Women in Afghanistan : कभी यहां लड़कियां मिनी स्कर्ट पहन फिल्म देखने जातीं थीं, लेकिन तालिबान ने कर दिया क़ैद

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Women in Afghanistan : कभी यहां लड़कियां मिनी स्कर्ट पहन फिल्म देखने जातीं थीं, लेकिन तालिबान ने कर...
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अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की आज़ादी को लेकर आज दुनिया भर में सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है. लेकिन एक वक्त था जब यहां की लड़कियां स्कर्ट पहनकर आज़ाद ख्यालों के साथ सड़कों पर घूमती थीं. बिना किसी रोकटोक के स्कूल जाती थीं. जॉब करती थीं. यानी वो सबकुछ करती थीं जो अमेरिका और यूरोप के विकसीत देशों की महिलाएं आगे हैं.

अमेरिका से पहले मिला महिलाओं को वोट देने का अधिकार

यही वजह है कि अफ़ग़ानिस्तान में 1919 में ही महिलाओं को वोट देने हक़ मिल गया था. वहीं, अमेरिका में अफ़ग़ानिस्तान के एक साल बाद यानी वर्ष 1920 में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला था. हालांकि, प्रस्ताव एक साल पहले ही पास हो गया था. जबकि ब्रिटेन में 1919 में ही महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला था.

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यानी दोनों विकसीत देशों में महिलाओं के अधिकारों की तरह अफ़ग़ानिस्तान में भी महिलाओं की स्थिति थी. अफ़ग़ानिस्तान में 1960 के दशक में ही पर्दा प्रथा को ख़त्म कर दिया गया था. इसके बाद महिलाएं स्कर्ट, मिनी स्कर्ट में शॉपिंग करने या फिर पढ़ाई करने जातीं थीं. नौकरी भी करती थीं. बिना किसी रोकटोक के.

क्या कहा है रिसर्च स्कॉलर होरिया मोसादिक़

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होरिया मोसादिक़ (Horia Mosadiq) एमनेस्टी इंटरनेशनल के लिए अफ़ग़ानिस्तान की रिसर्च स्कॉलर हैं. वो अफ़ग़ानिस्तान के पुराने दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि

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होरिया मोसादिक़
एक लड़की के तौर पर मैं उन दिनों को याद करती हूं जब मेरी मां मिनी स्कर्ट पहनती थीं. हमें सिनेमा दिखाने ले जातीं थीं. मेरी ऑन्टी काबुल की यूनिवर्सिटी में जातीं थीं. ये सबकुछ 1970 तक होता रहा. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, महिलाओं की उन्नति के बजाय यहां गिरावट आई. और फिर जब 1996 से वर्ष 2001 तक तालिबान का शासन हुआ तो महिलाओं की जिंदगी नर्क से भी बदतर बन गई.
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1980-90 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान सिविल वॉर से बदला माहौल

अफ़ग़ानिस्तान में जिस तरह से महिलाओं को आज़ादी थी उस वजह से यहां विकास भी हो रहा था. यहां महिलाएं काफी तरक्की कर रही थीं. ये सबकुछ साल 1960 से 1970 तक यानी 10 वर्षों में तेजी से आगे बढ़ा.

लेकिन 1980 के दशक में यहां की आज़ादी पर मानों बुरी नज़र लग गई. 1980 से 1990 के दशक में अफ़गानिस्तान में सिविल वॉर शुरू हुआ. इस दौरान मुजाहिद्दीन के ज्यादातर लड़ाके पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर अफ़ग़ानिस्तान को इस्लामिक स्टेट बनाने की तैयारी में जुट गए थे.

1994 में इन्हीं लड़ाकों का संगठन तालिबान के रूप में उभरकर सामने आया. जिसके ज्यादातर सदस्य पुराने मुजाहिद्दीन के सदस्य थे. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ने साल 1996 से लेकर 2001 कर शासन किया था.

साल 2001 में नाटो सेना ने तालिबान को भगाया

यहां बता दें कि अमेरिका के नेतृत्व में नाटो सेनाओं (NATO) ने अफ़ग़ानिस्तान को तालिबान के कब्जे से मुक्त कराया था. वर्ष 2001 में तालिबान को सत्ता से बेदखल कर दिया था. इसके बाद फिर से यहां नई सरकार का गठन हुआ था. लेकिन अब 20 साल बाद एक बार फिर से तालिबान ने कब्जा जमा लिया है.

ऐसे में रिपोर्ट्स बताती है कि, तालिबान ने अपने कब्जे वाले इलाकों में क्रूर कानूनों को लागू करना शुरू कर दिया है. जिनमें तालिबान की सबसे बड़ी प्रथा महिलाओं के ऊपर तमाम बंदिशों को लादना है.

तालिबान ने महिलाओं पर ये लगाईं थीं बंदिशें

तालिबान ने जब पहली बार अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा किया था तब महिलाओं पर कई तरह की बंदिशें लगाईं थीं. तालिबान ने इस्लामिक श़रिया क़ानून (Islamic Sharia Law) लागू किया था.

  • लड़कियां किसी भी तरह पढ़ाई नहीं कर सकती थीं

  • लड़कियों को स्कूल जाने पर पूरी तरह से रोक

  • महिलाएं के घर के बाहर काम करने पर रोक

  • बिना पुरुष के महिलाएं घर से बाहर नहीं जा सकतीं

  • पब्लिक प्लेस में महिलाओं की स्कीन नहीं दिखनी चाहिए

  • महिलाएं किसी पुरुष डॉक्टर से इलाज नहीं कर सकतीं

  • महिलाएं राजनीति नहीं कर सकतीं, ना ही बोल सकती हैं

  • नियमों की अनदेखी की तो मिलती थी ख़ौफ़नाक सज़ा

15 साल की लड़की की दास्तान

तालिबानी किस तरह से महिलाओं की आवाज़ को कुचलते हैं. इसका ये बहुत ही छोटा उदाहरण है. 15 साल की एक लड़की ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उसके पिता ने उसे स्कूल जाने की इज़ाज़त दे दी थी. ये बात 1995 की है. इसका पता चलते ही मेरी आंखों के सामने पिता की बर्बरता से हत्या कर दी गई थी.

15 साल की लड़की का बयान
ये 1995 की बात है. मेरे पिता ने मुझे स्कूल जाने की इज़ाजत दे दी थी. इसी बात को लेकर रात के क़रीब 9 बजे तालिबानी में मेरे घर आए. मेरी आंखों के सामने ही पिता की गोली मार हत्या कर दी. इसके बाद भी पूरे परिवार के साथ बुरा सलूक किया. जिसे मैं बता नहीं सकती.

अब फिर से महिलाएं होंगी क़ैद

तालिबान के कब्जे के बाद से अब फिर महिलाएं क़ैद हो जाएंगी. वो घर से बाहर नहीं निकल सकेंगी. अगर निकलना भी होगा तो किसी ना किसी पुरुष सदस्य के साथ ही निकलेंगी. और शरीर का एक इंच भी बुर्के के बाहर नहीं दिखना चाहिए. अब लड़कियों की पढ़ाई पर पूरी तरह से पाबंदी होगी.

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