काला सागर को 'लाल' करने की तैयारी में पुतिन, युक्रेन को घेरने के लिए रूस ने उतारे छह युद्धपोत
ESCALATING THREAT OF KYIV, RUSSIA PUTIN, WAR ZONE, EUROPE UNDER THREAT Russia’s military buildup, यूक्रेन चारो तरफ से घिरा, काला सागर में रूस के युद्धपोत, LATEST WAR NEWS, CONFICT NEWS, WAR UPDATE
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तीन तरफ से पूरी तरह घिर चुका युक्रेन
WAR ZONE: युक्रेन तीन तरफ से घिर चुका है। रूस के बॉर्डर पर रूसी सेना डेरा डाले बैठी है। बेलारूस से लगी सीमा को भी रूस के सैनिकों ने छावनी में तब्दील कर दिया है जबकि डोनबास में रूसी सेना की कदमताल लगातार हो रही है। तीन तरफ से पूरी तरह से घेरने के बाद अब रूसी सेना ने काला सागर में अपने बेड़े को आगे बढ़ने के हुक्म दिया है।
खबर मिली है कि रूस की नेवी के छह युद्ध पोत काला सागर में युक्रेन के सबसे नज़दीक अब अपना सैन्य अभ्यास करने के लिए समंदर की लहरों को चीरते हुए आगे बढ़ने लगे हैं। और इस काला सागर में रूस के युद्धपोत के आ जाने के बाद युक्रेन चारो तरफ से रूसी सेना से पूरी तरह से घिर जाएगा।
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काला सागर में रूसी युद्धपोत
WAR ZONE NEWS: काला सागर के पानी पर कितने दिनों तक आग बरसेगी और युक्रेन की जल सीमा के इतने नज़दीक रूस के नौसैनिक कितने दिनों तक अपनी ताक़त और युद्धकला की नुमाइश करेंगे, ये तो अभी तक साफ नहीं हो सका है, अलबत्ता अब रूस की सेना के ताज़ा मूवमेंट को देखकर दुनिया ये अनुमान ज़रूर लगाने में जुट गई है कि हमला होने की सूरत में मामूली सैन्य क्षमताओं वाला युक्रेन रूस के इस चक्रव्यूह और ताक़तवर सेना के सामने कितने दिन तक टिक पाएगा।
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युक्रेन के साथ जब से ये झगड़ा शुरु हुआ और बवाल बढ़ने लगा तो उन्हीं शुरुआती दिनों से ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों और नाटो देशों को आगाह कर चुके हैं कि युक्रेन की तरफदारी करते समय ये बात भी ध्यान में रखी जानी चाहिए कि हथियारों के लिहाज से रूस दुनिया की सबसे बड़ी ताक़त है।
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यूरोप के देशों को पुतिन की धमकी
WAR ZONE NEWS IN HINDI: फिर चाहें वो सामान्य सैन्य हथियार हों या फिर परमाणु हथियार। रूस की सेना भी दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है। और इस समय रूस की सेना का कोई भी सैनिक बैरक में नहीं है। रूस लगातार युक्रेन के ख़िलाफ जंग का माहौल बनाए हुए है।
उधर रूस और युक्रेन के बीच जंग न हो और ये हालात किसी भी सूरत में टल सकें, इसके लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रॉं लगातार कोशिश कर रहे हैं। वो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के अलावा युक्रेन के राष्ट्रपति से भी मुलाक़ात कर चुके हैं।
फ्रांस ने फैलाया बातचीत का दायरा
RUSSIA UKRAINE CONFLICT: मैक्रॉ तो राष्ट्रपति पुतिन को यहां तक समझा चुके हैं कि उनका इस जंग से दूर हटना क्यों ज़रूरी है। इमैनुअल मैक्रों लगातार यही अपील कर रहे हैं कि किसी भी सूरत में शांति भंग नहीं होनी चाहिए। मैक्रॉ ये बात अच्छी तरह जानते हैं कि अगर रूस ने जंग छेड़ दी तो फिर उसके फैलने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि एक के बाद एक कई देश इस जंग में कूद पड़ेंगे।
जिसमें कुछ हो या न हो, इंसानियत ज़रूर शर्मसार हो जाएगी। और सबसे ज़्यादा खून ख़राबा के अलावा अरबों खरबों का आर्थिक नुकसान होगा। जिसकी भरपाई करना क़रीब क़रीब नामुमकिन होगा।
अपने इसी शांति के पैग़ाम के साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रॉं बर्लिन पहुँच गए हैं। वहां मैक्रॉ ने जर्मनी के चांसलर ओलफ शुल्ज़ से मुलाक़ात की। बर्लिन में मैक्रॉं ने जर्मनी के चांसलर और पोलैंड के राष्ट्रपति की मौजूदगी में कहा कि हमारी पहली कोशिश यही होनी चाहिए कि जैसे भी हो यूरोप के आसमान पर छाए युद्ध के ये ख़तरनाक बादलों का छंटना बेहद ज़रूरी है। और इसके लिए हमें मिलकर ही काम करना होगा।
तो ये है पुतिन की ज़िद
RUSSIA FORCE ON WAR: नाटो देशों के दो सबसे महत्वपूर्ण देश हैं फ्रांस और जर्मनी। और दोनों ही देशों की यही कोशिश है कि रूस और युक्रेन के बीच जमी बर्फ किसी तरह पूरी पिघल जाए। किसी भी सूरत में युद्घ नहीं होना चाहिए।
मैक्रॉं तमाम दलीलों और तर्कों के जरिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को जंग के ख़तरों के बारे में समझाने की कोशिश कर चुके हैं और पुतिन भी मैक्रों की बातों को समझ गए हैं, बावजूद इसके अभी तक पुतिन की तरफ से कोई ऐसा आश्वासन किसी को नहीं मिला है कि वो युक्रेन के ख़िलाफ चढ़ाई नहीं करेंगे।
व्लादिमिर पुतिन की एक ही शर्त है, और वो ये कि युक्रेन को नाटो में शामिल न तो किया जाए और न ही नाटो की तरफ से कोई ऐसा वायदा भी किया जाए जिसमें आगे चलकर युक्रेन को नाटो की सदस्यता दी जानी हो। अगर नाटो देशों से रूस को ये भरोसा मिल जाता है तो रूस अपनी सेनाओं के बढ़ते हुए कदमों को न सिर्फ रोक सकता है बल्कि उन्हें वापस बैरक की तरफ भी मोड़ देगा।
नाटो नहीं दे रहा रूस को भरोसा
RUSSIA UKRAINE ROW: पुतिन की इस ज़िद को देखने के बावजूद अमेरिका के नेतृत्व वाला नाटो रूस को किसी भी तरह का आश्वासन देने को राजी नहीं है। रूस और युक्रेन के बीच तनातनी को दूर करने की कोशिश में जर्मनी के चांसलर हाल ही में अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाक़ात करके लौटे हैं।
और अब उनकी अगली यात्रा मॉस्को की होनी है। मुमकिन है कि अगले हफ्ते ही ओलफ शुल्ज़ मॉस्को में व्लादिमिर पुतिन से मुलाक़ात करेंगे। इस बीच बुधवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पोलैंड पहुँचे और वहां उन्होंने इंग्लिश सैनिकों से मुलाक़ात की जो नाटो की तरफ से इस मोर्चाबंदी में तैनात हैं।
प्राकृतिक गैस का किया अमेरिका ने जुगाड़
WAR ZONE:नाटो के महासचिव ने आशंका जाहिर की है कि जैसे जैसे वक़्त गुज़रता जा रहा है रूस का युक्रेन पर हमला करने का ख़तरा बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने ये भी चिंता ज़ाहिर की है कि हमला होने की सूरत में रूस से जो प्राकृतिक गैस की आपूर्ति यूरोप को हो रही है उसमें रुकावट पैदा हो सकती है, जिससे यूरोप की बड़ी आबादी की दुश्वारियां बढ़ सकती हैं।
उधर अमेरिका ने रूस की धमकियों और उसकी धौंस के साथ साथ पुतिन का गुरूर कम करने का नया जुगाड़ ढूढ़ निकाला है। अमेरिका ने जापान से बात शुरू कर दी है और इस बात के लिए मना भी लिया है कि जापान प्राकृतिक गैस की आपूर्ति यूरोप को करे, जिससे यूरोप का डर कम हो सके और पुतिन की दादागीरी भी।
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