प्यार करने की ऐसी सज़ा ना कभी सुनी गई, ना देखी गई। इसे पढ़ने के बाद लोग प्यार करने से डरेंगे

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प्यार करने की ऐसी सज़ा ना कभी सुनी गई, ना देखी गई। इसे पढ़ने के बाद लोग प्यार करने से डरेंगे
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ऊपर जिस बुज़ुर्ग और बीमार महिला की तस्वीर आप देख रहे हैं, वो असल में इतनी हसीन थी कि जो देखता था देखता ही रह जाता था, तो सवाल ये कि आखिर वो इस हालत में कैसे पहुंची? असल में हुआ ये कि उसे प्यार हो गया मगर उसका ये प्यार उसकी मां को मंज़ूर नहीं था।

क्या है पूरी कहानी?

इन्हें खुद की मर्जी के लड़के से प्यार करने की इतनी भयानक सजा मिली कि जो भी इस बारे में सुनता है वो दंग रह जाता है। इस महिला को उसकी मां और भाई ने ही ऐसी यातनाएं दीं जो इतिहास में ना कभी सुनी गई और ना देखी गई। बात थोड़ी पुरानी है लेकिन आज भी इस कहानी को जो सुनता है वो दर्द से भर जाता है। वो साल था 1901, फ्रांस में एक ऐसा केस सामने आया जिसने सबको दहला कर रख दिया। ब्लैंक मोनियर नाम की 25 साल की महिला अपनी खूबसूरती के लिए शहर में काफी मशहूर थीं। ब्लैंक 1876 में एक लड़के से मिलीं जिससे उन्हें प्यार हो गया।

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मां को क्या था एतराज़?

ब्लैंक की मां की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी लिहाज़ा वो उसकी शादी किसी अमीर लड़के से कराना चाहती थी ताकि उसकी बेटी के साथ साथ उसका बुढ़ापा भी सुकून से कट जाए। लेकिन ब्लैंक ने तुरंत इंकार कर दिया। गुस्से में आकर उसकी मां मैडम मोनियर ब्लैंक को घर पर ही एक अंधेरे कमरे में कैद कर दिया जिसमें खिड़की भी नहीं थी। जब ब्लैंक ने चिल्लाना शुरू किया तो पड़ोस के लोग सवाल करने लगे तो ब्लैक की मां ने सबसे बोल दिया कि उनकी बेटी पागल हो चुकी है इसलिए उन्होंने उसे कमरे में बंद कर दिया है। इसके बाद लोगों ने पूछना बंद कर दिया। कुछ वक्त बाद जब ब्लैंक कमजोर होती गईं तो उनकी मां ने सबसे झूठ बोला कि ब्लैंक की मौत हो गई है और इसके बाद उन्होंने बेटी का नकली अंतिम संस्कार भी करवा दिया।

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सूखकर कांटा हो गई ब्लैक!

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धीरे-धीरे ब्लैंक की तबीयत बिगड़ती गई, वो कमजोर होती गईं। उन्हें थोड़ा सा खाना दिया जाता था, ब्लैंक को उसी अंधेरे कमरे में मल-मूत्र त्यागना पड़ता था और रहना पड़ता था। एक भी खिड़की ना होने के कारण कमरे में सूरज की रोशनी भी नहीं आती थी जिसके चलते ब्लैंक का शरीर सूखता जा रहा था। कमरे में चूहे और कीड़े-मकोड़े घूमने लगे थे जो खाने के लिए उनका ही खाना और उनके शरीर को नोचने लगे थे। 25 सालों में वो इतनी कमजोर हो गई थीं कि उनका वजन महज 25 किलो ही रह गया था। धीरे-धीरे वो सच में पागल हो गईं, वो वाक्यों को बोलना ही भूल गईं, वो सिर्फ शब्द बोल पाती थीं मगर पूरा वाक्य नहीं बोल पाती थीं।

कैसे हुआ खुलासा?

एक रिपोर्ट के मुताबिक 23 मई 1901 को पेरिस के अटॉर्नी जर्नल को एक चिट्ठी मिली जिसमें ये लिखा था कि ब्लैंक नाम की महिला को 25 सालों तक उसकी मां मैडम मोनियर ने अपने घर की ऊपर के कमरे में बंद रखा है, शुरुआत में पुलिस को जांच करने में झिझक हुई मगर फिर उन्होंने जांच के लिए कदम आगे बढ़ाया। जब पुलिस उनके घर पहुंची तो उन्हें एक कमरा दिखा जो बंद था। जब उसे तोड़ा गया तो अंदर सूरज की रोशनी जाने लगी, इसके बाद जैसे ही कमरे का दरवाजा खुला वैसे ही उन्हें इतनी बुरी महक आई कि वो वहां ज्यादा देर खड़े ही नहीं रह सके।

इस हालत में मिली ब्लैक!

कमरे में बिना कपड़े पहने एक बेहद दुबली औरत को देखा गया जिसके शरीर के पास चूहे घूम रहे थे, उसके शरीर पर मल और सड़े खाने की गंदगी जम गई थी। वो औरत कुछ भी बोलने में असमर्थ थी, उसी वक्त मैडम मोनियर और बेटे को गिरफ्तार किया गया और ब्लैंक, जो रोशनी में आंखें भी नहीं खोल पा रही थी, तुरंत अस्पताल ले जाया गया। 50 साल की उम्र में उन्हें सुरक्षित तो बचा लिया गया मगर इलाज के बाद उन्हें पागलखाने भेज दिया गया। ब्लैंक 16 साल और जिंदा रहीं और 1913 में पागलखाने में ही उनकी मौत हो गई। दूसरी ओर उनकी मां को जेल हुई और जेल में 15 दिन के ही अंदर उनकी मौत हो गई।

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