुराधा के कत्ल की सिहरन पैदा करनेवाली कहानी का खुलासा हो गया।

Crime News: वैसे तो अनुराधा शादीशुदा थी। लेकिन अपने पति की मौत के बाद वो करीब 15 सालों से अकेली रह रही थी। वो इतने ही दिनों से चंद्र मोहन नाम के एक शख्स को जानती थी। चंद्रमोहन, अनुराधा से सात साल छोटा यानी 48 साल का था। पति से अलग होने के बाद उसकी चंद्रमोहन से नजदीकी बढ़ गई और फिर वो चंद्रमोहन के साथ ही उसके दिलसुख नगर वाले मकान में शिफ्ट हो गई। चूंकि वो पहले से ही अलग रहती थी, कुछेक दोस्त और रिश्तेदारों के अलावा उसकी ज्यादा किसी से बातचीत भी नहीं होती थी। लेकिन इन्हीं हालात के बीच एक रोज़ अनुराधा रहस्यमयी तरीके से अपने घर से गायब हो गई। यही वो तारीख थी, जब नर्स का काम करनेवाली अनुराधा को लोगों ने आखिरी बार जिंदा देखा था। इसके बाद उसके कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों ने कई बार अनुराधा से बात करने की कोशिश की, लेकिन अनुराधा से उनकी बात नहीं हो सकी। हालांक अनुराधा के मोबाइल फोन से एसएमएस के जरिए, उन्हें जवाब जरूर मिलता रहा। और फिर इस तरह एक-एक दिन गुजरता रहा।

उधर, कटे सिर की पहचान पता करने की कोशिश में जुटी पुलिस ने जब मौका ए वारदात के आस-पास के तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो उनका शक ऑटो रिक्शा पर सवार एक शख्स पर गया। इस शख्स के अपने चेहरे पर कपड़ा बांध रखा था। लिहाजा, उसे पहचानना मुमकिन नहीं था। लेकिन इसने पॉलीथिन में पैक कटा हुआ सिर फेंकने के लिए जाने के दौरान एक होटल से पानी की बोतल खरीदी थी। और इतेफाक से पानी की इस बोतल के लिए उसने यूपीआई ट्रांजैक्शन किया और यही यूपीआई ट्रांजैक्शन के सहारे पुलिस ने उसकी पहचान पता कर ली। ये दिलसुख नगर का करनेवाला चंद्रमोहन था।

अब पुलिस ने अनुराधा को ढूंढते हुए दिलसुख नगर के चंद्रमोहन के घर पहुंची। वहां चंद्रमोहन तो मिला ही, लेकिन चंद्रमोहन के पकडे जाने के साथ ही अनुराधा के कत्ल की भयानक कहानी भी सामने आ गई। चंद्रमोहन ने पहले तो पुलिस की पूछताछ में ऐसी किसी वारदात में शामिल होने की बात से ही इनकार कर दिया। लेकिन जब पुलिस ने उसकी घेरेबंदी करने के साथ-साथ उसके घर की तलाशी ली, तो घर के फ्रिज से जहां अनुराधा के कटे हुए हाथ-पांव बरामद हुए, वहीं एक बडे से टंक यानी लोहे के बक्से से अनुराधा की धड़ भी बरामद हो गई। चंद्रमोहन ने कबूल किया कि उसने 12 मई को ही अनुराधा की चाकू से गोद कर हत्या कर दी थी और इसके बाद लाश के टुकडे कर उन्हें किश्तों में ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहा था।

Vardaat Full Story: पुलिस की पूछताछ में चंद्रमोहन ने बताया कि उसका अनुराधा से पुराना रिश्ता था। अनुराधा उसके मकान में ग्राउंड फ्लोर पर रहती थी, जबकि वो खुद फर्स्ट फ्लोर पर अपनी बुजुर्ग मां के साथ रहता था। अनुराधा नर्स का काम करने के साथ-साथ लोगों को ब्याज पर रुपये भी उधार दिया करती थी। इस साइड बिजनेस की वजह से उसके पास अक्सर कैश रहा करता था। साल 2018 में उसने अनुराधा से 7 लाख रुपये उधार के तौर पर लिए थे। लेकिन वो अब तक ये रुपये अनुराधा को वापस नहीं कर सका था। दूसरी ओर अनुराधा रोज उससे अपने रुपये वापस मांगती थी और अब इन रुपयों के लिए उसे कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगी थी। रोज-रोज के इस झगडे से पीछा छुड़ाने के लिए ही चंद्रमोहन ने अनुराधा के कत्ल की साजिश रची. 12 मई 2023 की दोपहर को इन 7 लाख रुपयों को लेकर ही उसकी अनुराधा से लडाई हुई और गुस्से में उसने घर में रखे चाकू से एक के बाद एक कई वार कर अनुराधा को मौत के घाट उतार दिया। उसने अनुराधा के सीने और पेट में कई चाकू मारे। जब वो अनुराधा की जान चली जाने को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत हो गया, तब उसने लाश निपटाने की तैयारी शुरू की। लेकिन कत्ल की अब तक की ये कहानी जितनी भयानक थी, लाश निपटाने की उसकी साजिश उससे भी ज्यादा अजीब और डरानेवाली।

7 लाख रुपये को लेकर रोज-रोज की चिक-चिक से निजात पाने के लिए चंद्रमोहन अब अनुराधा का कत्ल कर चुका था। लेकिन अनुराधा की लाश निपटाना चंद्रमोहन के लिए एक बड़ी चुनौती थी। खास कर पूरी की पूरी लाश को लेकर घर से बाहर निकलना ही अपने-आप में एक बड़ा चैलेंज था। ऐसे में उसने लाश को ठिकाने लगाने का जो तरीका चुना, वो ठीक दिल्ली के श्रद्धा मर्डर केस के मिलता जुलता था। उसने आफताब की तरह श्रद्धा की लाश के टुकड़े करने और फिर उन टुकड़ों को एक-एक कर शहर के अलग-अलग जगहों पर फेंकने का फैसला किया। चंद्रमोहन ने कत्ल के कुछ ही देर बाद बाजार से दो स्टोन कटिंग मशीन खरीदे। और इन मशीनों की मदद से लाश के टुकडे करने लगा।

Telangana News: घर लौट कर उसने सबसे पहले अनुराधा की लाश का सिर काट कर अलग कर लिया और उसे पॉलीथिन में पैक कर लिया। इसके बाद उसने लाश के हाथ-पैर काट कर अलग कर लिए। लेकिन चूंकि इन सारे टुकड़ों को एक ही दिन निपटना संभव नहीं था, उसने कटा हुआ सिर और हाथ-पांव अनुराधा की फ्रिज में ठूंस दिए। लाश के टुकड़ों को छुपाने का ये तरीका भी श्रद्धा मर्डर केस से बिल्कुल मिलता-जुलता था। चंद्रमोहन ने धड़ का हिस्सा एक बडे से टंक में भर कर घर में ही रख लिया। लाश निपटाने की पहली किश्त के तौर पर उसने सबसे पहले सिर को ठिकाने लगाने का फैसला किया और तीन दिन बाद यानी 15 मई को एक ऑटो में बैठ कर पॉलीथिन में कटा हुआ सिर लेकर घर से निकल गया। उसने ये सिर तिगालागुडा रोड के मूसी नदी के किनारे मौजूद डंपिंग ग्राउंड में फेंकने का फैसला किया। उसकी कोशिश थी कि सिर नदी के पानी में चली जाए और हमेशा-हमेशा के लिए गुम हो जाए।

चंद्रमोहन ने कटा हुआ सिर मूसी नदी के किनारे फेंक भी दिया। मगर नदी में पानी कम होने की वजह से सिर नदी के किनारे डंपिंग ग्राउंड में ही पड़ा रह गया। इधर, घर लौटने के बाद उसने कटे हुए धड़ से उठती बदबू से पार पाने की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद ठीक श्रद्धा के आरोपी कातिल आफताब की तरह वो बाजार से फिनाइल की बोतल, डेटोल, परफ्यूम, अगरबत्ती, कर्पूर वगैरह खरीद कर लाया। ताकि घर की अच्छे तरीके से साफ-सफाई कर दी जाए और इन सारी चीजों को इस्तेमाल कर लाश से उठती बदबू को दबा देना मुमकिन हो। सच्चाई तो ये है कि इस कोशिश में वो काफी हद तक कामयाब भी रहा। क्योंकि आस-पड़ोस में किसी को चंद्रमोहन के घर से निकलती लाश की बदबू का पता नहीं चला। वो तो जब पुलिस तलाशी के लिए उसके घर में दाखिल हुई, तब उन्हें बदबू का भभका सा लगा।

खास बात ये रही कि अनुराधा के कत्ल की सच्चाई को छुपाए रखने के लिए उसने ठीक आफताब की तरह ही अनुराधा के मोबाइल फोन से उसके नाते रिश्तेदारों को और दोस्तों को मैसेज भेज कर उन्हें गुमराह करता रहा। जब-जब कोई अनुराधा से बात करने की कोशिश करता, वो उसके फोन से उन्हें मैसेज भेज कर उनकी जिज्ञासा शांत कर देता। उसकी ये कोशिश तब तक कामयाब भी रही, जब तक कि वो पकड़ा नहीं गया।

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