10 हज़ार साल बाद फिर लौटेगा महा-जानवर! हाथी जैसा दिखने वाला ये जानवर हाथियों से भी कई गुना बड़ा था

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10 हज़ार साल बाद फिर लौटेगा महा-जानवर! हाथी जैसा दिखने वाला ये जानवर हाथियों से भी कई गुना बड़ा था
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Complete Story of Ancient Mammoth

कैसा था ये विशालकाय जानवर?

10 हज़ार साल पहले उसे धरती निगल गई, लेकिन जब तक वो ज़िंदा रहा धरती पर उसका राज चलता था। उसकी धमक से धरती दहल जाती थी लेकिन अचानक एक दिन वो बर्फीली वादियों में कहीं खो गया। अब 10 हज़ार साल बाद वो वापस आ रहा है, वो जो धरती पर सबसे बलशाली था, जी हां बर्फीली वादियों का बादशाह, जो 10 हज़ार साल पहले बर्फ में कहीं गुम हो गया था, वो फिर से वापस आ रहा है। इसे हाथी समझने की भूल मत कीजिएगा क्योंकि ये सिर्फ दिखते हाथी जैसे थे लेकिन किसी आम हाथी से कहीं ज़्यादा विशाल थे ये। कहीं ज़्यादा भारी थे, इनके दांत घुमावदार थे। इनका सिर ऊंचा और ऊंचाई किसी आम हाथी से बहुत ज़्यादा। इनके एक दिन की खुराक थी करीब ढाई टन सब्ज़ियां, जो इन बर्फीली वादियों में मिलना मुश्किल था लेकिन ये कैसे भी अपनी खुराक का इंतेज़ाम कर ही लेते थे।

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10 हजार साल पहले जब ये इन बर्फीली वादियों से गुज़रते थे, तब जंगल अच्छे अच्छे शिकारी भी अपना रास्ता नापने लगते थे। किसी में इतनी ताकत औऱ जुर्रत नहीं थी कि इन्हें ललकार सकें, इनका मुकाबला कर सकें। क्योंकि अगर इन्हें गुस्सा आता था तो ये धरती पर कोहराम मचा देते थे। इस विशालकाय जानवर का नाम था मैमथ। रशियन भाषा में मैमथ का मतलब होता है, बड़ी बड़ी सींगों वाला भारी और विशाल जानवर। लंबे-लंबे रोएदार बालों वाला ये जानवर आज से 10 हज़ार साल पहले बर्फीली वादियों में कहीं लुप्त हो गया था।

वैज्ञानिक कैसे कर रहे हैं इसके पुनर्जन्म का दावा?

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एक सनसनीखेज़ दावे के मुताबिक सिर्फ 6 साल और, और फिर बर्फीली वादियों में दहाड़ेगा ये विशाल जानवर। इसके पैरों की धमक से फिर से थर्रा उठेगी धरती, लेकिन 10 हज़ार सालों के बाद इस विशाल जानवर के पुनर्जन्म के लिए ज़रूरत है एक भारतीय कोख की। जी हां एक ऐसी कोख जो इस जानवर को जन्म दे सके। वैज्ञानिकों की माने तो लंबे रोएदार बालों वाले इस जानवर के पुनजर्न्म की तैयारी पूरी कर ली गई है, क्लोनिंग के ज़रिए इस विशाल जानवर को महज़ 6 साल के अंदर पुनर्जन्म दिया जाएगा औऱ मैमथ के पुनर्जन्म के लिए वैज्ञानिक किसी भारतीय हाथिनी की कोख का इस्तेमाल करेंगे। मैमथ के पुनर्जन्म के लिए वैज्ञानिकों को भारतीय हथिनी की कोख इसलिए चाहिए ताकि उसके ऐग सेल्स का इस्तेमाल कर के इस विशाल जानवर को पुनर्जन्म दिया जा सके।

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कुछ साल पहले साइबेरिया के पर्माफ्रारट में कुछ रहस्यमयी अवशेष वैज्ञानिकों को मिले थे, ये दुनिया पर पाए जाने वाले एक ऐसे जानवर के अवशेष थे जिससे लोग अंजान थे। लेकिन बरसों की रिसर्च और प्राचीन किताबों के ज़रिए वैज्ञानिक जिस नतीजे पर पहुंचे, उसके मुताबिक साइबेरिया की बर्फीली वादियों में पाए गए ये अवशेष उस मैमथ के थे, जिसे आखिरी बार 10 हज़ार साल पहले देखा गया था। इन अवशेषों को बरसों जांच-परख करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि इस विशाल जानवर को क्लोनिंग के ज़रिए दोबार जन्म दिय़ा जा सकता है, इस महा प्रोजेक्ट के लिए वैज्ञानिकों जिस नई तकनीकि का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसके ज़रिए मैमथ के जीवाष्म से मिले जिनोम से उसकी क्लोनिंग करना आसान हो गया है।

क्या वैज्ञानिकों के दावों में दम है?

जिस रफ्तार में वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, उससे तो ऐसा लग रहा है कि अगर सब कुछ सही रहा तो अगले 6 सालो में ये विशाल मैमथ एक बार फिर से हमारे सामने खड़ा होगा। मैमथ को फिर से जन्म देने का ये काम 90 के दशक से किया जा रहा है, हालांकि कामयाबी अभी तक नहीं मिल पाई थी। लेकिन इस बार वैज्ञानिक इस विशाल जानवर की क्लोनिंग को लेकर काफी उम्मीद से हैं। 90 के दशक में साइबेरिया में मिले मैमथ की त्वाचा और कोशिकाओं को अलग करने में वैज्ञानिकों को सफलता नहीं मिल पाई थी। अत्यधिक सर्दी की वजह से बर्फीली वादियों में मिली कोशिकाएं नष्ट हो गई थीं, लेकिन इस बार साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट में मैमथ के जो अवशेष मिले हैं। वो बेहद सही हालत में हैं और उनकी कोशिकाओं को खोजकर रखा गया है, ताकि उन कोशिकाओं के ज़रिए डीएनए निकाला जा सके। वैज्ञानिकों के मुताबिक इन अवशेषों से जो डीएनए निकलेगा उन्हें भारतीय हथनियों की प्रजनन कोशिकाओं से मिलाया जाएगा। जिससे बने भ्रूण को हथिनी के गर्भाषय में डाला जाएगा और फिर पैदा होगा ये विशालकाय जानवर।

कैसा दिखता था मैमथ?

वैज्ञानिकों के मुताबिक क्लोनिंग के ज़रिए मैमथ की पुनर्जन्म की इस सारी प्रक्रिया में कम से कम 6 सालों का वक़्त लग जाएगा और इस प्रोजेक्ट में सफलता की उम्मीद करीब 50 फीसदी ही है। अब सवाल ये है कि आखिर मैमथ थे कौन? कैसा था 10 हज़ार साल पुराना ये ऐतिहासिक जानवर जिसे दुनिया महा-हाथी कहती थी। मैमथ कहां पाए जाते थे, कैसे दिखते थे, क्या खाते थे? ये वो सवाल हैं जो मैमथ के पुनर्जन्म की खबर आने के बाद अब दुनिया जानना चाहती है। उन सवालों का जवाब हम आपको बताते हैं,

ऊंचा कद, लंबे रोएदार बाल औऱ राक्षसों जैसे नुकीलें दांत। साइबेरिया की बर्फीली पहाड़ियों में 14 हज़ार साल पहले मैमथ के यही रोएदार उन्हें इस मौसम में यहां ज़िंदा रहने में मदद करते थे। और इन्ही नुकीले और लंबें दांतों से मैमथ शिकारियों से अपनी सुरक्षा करते थे। धरती पर हिमयुग के दौरान मैमथ की काफी तादाद थी, वैज्ञानिकों के मुताबिक ज्यादातर मैमथों का घर रूस के सबसे ठंडे माने जाने वाले साइबेरिया में ही था। यहीं से मैमथ पूरे यूरोप में घूमा करते थे। देखने में ये जानवर हूबहू हाथी के जैसा था, लेकिन इनके सिर और दांतों की बनावट हाथी से अलग थी। हाथी का सिर मैमथ के सिर से ज्यादा बड़ा होता है, लेकिन मैमथ के कान हाथी के कानों से काफी छोटे होते थे। हाथी मैमथ की तरह से पीछे की तरफ छुका हुआ नहीं होता है, हाथी की बनिस्बत मैमथ के शरीर पर काफी बाल होते थे। मैमथ की ऊंचाई करीब 10 से 16 फीट हुआ करती थी, जिसकी वजह से इनका वज़न काफी होता था। वैज्ञानिकों के मुताबिक मैमथ का औसतन वज़न करीब 12 टन होता था। इसके अलावा मैमथ भी हाथी की तरह ही शाकाहारी होते थे।

मैमथ की कितनी प्रजातियां थीं?

मैमथ को लेकर अभी तक जितने शोध हुए हैं उनके मुताबिक हिमयुग तक मैमथ की करीब 11 प्रजातियां के प्रमाण मिले हैं। कोलंबिया में पाए जाने वाले मैमथ को मैमूथुस कोलंबी कहा जाता था, जबकि साउथ अफ्रीका में रहने वाले मैमथ को मैमूथुस सबप्लानीफ्रान्स कहते थे। जिन मैमथ के शरीर पर बहुत ज्यादा रोएदार बाल होते थे उन्हें प्रीमीजिनियस मैमूथुस औऱ ऊंचाई में जो मैमथ छोटे होते थे उन्हें पिग्मी मैमथ कहा जाता था। इसके अलावा ऊंचे कद वाले रोबीले मैमथ को इम्परियल मैमथ कहा जाता था, मैदान में रहने वाले मैमथ को स्टेपी मैमथ, आखिर में मैमथ की कुछ प्रजातियां हैं जिनके अस्तित्व की बातें वैज्ञानिक करते हैं। ये प्रजातियां हैं, मैमूथुस मेरीडियोनेलिस, मैमूथुस लैमरमोराए, मैमूथुस जैफरसोनी, मैमूथुस सोंगारी हैं।

अमेरिका में करीब 1400 हज़ार साल पहले इन विशालकाय हाथियों की एक बड़ी आबादी रहती थी, जो शाकाहारी थे लेकिन 2,000 साल बाद इनमें से 114 से अधिक प्रजातियों के 80 फीसदी जानवर समाप्त हो गए। हालांकि वैज्ञानिकों की में इस बात को लेकर एकमता नहीं हैं कि मैमथ की कुल कितनी प्रजातियां थी। गुस्से के मामले में ये कुछ कुछ हाथियों जैसे ही थे, स्वभाव से शांत दिखने वाला ये जानवर जब गुस्से में आता था तो धरती पर कोहराम मचा देता था। हालांकि मैमथ धरती के लिए मददगार ही साबित होते थे, 13 हजार साल पहले धरती को गर्म रखने में मैमथ का काफी योगदान था। मैमथ वातावरण में मीथेन भर कर वातावरण को गर्म रखते थे। मैमथ तमाम दूसरे स्तनधारियों करीब 95 लाख टन मीथेन प्रति वर्ष पैदा करते थे।

अचानक कैसे गायब हो गए मैमथ?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर विशाल जानवर मैमथ हिमयुग के बाद अचानक गायब कैसे हो गया? क्या इसे इंसानों ने मार दिया या बर्फ इनके लिए कब्रगाह साबित हुई। वैज्ञानिकों के मुताबिक भारी बालों वाले वूली मैमथ वो प्रजाति थी जिसे आखिरी बार देखा गया था, ये सबसे ज्यादा आबादी वाली मैमथ नार्थ अमेरिका और यूरेशिया में पाए जाते थे। लेकिन वैज्ञानिक बताते हैं कि जिस आखिरी वूली मैमथ को 12 हज़ार साल पहले देखा गया वो सर्बिया के बर्फीले इलाकों में था, इसके अलावा नार्थ अमेरिका के बर्फीले इलाके में कोलंबियन मैमथ भी काफी तादाद में पाए जाते थे। वैज्ञानिकों के मुताबिक कोलंबियन मैमथ की पूरी प्रजाति एक बड़े हिमस्खलन में बर्फ के नीचे दब कर खत्म हो गई।

हालांकि अलास्का में भी 10 हज़ार साल पहले मैमथ को देखने के कुछ दावे किए गए लेकिन इसके कोई पुख्ता प्रमाण मिलते नहीं हैं, 48 लाख साल से लेकर साढ़े चार हज़ार साल पहले तक कई युग गुज़रे और हर युग में मैमथ के होने की बात वैज्ञानिक कहते आए हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमयुग से पहले तक मैमथ की सौ से ज़्यादा प्रजातियां थी, जो हिमयुग के बाद अचानक ही लुप्त हो गईं और बरसो से मैमथ के खत्म होने के पीछे इंसानों को जिम्मेदार ठहराया गया।

क्या इंसानों ने ख़त्म कर दी मैमथ की प्रजाती?

माना जाता था करीब 21 हजार साल पहले अंतिम हिमयुग के बाद इस विशालकाय जानवर की प्रजाती के खात्मे के पीछे इंसानों की अहम भूमिका थी। अपने फायदे और सुरक्षा को वजह बनाकर इंसानों ने इन्हें एक एक करके मार डाला। हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि भले इंसान धरती पर अपना दबदबा कायम करने के लिए मैमथ के खात्मे का इल्ज़ाम लगता रहा हो, लेकिन हकीकत तो ये है कि उस समय इंसान के पास ऐसे कोई तकनीक नहीं थी जिससे इतनी तादाद में इंसान मैमथ की हत्या कर सके। इंसान पर लगे इन आरोपों के खारिज होने की दूसरी वजह ये भी है कि कभी भी मैमथ का इतना विस्तार नहीं था जिससे इंसानों को खतरा हो, मैमथ के कुछ फासिल से उनके शिकार के पीछे इंसान के होने के साक्ष्य मिलते हैं लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं निकाला जा सकता कि इनकी प्रजाति के खात्में के पीछे इंसान है।

क्या हिमयुग ने लील लिया मैमथ को?

अमेरिका में करीब साढे 13 हज़ार साल पहले इस विशालकाय जानवर की एक बड़ी आबादी रहती थी, लेकिन 2,000 साल बाद इनमें से 114 से अधिक प्रजातियों के 80 फीसदी मैमथ खत्म हो गए। बहरहाल वैज्ञानिक में इस बात को लेकर सहमति नहीं हैं कि इन प्रजातियों के खात्मे की वजह शिकार है। वैज्ञानिकों की नई रिसर्च की मानें तो मैमथ के खात्मे के पीछे वजह इंसान नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन था। रिसर्च इसी बात की तस्दीक करती है कि टेम्प्रेचर बढ़ने से ही मैमथों की मौत हुई, कभी यूरेशिया और उत्तर अमेरिका में बड़े-बडे़ झुंडों में घूमने वाले इन मैमथ हिमयुग के खत्म होने तक धरती से गायब हो चुके थे। करीब साढ़े छह करोड़ साल पहले जुरासिक काल में धरती पर चलते भारी-भरकम डायनासौरों की मौत के लिए भी जलवायु परिवर्तन को ही जिम्मेदार माना जाता है। जलवायु परिवर्तन के चलते एशिया और उत्तरी अमेरिका के घास के मैदान स्टेपीज और प्रेयरीज सिकुड़ रहे थे। इनकी जगह जंगलों का एरिया बड़ा हो रहा था, फैलते जंगलों की वजह से मैमथ को रहने में तकलीफ हो रही थी। दिनभर में ढ़ाई सौ किलो सब्ज़ियां खाने वाले मैमथों के लिए बर्फीली वादियों में बदलते मौसम की वजह से अपने लिए खाने का इंतेज़ाम कर पाना मुश्किल हो गया था।

क्या भौगोलिक घटना बनी मैमथ के ख़ात्मे का कारण?

वैज्ञानिकों के मुताबिक मिट्टी में मौजूद महीन हीरे इस बात का सबूत हैं कि करीब 13,000 साल पहले धरती से आग के गोले नुमा कॉमेट टकराए थे, आकाश में हुई इस टक्कर की वजह से जानवरों की कई प्रजातियां खत्म हो गईं थी। इनमें मैमथ भी शामिल थे, इसी भौगोलिक घटना की बदौलत हिमयुग की शुरूवात हई जो 1,300 साल तक रहा और इस तरह हाथी जैसे दिखने वाला ये विशाल जानवर डायनासोर की तरह खत्म हो गया।

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