3-3 बार मौत को छूकर टक से वापस आ गया ये इंसान! क्या है इस चमत्कार की असली कहानी?

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3-3 बार मौत को छूकर टक से वापस आ गया ये इंसान! क्या है इस चमत्कार की असली कहानी?
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किसी को फांसी हो तो आधी मौत तो फैसले के वक्त ही तय हो जाती है, और रही सही कसर फांसी के फंदे का ट्रिगर दबने के बाद पूरी हो जाती है। लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि एक ऐसा शख्स जिसे फांसी के फंदे पर पहली बार लटकाया गया तो वो इत्तेफाक से बच गया, दोबारा लटकाया गया तो दोबारा बच गया और यहां कि जब उसे तीसरी बार लटकाया गया तो वो तब भी बच गया। हैरान करने वाला ये चमत्कार इंग्लैंड में हुआ।

ब्रिटेन में रईसों के घर में नौकरों-चाकरों की लंबी जमात होता है, उसी जमात का एक हिस्सा था जॉन ली, जो एक बेहद रईस महिला के घर में नौकरी करता था। एक रोज़ उस औरत के बंगले में चोरी हो गई, जिसके लिए जॉन ली को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उस महिला ने उसे नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद इंग्लैंड के ही एक छोटे से गांव में जॉन को एक औरत के कत्ल के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया, हालांकि जॉन ली खुद को बेकसूर बताता रहा लेकिन सबूत उसके खिलाफ थे।

पुलिस ने जॉन ली को गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि मौका ए वारदात जॉन ली के अलावा और कोई नहीं था। साथ ही उनके हाथों पर कट के निशान भी लगे थे, जो इशारा कर रहे थे कि कत्ल जॉन ली ने ही किया है। ऐसे में ब्रिटिश पुलिस ने ज्यादा दिमाग और वक्त ना गंवाते हुए जॉन को ही गुनाहगार समझकर पहले तो गिरफ्तार कर लिया और फिर जब कोर्ट में मामले की शुरुआत हुई तो अदालत ने उसे दोषी पाते हुए उसे मौत की सजा सुना दी।

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कत्ल की उस वारदात को 15 नवंबर 1884 को अंजाम दिया गया था और उसके तीन महीने बाद जॉन ली की सज़ा का ऐलान हुआ और तय हुआ कि 23 फरवरी 1885 को जॉन ली को फांसी दी जाएगी। ली को फंदे तक ले जाया गया, जल्लाद ने उसे फांसी देने के लिए हैण्डल खींचा, लेकिन जॉन के नीचे मौजूद लकड़ी का दरवाजा नहीं खुला। जल्लाद ने कई बार हैण्डल खींचा, लेकिन दरवाजा नहीं खुला और जॉन फांसी से बच गया। इसके बाद दूसरे दिन फिर से उसे फांसी देने के लिए लाया गया लेकिन दूसरे दिन भी दरवाजा नहीं खुला। सब हैरान थे क्योंकि जब फांसी की प्रैक्टिस की जाती तब तो दरवाज़ा खुलता था लेकिन जॉन के लड़की के पटरे पर आने के बाद वो नहीं खुलता। ऐसा तीन बार हुआ, तीन बार जॉन ली को फांसी पर लटकाया गया लेकिन फांसी नहीं लग पाई।

तीन तीन बार की नाकाम कोशिश के बाद जब ये हाई अथोरिटी के पास पहुंचा। जांच शुरू हुई कि आखिर फांसी की सजा तीन बार कैसे रुक सकती है। जांच में पता चला कि एक लोहे के टुकड़े की वजह से दरवाजा पूरी तरह से जाम था इसीलिए वो खुला। लेकिन ये किसी चमत्कार से कम नहीं था, मामला ब्रिटिश सरकार तक पहुंचा तो ब्रिटिश सरकार ने जॉन की सजा माफ कर दी। कोर्ट का कहना था कि जॉन ने तीन बार मौत की सजा को महसूस किया है और इतनी सजा उसके लिए काफी है। जॉन ली दुनिया के उन खुशनसीब लोगों में से गिने जाते हैं जो एक दो बार नहीं तीन तीन बार मौत को छूकर टक से वापस आए हैं।

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