यूक्रेन के ज़रिए यूरोप में परमाणु संकट का सच! क्यों दुनिया को डरा रही है यूक्रेन की ये बातें?

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यूक्रेन के ज़रिए यूरोप में परमाणु संकट का सच! क्यों दुनिया को डरा रही है यूक्रेन की ये बातें?
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आज से करीब एक महीने पहले यानी 24 फरवरी को जब रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला तो उसके बाद रूसी सेना ने चेरनोबिल के इलाकों में भारी बमबारी की। एनरगोआटम के मुताबिक हमले के बाद चेरनोबिल परमाणु क्षेत्र में फायर-फाइटिंग और निगरानी ना होने की वजह से प्लांट के आस-पास के जंगलों में 30 किमी के जोन में रेडिएशन लेवल की निगरानी नहीं हो पा रही है। इसने कहा, एक्सक्लूजन जोन में रेडिएशन की मौजूदा हालत पर कोई जानकारी नहीं है। जिसकी वजह से खतरों से निपटना मुश्किल हो सकता है।

ऐसे खतरे के बीच गर्मियों के मौसम में लगने वाली मौसमी जंगल की आग खतरनाक हो सकती है, क्योंकि इलाके की फायर-फाइटिंग सेवा काम नहीं कर रही है। अगर यहां से ये खतरा बढ़ा तो वो सिर्फ यहां तक नहीं रहेगा बल्कि यूरोप तक फैलेगा। आपको बता दें कि रूस के कब्जे और रूसी सेना की मौजूदगी के बाद भी यूक्रेन के कर्मचारी चेरनोबिल प्लांट पर काम कर रहे थे। वहीं, चेरनोबिल प्लांट के मैनेजमेंट का कहना है कि रूसी सेना के संयंत्र पर कब्जे के बाद से वहां तैनात 50 कर्मचारियों को बदल दिया गया है।

जानकार लगातार इस बात को लेकर चिंता जता रहे थे कि कर्मचारियों से पिछले कई हफ्तों से बिना ब्रेक के काम करवाया जा रहा है, जिसके चलते वो बुरी तरह से थक चुके हैं और निष्क्रिय प्लांट की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। हालांकि, चेरनोबिल प्लांट का मैनेजमेंट संभालने वाले अधिकारियों ने ये नहीं बताया कि कर्मचारियों को छुट्टी देने और उनकी जगह नए लोगों को तैनात करने पर सहमति कैसे बनी।

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