Lata Mangeshkar: इस वजह से ताउम्र 'रेडियो' से नफ़रत करती रहीं लता मंगेशकर
RADIO AND LATA MANGESHKAR, STORY ABOUT RADIO, WHT LATA NOT LIKE RADIO, क्यों रेडियो को फेंक दिया, लता ने रेडियो नहीं सुना, क्यों रेडियो से थी लता को नफ़रत, लता मंगेशकर और कुंदन लाल सहगल CRIMETAK
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रेडियो से जुड़ा दिलचस्प क़िस्सा
CRIME TAK SPECIAL: हर कलाकार की ज़िंदगी के शुरुआती दिनों में कुछ ऐसा घटता है कि वहां से उसके जीवन के रास्ते और मंज़िल सब कुछ ही बदल जाती है। लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ा एक ऐसा दिलचस्प वाकया है जिसे सुनकर कोई भी हैरत में पड़ जाए।
जिन लता मंगेशकर के गाने दिन भर रेडियो पर बजते रहते हैं। पिछले 70 सालों से कोई भी ऐसा दिन नहीं गुज़रा होगा जब इस भूभाग का कोई भी हिस्सा लता दी के गाये गीत को सुनकर न गुनगुनाया हो। हिन्दुस्तान का शायद ही कोई कोना है जहां रेडियो के ज़रिए लता दीदी की आवाज़ को न सुना गया हो। लेकिन शायद ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि खुद लता दीदी ने अपनी जिंदगी में कभी रेडियो नहीं ख़रीदा और न रेडियो सुना।
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ये सच खुद लता दीदी कई बार इंटरव्यू में बता चुकी हैं।
वो गायक जिसकी खुद लता दी थीं फैन
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CRIME TAK SPECIAL: असल में लता दीदी जब बहुत छोटी थी तो वो कुंदन लाल सहगल की आवाज़ और उनके अंदाज़ की मुरीद थी। और जब कभी भी मौका मिलता था वो कुंदन लाल सहगल यानी के एल सहगल के गानों को सुनती थीं और खो सी जाती थीं।
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हालांकि लता दीदी के बताए गए वाकयों से ये भी पता चला था कि उनके घर में रेडियो जैसी कोई चीज़ नहीं होती थी, क्योंकि उनके पिता और माता जी को रेडियो पर गीत ग़ज़ल सुनना कतई पसंद नहीं था। शायद उनकी ऐसी धारणा था कि रेडियो सुनकर घर के बच्चे बिगड़ जाएंगे। लिहाजा घर में रेडियो नहीं था। वो या तो पड़ोसी के यहां या फिर स्टूडियो वगैराह में रेडियो पर कुंदन लाल सहगल के गानों को सुना करती थीं।
इस वजह से हुई रेडियो से नफ़रत
CRIME TAK SPECIAL: ये बात क़रीब 1947 की है, जिस वक़्त देश आज़ादी पाने की राह में आगे बढ़ चुका था। और लता मंगेशकर भी अपनी सुघड़ता और शालीनता की वजह से अपने घर के लोगों को ये भरोसा दिला चुकी थी कि रेडियो जैसी चीजों से अब वो नहीं बिगड़ने वालीं, तब एक रोज उनके घरवाले अपनी प्यारी बिटिया लता मंगेशकर के लिए रेडियो ख़रीदकर ले आए।
और नए रेडियो के जैसे ही लता मंगेशकर ने ऑन किया तो उसमें उन्हें जो सुनाई दिया उसे सुनकर उनका दिल धक्क से रह गया। क्योंकि उस रेडियो से जो पहली खबर उन्हें सुनाई दी वो थी कुंदन लाल सहगल की मृत्यु की। के एल सहगल की मौत की ख़बर सुनते ही लता मंगेशकर इस कदर गुस्से से बौखला उठीं कि उन्होंने उठाकर रेडियो को घर के बाहर फेंक दिया। और कसम उठा ली कि आज के बाद वो कभी रेडियो नहीं ख़रीदेंगी।
और तब से उन्होंने सब कुछ खरीदा लेकिन न तो रेडियो ख़रीदा और न ही कभी टिककर रेडियो सुना। इधर उधर कहीं सुन लिया तो सुन लिया। क्या अजीब इत्तेफ़ाक है कि जिस रेडियो के ज़रिए वो देश के करोड़ों दिलों में राज करती रहीं। या जिस रेडियो स्टेशन के जरिए उनके गाये गीत सारी दुनिया सुनती रही उसी रेडियो को खुद लता मंगेशकर ने कभी न सुनने की कसम खा रखी थी।
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