पुलिसवाले मुस्लिमों को सरेआम कोड़े मारे थे, गुजरात हाई कोर्ट ने पुलिस वालों पर लिया ये एक्शन

PRIVESH PANDEY

04 Oct 2023 (अपडेटेड: Oct 4 2023 5:50 PM)

Gujrat News: गुजरात हाई कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना के मामले में 4 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप तय किए है.

Crime Tak

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Gujrat News: गुजरात हाई कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना के मामले में 4 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप तय किए है. उन पर पिछले साल 2022 में खेड़ा जिले में कुछ मुस्लिम व्यक्तियों को सार्वजनिक रूप से पीटने का आरोप है. न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया और न्यायमूर्ति एम.आर. मेंगड़े की पीठ ने 4 अक्टूबर को उनके खिलाफ आरोप तय किए.

रिपोर्ट के मुताबिक, ये चार पुलिसकर्मी हैं ए. वी. परमार, डी.बी. कुमावत, कनक सिंह, लक्ष्मण सिंह और रमेशभाई डाभी. इन पर डी.के. इन पर बसु बनाम बंगाल सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप है. इसमें सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए.

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गुजरात हाई कोर्ट ने आरोपियों को अपने बचाव में हलफनामा दाखिल करने के लिए 11 अक्टूबर तक का समय दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान डी.बी. कुमावत ने दावा किया कि इस घटना में उनकी कोई सक्रिय भागीदारी नहीं थी.

इस पर जस्टिस सुपेहिया ने कहा कि वह घटना के वक्त वहां मौजूद थे. जब पीड़ितों को बेरहमी से पीटा जा रहा था, कुमावत ने उन्हें बचाने का कोई प्रयास नहीं किया। न्यायमूर्ति सुपेहिया ने कहा,

     "पीड़ितों को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जा रहे थे और बेरहमी से पीटा जा रहा था, लेकिन पुलिसकर्मी ने उन्हें बचाने का कोई प्रयास नहीं किया. उन्होंने पुलिसकर्मियों को पीड़ितों को पीटने से रोकने की भी कोशिश नहीं की. यह अवैध और अपमानजनक है. इसमें कोई विवाद नहीं है कि वह वहां मौजूद थे." इसलिए यह स्पष्ट है कि उसने इस घटना में सक्रिय भूमिका निभाई. वह पीड़ितों को कोड़े मारने के लिए सहमत हुआ."

खेड़ा जिले में क्या हुआ?

मालेक परिवार के पांच सदस्यों को खेड़ा जिले के मटर थाने के पुलिसकर्मियों ने सरेआम पीटा. इनके अलावा कुछ लोगों की पिटाई भी की गई. पुलिस ने उन पर उंधेला गांव में एक नवरात्रि कार्यक्रम में पथराव करने का आरोप लगाया था. पीड़ितों की पिटाई का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.

मालेक परिवार ने गुजरात उच्च न्यायालय में चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था.

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