अब अफगानिस्तान में ऐसी होगी अफगानियों की ज़िंदगी, जाने पूरा सच
Life in afghanistan after America
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ये 31 अगस्त के बाद का अफ़ग़ानिस्तान है... वो अफ़ग़ानिस्तान जहां कबाड़ में तब्दील बीसियों अमेरिकी हवाई जहाज़ और बेजान हथियारों की ढेर के सिवाय दूर-दूर तक अमेरिका का कोई नामोनिशान नहीं... फिलहाल अगर यहां कुछ है, तो वो है तालिबानी नेताओं की सियासी सरगर्मी, लड़ाकों का जश्न और अफ़ग़ानिस्तान को नए सिरे से शरिया क़ानून के तहत लाने की तालिबानी जद्दोजहद के बीच आम लोगों में पसरा ख़ौफ़.
31 अगस्त के बाद के काबुल है में दुकान बाज़ार पहले की तरह ही खुले तो हैं. मगर रौनक गायब हैं... लोगों की आमोदरफ़्त तो है, लेकिन महिलाओं का कहीं नामों-निशान तक नहीं है... गरज़ ये कि तालिबान ने अपने आने से पहले ही महिलाओं को अपने-अपने घरों से बाहर ना निकलने की खुली धमकी दे रखी है...
ज़ाहिर है तालिबान राज में अफ़ग़ानिस्तान का मुस्तकबिल एक नई करवट लेने की तैयारी तो कर रहा है. लेकिन इसे लेकर आम अफ़ग़ानियों में जो असमंजस और ख़ौफ़ के हालात हैं, उसे महसूस किया जा सकता है. संगीनों के साये में आम अफ़ग़ानियों की ज़िंदगी कैसी होगी, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है... इसी बीच अफ़ग़ानिस्तान या यूं कहें कि इस्लामिक अमीरात ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान में नई तालिबानी सरकार की बुनियाद रखने का काम शुरू हो चुका है.
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इधर, 19 साल 10 महीने और 25 दिन के बाद अमेरिका के आख़िरी सी-17 ग्लोबमास्टर विमान ने अमेरिकी फ़ौजियों के साथ अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन छोड़ी और उधर इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान की नई तालिबानी सरकार के लिए ज़मीन मानों पूरी तरह तैयार हो गई. 2001 के बाद ये पहला मौका है जब काबुल की सड़कों पर एक भी अमेरिकी सैनिक मौजूद नहीं है. ये और बात है कि अब भी कई अमेरिकी नागरिक और ऐसे अफ़ग़ान लोग अफ़ग़ानिस्तान में पीछे छूट गए हैं, जिन्हें अभी अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकलना है या यूं कहें जिन्हें अमेरिका को अफ़ग़ानिस्तान से रेसक्यू करना है... क्योंकि इनमें ज़्यादातर वो लोग हैं, जो दो दशकों के अमेरिकी मिशन के दौरान अमेरिकी अफ़सरों और फ़ौजियों के साथ काम करते रहे. उन्हें लोकल सपोर्ट मुहैया कराते रहे... हालांकि दो दशकों की जंग के बाद अब ये पूरा का पूरा देश फिलहाल अमेरिकी फ़ौजियों से पूरी तरह खाली हो चुका है.
अमेरिका की वापसी के 24 घंटे गुज़रते-गुज़रते तालिबान और अफ़ग़ानिस्तान के दूसरे नेताओं के बीच सरकार बनाने के फॉर्मूले पर अब रज़ामंदी हो गई है. ये साफ़ हो गया कि मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर ही तालिबान की नई सरकार का मुखिया होगा, वही मुल्ला बरादर जो ना सिर्फ़ तालिबान के फाउंडर मेंबर्स में से एक है, बल्कि जो रिश्ते में तालिबान की नींव रखनेवाले सबसे बड़े आतंकी मुल्ला उमर का दामाद भी है. इसके अलावा इन दिनों तालिबान का सुप्रीम कमांडर हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा नई सरकार की गर्वनिंग काउंसिल का सुप्रीम होगा. यानी मुल्ला बरादर जहां तालिबान की नई सरकार का सबसे बड़ा चेहरा होगा, वहीं ये सरकार हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा की सरपरस्ती में चलेगी. तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के मेंबर बिलाल करीमी ने इस ख़बर पर मुहर लगाते हुए कहा कि तालिबानी नेताओं के अलावा पिछली सरकार के नेता और प्रभावशाली लोग भी नई सरकार और हिस्सा होंगे और जल्द ही देश चलाने के लिए एक कामकाजी कैबिनेट का ऐलान कर दिया जाएगा.
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अमेरिकी फ़ौजियों की वापसी के बाद इस वक़्त तालिबान बेशक जश्न के जोश में हो, लेकिन उसके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है. अमेरिकी मदद की कटौती के बीच देश में बढ़ती मुद्रास्फीति को क़ाबू करना जहां नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी, वहीं अलग-अलग कबीलों में और मिलिशियाओं में बंटे अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को आपस में लड़ने-भिड़ने यानी गृहयुद्ध से बचाने का काम भी आसान नहीं होगा.
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हालांकि इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मिशन अमेरिका के ख़ात्मे को लेकर अपना स्टैंड क्लीयर किया... उन्होंने कहा कि पिछले 17 दिनों में अमेरिकी फ़ौजियों ने अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े एयरलिफ्ट को अंजाम दिया. जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से फौज की वापसी की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि अमेरिका ने वहां करीब 20 साल तक शांति बनाए रखी. गृह युद्ध में तालिबान से निपटने के लिए करीब तीन लाख सैनिकों को ट्रेंड किया, जो बाइडेन ने कबूल किया कि काबुल छोड़ने के अलावा उनके सामने कोई और रास्ता नहीं था. वो इस जंग और लंबा नहीं खींचता चाहते थे और तालिबान को सीजफायर के लिए मजबूर किया. बाइडेन ने काबुल में फैली अराजकता के लिए अशरफ गनी के देश छोड़कर भागने के फैसले को जिम्मेदार ठहराया.
अफगानिस्तान में अभी नई सरकार बनी भी नहीं है कि देश की राजधानी काबुल में शरिया क़ानून की शुरुआत हो चुकी है. तालिबान की ओर से चुने गए काबुल के नए मेयर हमदुल्ला नोमानी ने सोमवार से ही राजधानी में शरिया कानून लागू करने का ऐलान कर दिया. नोमान ने कहा कि अब भ्रष्टाचार करने वाले लोगों के साथ शरिया कानून के हिसाब से निपटा जाएगा. काबुल नगरपालिका पर भ्रष्टाचार के इल्ज़ाम कोई नई बात नहीं हैं. पिछले दिनों ये ख़बर सामने आई थी कि नगर पालिका के मुलाज़िम पुलिसवालों के साथ मिल कर छोटे-मोटे दुकानदारों से दो करोड़ अफगानी की नाजायज़ वसूली करते हैं.
अब अफ़ग़ानिस्तान का मुस्तकबिल फिलहाल तालिबान के हाथों में है. ऐसे में भारत ने तालिबान से बातचीत शुरू कर दी है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बातचीत की ख़बर पर मुहर लगाते हुए बताया कि कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल की मंगलवार को दोहा में तालिबान के नेताओं से मुलाकात हुई. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंटन ने फिलहाल कतर की राजधानी दोहा से ही अफगानिस्तान के मामलों पर नज़र रखने की बात कही है और अब भारत भी कुछ ऐसा ही करता हुआ दिख रहा है.
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया कि "मंगलवार को भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने कतर की राजधानी दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से मुलाकात की. ये मुलाकात तालिबान के अनुरोध पर दोहा स्थित भारतीय दूतावास में हुई."
इस बयान के मुताबिक, इस मुलाकात में सुरक्षा और अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की जल्द वापसी को लेकर बातचीत हुई.अफगान नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यक जो भारत आना चाहते हैं, उनका मुद्दा भी बैठक में उठा.फिलहाल भारत-तालिबान रिश्तों लेकर कयासों का बाजार गर्म है.भारत जहां वेट एंड वॉच की रणनीति पर चल रहा है, वहीं भारत को लेकर तालिबान के बयान भी बहुत आक्रामक नहीं लग रहे.यहां तक कि उसने पाकिस्तान के उम्मीदों से उलट कश्मीर के मामले से खुद के अलग रहने की बात पहले ही साफ़ कर दी है और तालिबान के बयान 1996 से 2001 के बीच के तालिबान से हट कर हैं.
अमेरिका की वापासी के बाद अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत का रास्ता बेशक पूरी तरह साफ़ हो गया हो, लेकिन पंजशीर में तालिबान की दाल अब भी नहीं गल रही. 31 अगस्त को मुंह अंधेरे तालिबानी बेशक आज़ादी का जश्न मना रहे थे, लेकिन पंजशीर के लड़ाके उनके दांत खट्टे करने में लगे थे.तालिबान ने पंजशीर प्रांत में घुसने का दावा किया और कहा उसके लड़ाकों ने शूतर जिले पर कब्जा कर लिया है. लेकिन नॉर्दर्न एलायंस ने बड़ी तादाद में तालिबानियों को मार गिराने और उन्हें पकड़ने का दावा किया है... एक ट्वीट में नॉर्दर्न एलायंस ने कहा कि उन्होंने बीती रात खावक इलाके में हमला करने आए तालिबान के 350 लड़ाकों को मार गिराया. जबकि 40 से ज्यादा पकड़े गए. नॉर्दन एलांयस का कहना था कि तालिबानियों के पास से उन्हें बड़ी तदाद में अमेरिकी गाड़ियां और गोला-बारूद हाथ लगे हैं.
अब बात तालिबान से जुड़े एक ऐसे वायरल वीडियो की जिससे जुड़ी नई कहानी ने लोगों को चौंका दिया है. आसमान में ब्लैक-हॉक अमेरिकी हेलीकॉप्टर से रस्सी के सहारे लटकते एक इंसान की इस तस्वीर ने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी थी. इस तस्वीर को तालिबान की बर्बर सोच के आईने की तरह देखा गया क्योंकि तस्वीर के साथ जो ख़बर फ़िज़ा में फैली वो ये थी कि तालिबान ने अमेरिका के वापस लौटते ही उसके एक ट्रांसलेटर को यूं हवा में लटका कर दर्दनाक मौत द और हैवानियत की तमाम हदों से आगे निकल गया. लेकिन अब इस तस्वीर को लेकर जो कहानी सामने आई है, वो ना सिर्फ़ नई बल्कि चौंकानेवाली है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया में किए जा रहे दावे के उलट अफगानिस्तान के पत्रकारों ने इस वायरल वीडियो से जुड़ी एक अलग ही कहानी सामने रखी है. बताया गया है कि जो शख्स हेलिकॉप्टर पर लटका हुआ था, वो करीब 100 मीटर की ऊंचाई पर तालिबानी झंडा लगाने की कोशिश कर रहा था यानी वो तालिबान लड़ाका था, जो अपने देश की कथित आज़ादी के जश्न में शामिल था.
बहरहाल, इस वीडियो की सच्चाई सामने आने के बाद तालिबान की छवि को लेकर कितना डैमेज कंट्रोल होगा, इसका तो पता नहीं लेकिन तालिबान के आतंकी लगातार अपनी असलियत दिखा रहे हैं और दुनिया के सामने बेनक़ाब हो रहे हैं. ताज़े मामले में तालिबान ने काबुल में मौजूद अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ी लड़कियों को रेप करने के धमकी दे डाली है.पंजशीर घाटी को छोड़कर पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा के बाद तालिबानी अपनी पर उतर आए हैं. अमेरिका के जाने के बाद इस यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट और खासकर लड़कियों को दिक्कत हो रही है. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया है कि तालिबान ने अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली छात्राओं को रेप करने और जान से मार देने की धमकी दी है. अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी यूनिवर्सिटी में वेस्टर्न तरीके से पढ़ाई का माहौल रहा है. इसलिए इस यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के लिए छात्र-छात्राओं का बड़ा क्रेज था. दावा है कि काबुल में अमेरिकी यूनिवर्सिटी की एक छात्रा को धमकी भरा मैसेज मिला है. उस मैसेज में लिखा है कि तुम अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी... मतलब कि तुम अमेरिकी सरकार के लिए काम करती थी... कुछ दिनों का इंतजार करो, हम तुमसे जरूर निबटेंगे... इसी तरह एक दूसरी लड़की को भेजे गए मैसेज में उसके साथ रेप करने की बात कही गई है...
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