अमीरों का लुटेरा और गरीबों का मसीहा कहे जाने वाले असली रॉबिनहुड की ये कहानी जरूर जानिए

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अमीरों का लुटेरा और गरीबों का मसीहा कहे जाने वाले असली रॉबिनहुड की ये कहानी जरूर जानिए
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RobinHood Biography in Hindi : फिल्म दबंग (Dabang) का एक मशहूर डायलॉग है; हम यहां के रॉबिन हुड हैं, नाम है रॉबिन हुड पांडे. ये डायलॉग तो आपने सुना ही होगा. कई बार न्यूज़ में रॉबिनहुड का नाम भी पढ़ा होगा.

दरअसल, अमीरों से पैसे लूटकर गरीबों में बांटने वाले की तुलना रॉबिनहुड से करते हैं. आमतौर पर ज्यादातर लोग रॉबिनहुड के बारे में बस यही जानते हैं कि अमीरों से लूटकर गरीबों की मदद करने वाले को रॉबिनहुड कहते हैं. लेकिन रॉबिन हुड (Robinhood) की पूरी कहानी बहुत कम लोग ही जानते हैं. रॉबिनहुड कौन था? आज पूरी कहानी जानेंगे...

रॉबिन हुड (Robin Hood), इस नाम की शुरुआत होती है इंग्लैंड के मध्यकालीन इतिहास से. उस दौर में इंग्लैंड के अमीर लोग गरीबों पर ज़ुल्म ढाने लगे. जमींदार जैसे लोग गरीबों पर अत्याचार की हदें पार करने लगे थे.

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ऐसे में अचानक एक मददगार आया. वो अमीरों से लूटपाट करता था और गरीबों में बांट देता था. गरीबों को परेशान करने वालों से बदला लेता था. असल में कहा जाता है कि रॉबिनहुड जब छोटा था तभी कुछ अमीरों ने उसे काफी परेशान किया था, इस वजह से वह उनसे चिढ़ने लगा था. इसलिए जब बड़ा हुआ तब अमीरों के लिए लुटेरा और गरीबों के लिए मसीहा बन गया.

रॉबिन हुड के बारे में जितने लोगों ने जानकारियां एकत्र की थी उन्हें बताया गया कि उसके बारे में ज्यादा तो नहीं जानते, लेकिन वह उनके लिए भगवान जैसा था. उसने उनके दर्द को खत्म कर दिया. वो हमारे हक़ की लड़ाई लड़ता था. लेकिन इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वो कहां से आया था और माता-पिता कौन थे.

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इस बारे में सबसे अहम जानकारी मिलती है लेखक विलियम लैंगलैंड (William Langland) से. इनकी किताब The vision of Piers Plowman में पहली बार रॉबिनहुड का जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि रॉबिनहुड शेरवुड के जंगल में रहता था. ये एरिया इंग्लैंड के नॉटिंघम में आता है.

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कब जन्म हुआ था रॉबिनहुड का

रॉबिन हुड की जन्मतिथी को लेकर कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिले हैं. लेकिन पहली बार ये पता चला था कि साल 1377 में इंग्लैंड के शेरवुड जंगल में रॉबिनहुड की जानकारी मिली थी. वहीं, ब्रिटिश म्यूजियम के एक दस्तावेज में रॉबिनहुड के साल 1160 में साउथ यार्कशायर में जन्म होने का दावा किया गया है.

दरअसल, ये कहा जाता है कि अलग-अलग समय पर कई रॉबिनहुड थे. इसकी वजह ये बताई जाती है कि जब भी कहीं कोई अमीर वहां के गरीबों को सताता था या फिर परेशान करता था तब कोई खुद को रॉबिनहुड कहने लगता था. इसके बाद वो अमीरों को लूटकर गरीबों की मदद करता था. इसी वजह से अलग-अलग समय पर कई रॉबिनहुड होने के दस्तावेज मिलते हैं.

लेकिन जिस असली रॉबिनहुड की हम बात कर रहे हैं, उसके बारे में कहा जाता है कि.. वो तीरंदाजी में बिल्कुल हमारे देश के अर्जुन की तरह था. ऐसा जुनूनी की मरते वक़्त भी उसकी आखिरी ख्वाहिश तीर चलाने की ही थी. इसलिए रॉबिन हुड ने अपनी मौत से पहले एक आखिरी तीर चलाया था. वो तीर जिस जगह पर गिरा उसी जगह पर रॉबिन हुड को दफ़नाया गया था.

Robinhood ki Kahani : अब तक 20 से ज्यादा फिल्में बन चुकीं

Robin Hood : रॉबिनहुड नाम एक, किरदार अनेक. अंग्रेजों के देश इंग्लैंड में रॉबिन हुड काफी प्रचलित नाम है. इस नाम पर ब्रिटेन में एक गुफा है. जिसका नाम है रॉबिन हुड गुफा (Robin Hood Cave). रॉबिन हुड स्तूप और एक खाड़ी भी है. जिसका नाम है Robin Hood’s Bay. इस तरह कई स्थानों पर रॉबिन हुड एक खास नाम है.

लेकिन रॉबिन हुड का जन्म कब हुआ था? माता-पिता कौन थे? इस बारे में आजतक कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है. मगर इतना जरूर है कि रॉबिन हुड पर अब तक 20 से ज्यादा फिल्में, डॉक्युमेंट्री और नाटक तैयार किया जा चुके हैं. कई रिसर्च पेपर आ चुके हैं.

कुछ रिपोर्ट में ये कहा गया कि साल 1160 में रॉबिनहुड का जन्म हुआ था. हालांकि, इसके माता-पिता कौन थे. इसका कोई प्रमाण नहीं मिला. इसलिए ये कहानी भी अधूरी रह गई. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि ब्रिटेन के यार्कशायर कोर्ट रजिस्टर में वर्ष 1226 में रॉबिन हुड का नाम आया था.

इस रजिस्टर में रॉबिन हुड को भगोड़ा घोषित किया गया था. इसके अलावा भी कई बार रॉबिन हुड के नाम सामने आए. इसलिए ज्यादातर स्कॉलर ये मानते हैं कि रॉबिन हुड कोई एक व्यक्ति नहीं था. बल्कि अलग-अलग समय पर लोग अपना नाम रॉबिन हुड रख लेते थे. इसलिए रॉबिन हुड नाम को लेकर आजतक कन्फ्यूज बरकरार है. लेकिन, इस खबर से हर कन्फ्यूजन दूर हो जाएगी. रॉबिन हुड की असली कहानी की शुरुआत ऐसे होती है.

तीरंदाजी में थी महारत, ऐसे बना गरीबों की आवाज़

रॉबिनहुड का नाम पूरी दुनिया में आने की वजह के बारे में बताया जाता है कि वो आम लोगों के लिए भगवान के रूप में आया था. इसलिए वो कमजोर लोगों का मसीहा बन गया. गरीबों पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ खुलकर आवाज उठाता था.

बिना किसी के सहारे ही वो अकेले लड़ाई लड़ता था. इसमें उसका हथियार बनते थे तीर और धनुष. जिसे वो हमेशा अपने पास रखता था. यही वजह है कि अब तक की सबसे प्रचलित फोटो में रॉबिन हुड को तीर-धनुष के साथ ही दिखाया गया है.

रॉबिन हुड की दुश्मनी ऐसे अमीरों से थी, जो लोगों को ठग कर पैसा लूट लेते थे. दरअसल, उस ज़माने में एक ऐसा वर्ग था जिसके पास बहुत ज्यादा पैसे और पावर दोनों था. जबकि दूसरा वर्ग गरीब और असहाय था.

इसलिए अमीर लोग किसी न किसी बहाने गरीबों से ना सिर्फ काम कराते थे बल्कि पैसे भी वसूल लेते थे. ऐसे में ये तबका काफी परेशान था. उसी दौरान तीर-कमान लेकर रॉबिन हुड गरीबों की आवाज बन गया.

गरीबों से पैसे लूटने वाले अमीरों से रॉबिन हुड बदला लेता था. उन्हें मारता था, धमकाता था और फिर पैसे लूट लेता था. इन पैसों को वो अपने पास की कभी नहीं रखता था. बल्कि उसे उन्हीं गरीबों को लौटा देता था. इस तरह रॉबिनहुड रातों-रात गरीबों का मसीहा बन गया था. ऐसा कहा जाता है कि वो कब आता और कब चला जाता था, इसकी किसी को भनक भी नहीं लगती थी.

...लेकिन ये रॉबिन हुड को मानते थे खूंखार डकैत

रॉबिन हुड कई बार भेष बदलकर लोगों के बीच जाता था और उनकी परेशानियां सुनता था. इसके बाद असहाय लोगों की मदद करने के लिए अमीरों से दुश्मनी कर लेता था. लेकिन उसके तेवर के आगे किसी की हिम्मत नहीं हो पाती थी.

हर किसी में ये डर बन गया था कि अगर वो गलत काम करेगा तो रॉबिन हुड आ जाएगा. इसलिए अमीर लोग पैसे को छुपाकर रखते थे. इन्हें डर था कि रॉबिन हुड कब आ जाए और उनकी दौलत को लूट ले जाए. इसी कारण ये खास वर्ग रॉबिनहुड को सीधे तौर पर डाकू कहता था.

नन्हें दोस्त के साथ महिलाओं के लिए भी था फरिश्ता

ऐसा कहा जाता है कि रॉबिन हुड महिलाओं की इज्जत के लिए कुछ भी कर सकता था. किसी पर होने वाले जुल्म को एक बार वो नजरअंदाज भी कर सकता था लेकिन महिलाओं पर हुए किसी तरह के सितम का बदला वो चुन-चुनकर लेता था. इतना सबकुछ वो एक नन्हें बालक के साथ करता था.

उस बालक का नाम था ‘लिटिल जॉन’. यही वो बालक था जो रॉबिन का सबसे खास था. ऐसा कहा जाता है कि लिटिल जॉन छोटी उम्र से ही रॉबिनहुड के साथ आ गया था. एक वक्त आया जब रॉबिनहुड लिटिल जॉन को साथ लेकर अपनी लड़ाई लड़ता था. इसमें वो भी काफी मदद करता था.

बाहुबली फिल्म की तरह थी रॉबिनहुड के प्यार की कहानी

फिल्म बाहुबली में जिस तरह से तीरंदाजी के दौरान प्यार की कहानी दिखाई गई है. ठीक वैसे ही रॉबिनहुड के प्यार की कहानी भी है. ऐसा कहा जाता है कि रॉबिनहुड एक दिन जगंल से गुजर रहे थे तभी उनकी नजर एक लड़की पर गई. वो लड़की तीरंदाजी कर रही थी.

उसका निशाना काफी सटीक था. ये देख रॉबिनहुड ने उससे बात करनी शुरू की. तब पता चला कि उसका नाम मैरिएन था. दोनों के तीरंदाजी के शौक ने एक दूसरे के करीब ला दिया. इसके बाद दोनों में प्यार हो गया. इस तरह रॉबिन हुड की जिंदगी में लिटिल जॉन के बाद मैरियन की एंट्री हो जाती है.

मौत से पहले चलाया तीर, जहां तीर लगा वहीं हुआ दफ़न

रॉबिन हुड की मौत को लेकर काफी सस्पेंस है. कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन फिर भी सबसे ज्यादा मान्यता यही है कि उसकी मौत किसी बीमारी से हुई थी. लेकिन बीमारी क्या थी, इसकी कोई जानकारी नहीं है. उस समय रॉबिन हुड की बीमारी का इलाज करने के लिए वैद्य आए थे. वैद्य ने इलाज भी किया लेकिन ठीक नहीं कर पाए. और धीरे-धीरे रॉबिन हुड की तबीयत बिगड़ती गई.

आखिरी वक्त में रॉबिन हुड अपने सबसे करीबी लिटिल जॉन के सामने मरना नहीं चाहता था. इसलिए थोड़ी देर के लिए जंगल में भेज दिया था. लेकिन कुछ देर बाद मन नहीं माना. तो रॉबिन हुड ने भोंपू बजाकर लिटिल जॉन को अपने पास बुला लिया. फिर जॉन से तीर और धनुष मंगाया. आखिरी सांस लेते हुए रॉबिनहुड ने तीर चलाया. और इसके कुछ देर बाद ही दम तोड़ दिया था.

कहा जाता है कि रॉबिन हुड का आखिरी तीर जिस जगह पर गिरा था उसी जगह पर दफन किया गया था. इस तरह रॉबिन हुड का अंत तो हुआ लेकिन आज भी वो पूरी दुनिया के दिलों में जिंदा है. तभी तो गरीबों के पक्ष में आवाज उठाने वालों के लिए बॉलिवुड फिल्मों और अखबार के पन्नों पर रॉबिन हुड की संज्ञा दे दी जाती है.

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