पाकिस्तान में अफगान लोगों की 'नो एंट्री'
pakistan bluntly says no entry fo people leaving afghan due to taliban terror
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खुद को अफगानिस्तान का हिमायती बताने वाला पाकिस्तान कितना मतलब परस्त और अमानवीय हो सकता है इसकी ताज़ा मिसाल उसके बयान से मिलती है, पाकिस्तान ने साफ कर दिया कि तालिबान की दहशत की वजह से अफगानिस्तान छोड़ रहे लोगों को वो अपने देश में एंट्री नहीं देगा। लेकिन सवाल ये है कि,
पाकिस्तान ऐसा कर क्यों रहा है?
यूं तो पाकिस्तान कैसा मुल्क है ये पूरी दुनिया जानती है लेकिन इसके अलावा वो किस हाल में है इससे भी सब वाकिफ हैं। मगर मानवता के लिए और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत हर देश को अपने मुल्क में शरणार्थियों को जगह देनी ही पड़ती है। लेकिन पाकिस्तान ने साफ कर दिया है कि उसके मुल्क में अफगानी लोगों के लिए कोई जगह नहीं है।
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पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद अहमद ने कहा है कि अफगानिस्तान से भागने की कोशिश कर रहे अफगान शरणार्थियों को आश्रय देने के लिए उनका देश कोई नया शिविर स्थापित नहीं कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक रशीद ने कहा कि सीमा पर कोई अफगान शरणार्थी नहीं है और सरकार ने उस इलाके में कोई शिविर स्थापित नहीं किया है। रशीद ने तोरखम सीमा का दौरा किया था जहां उन्होंने ये बयान दिया। देश में पहले से ही लगभग तीस लाख अफगान शरणार्थी हैं और ऐसी खबरें आ रही थीं कि सीमा पर लोग एकत्र होकर पाकिस्तान में घुसने का प्रयास कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान में रह रहे शरणार्थियों में से लगभग आधे लोग अवैध रूप से रह रहे हैं क्योंकि उन्हें अपना पंजीकरण नहीं करवाया है।
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कितने अफगानी लोगों ने कराया पंजीकरण?
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आधिकारिक रूप से करीब 15 लाख शरणार्थियों ने पाकिस्तान जाने के लिए अपना पंजीकरण करवाया है। उनके पास रहने, रोजगार करने और सीमा पार जाने के लिए दस्तावेज हैं। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद से ही पाकिस्तान कहता रहा है कि वो और शरणार्थियों को स्वीकार नहीं करेगा। लेकिन उसके मंत्री इस विषय पर विरोधाभासी बयान दे रहे हैं। गृह मंत्री ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है जबकि सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने पिछले हफ्ते कहा था कि महिलाओं और बच्चों को लेकर नरमी बरती जाएगी। लेकिन अभी तक कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है।
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