SSC Scam: क्या है बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला? क्यों आया पार्थ और अर्पिता का नाम इस घोटाले में ?

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SSC Scam: क्या है बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला? क्यों आया पार्थ और अर्पिता का नाम इस घोटाले में ?
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SSC Scam Update: पश्चिम बंगाल में ममता सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता के पास इतना रुपया कहां से आया ? इस घोटाला का इतना लेट क्यों पता चला ? क्या कोई था , जो इन्हें बचा रहा था, पर क्यों ? इनता कैश घर में क्यों रखा था ? क्या इस मामले में कोई साजिश है ? इन सब सवालों से पहले शिक्षक भर्ती घोटाला क्या है, ये जानना जरूरी है।

क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला ?

यह घोटाला 2014 का है। तब पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (SSC) ने पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। यह भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी। उस वक्त पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे। इस मामले में गड़बड़ी की कई शिकायतें कोलकाता हाईकोर्ट में दाखिल हुई थीं।

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याचिकाकर्ताओं के आरोप

1. जिन उम्मीदवारों के नंबर कम थे उन्हें मेरिट लिस्ट में ऊपर स्थान मिला है।

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2. कुछ उम्मीदवारों का मेरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी उन्हें नौकरी दे दी गई।

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3. कुछ ऐसे भी उम्मीदवारों को भी नौकरी दी गई, जिन्होंने टीईटी परीक्षा भी पास नहीं की थी, जबकि राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी की परीक्षा पास होना अनिवार्य है।

इसी तरह से राज्य में 2016 में एसएससी द्वारा ग्रुप डी की 13000 भर्ती के मामले में शिकायतें मिली थीं।

... जब हाईकोर्ट ने दिए थे सीबीआई जांच के आदेश

हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

मनी ट्रेल की जांच के लिए ईडी ने शूरू की अपनी जांच

इसके बाद ईडी ने शिक्षक भर्ती और कर्मचारियों की भर्ती के मालमे में मनी ट्रेल की जांच शुरू की थी। सीबीआई ने इस मामले में 18 मई को पार्थ चटर्जी से पूछताछ भी की थी।

ED ने बैंक एकाउंट और अन्य दस्तावेजों का विश्लेषण किया

ईडी ने इस मामले में साल 2022 मई में जांच शुरू की। दोनों के बैंक account खंगाले गए। इनकी Properties डिटेल निकाली गई। करीब दो महीने तक दोनों से संबंधित तमाम दस्तावेज इकट्ठा किए गए। ईडी ने 22 जुलाई को पार्थ चटर्जी के ठिकानों समेत 14 जगहों पर छापेमारी की। पार्थ चटर्जी के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान ईडी को अर्पिता मुखर्जी की प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले थे।

इस वजह से अर्पिता का नाम आया सामने

इसके बाद ईडी के रडार पर अर्पिता मुखर्जी आ गईं। जब ईडी ने अर्पिता के फ्लैट पर छापा मारा तो करीब 21 करोड़ रुपए कैश, 60 लाख की विदेशी करेंसी, 20 फोन और अन्य दस्तावेज मिले। अर्पिता एक मॉडल हैं। वे बंगला और ओडिशा फिल्मों में छोटे मोटे रोल करती रही हैं। इतना ही नहीं अर्पिता पार्थ चटर्जी की दुर्गा पूजा में ब्रांड एंबेसडर रही हैं।

अब सवाल ये उठता है कि पार्थ की करीबी अर्पिता के पास इतने रुपए कहां से आए ?

वो ऐसे कौन सा व्यापार कर रही थी, जिसमें इतनी आमदनी होती है ?

क्या ये रुपए पार्थ के है ?

क्या ये रिश्वत की कमाई है ?

या पैसे से पैसा बनाया गया है ?

सारी properties किस किस से जुड़ी हुई है ?

सारा सोना किसका है ?

इतने दिनों से गोरखधंधा हो रहा था तो इतनी लेट कार्रवाई क्यों हुई ? ये एक दिन की कमाई तो नहीं है।

इसके बाद ईडी ने बुधवार को अर्पिता के दूसरे ठिकानों पर छापा मारा। ईडी को अर्पिता के घर से 27.9 करोड़ रुपए कैश मिला है। ईडी को 4.31 करोड़ रुपए का गोल्ड मिला है। इससे पहले 21 करोड़ कैश मिला था।

मंत्री, अफसर और दलाल सब शामिल

ईडी ने इस मामले में अब तक पार्थ चटर्जी, अर्पिता मुखर्जी, टीएमसी विधायक मणिक भट्टाचार्य से पूछताछ की है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के शिक्षा सचिव मनीष जैन से भी सीबीआई ने हाल ही में पूछताछ की थी। इस मामले में राज्य के एक और मंत्री परेश अधिकारी से भी पूछताछ हुई थी। इतना ही नहीं उनकी बेटी की टीचर की नौकरी भी चली गई। आरोप है कि अंकिता अधिकारी को नियमों को तांक पर रखकर नौकरी दी गई।

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